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जानकारीः पत्रकारों की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र में पारित हुआ देश का पहला क़ानून
June 15, 2017
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पत्रकार संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार 7 अप्रैल 2017 को महाराष्ट्र विधानसभा ने देश का पहला पत्रकार सुरक्षा क़ानून पास कर ही दिया.
महाराष्ट्र में अब पत्रकारों या मीडिया संस्थानों पर हमला ग़ैर ज़मानती अपराध होगा.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने महाराष्ट्र मीडिया पर्सन्स एंड मीडिया इंस्टीट्यूसंस ( प्रीवेंशन ऑफ़ वायलेंस एंड डैमेज एंड लॉस ऑफ़ प्रापर्टी) एक्ट 2017 विधानसभा में पेश किया था.
विधानसभा के वजट सत्र के अंतिम दिन बिना बहस के इस विधेयक को पारित कर दिया गया.
अब प्रांत में पत्रकारों पर कोई भी हमला या हिंसा या पत्रकारों या मीडिया संस्थानों की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाना अपराध होगा. इसके लिए सज़ा के प्रावधान किए गए हैं.
क्या कहता है क़ानून
पत्रकारों पर हमला करने या हमला करने के लिए उकसाने वालों या पत्रकारों या मीडिया संस्थानों की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों को तीन साल तक की जेल और पचास हज़ार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
इस क़ानून के अंतर्गत दायर मामलों को डिप्टी पुलिस अधीक्षक या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी ही देखेंगे.
दोषी पाए गए अभियुक्तों को पत्रकारों को हुए नुक़सान और चिकित्सीय खर्चे देने होंगे.
यदि अभियुक्त हर्जाना देने में सक्षम नहीं होगा तो राजस्व के ज़रिए ये वसूली की जाएगी.
इस क़ानून के तहत कोई भी पंजीकृत अख़बार, समाचार चैनल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया स्टेशन या न्यूज़ स्टेशन को मीडिया संस्थान माना गया है.
मीडियाकर्मी उन्हें माना गया है जिनका मूल पेशा पत्रकारिता है. जिन्हें मीडिया संस्थानों ने नियमित या कांट्रेक्ट पर भर्ती किया हुआ है.
इनमें संपादक, उपसंपादक, रिपोर्टर, कैमरामैन, फ़ीचर लेखक, कॉपी टेस्टर आदि शामिल हैं.
मुख्यमंत्री फ़णनवीस का कहना है कि राज्य में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की सुरक्षा के लिए ये विशेष क़ानून लाया गया है.
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने पत्राकारों की सुरक्षा के लिए बनाए गए देश के इस पहले क़ानून का स्वागत किया है.
भारत की नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनयूजेआई) और इंटरनेशनल फ़ेडेरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने इस क़ानून का स्वागत किया है.
भारत में पत्रकार सुरक्षा
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2017 (विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक) में भारत बीते साल के मुकाबले तीन पायदान नीचे खिसक गया है.
26 अप्रैल 2017 को जारी हुए इस सूचकांक में भारत पाकिस्तान से बस तीन अंक ऊपर है.
भारत की रैकिंग 136 है जबकि पाकिस्तान की 139 और फ़लस्तीन की 135 है. इस सूचकांक में नेपाल 100वें और भूटान 84वें स्थान पर है.
भारत में मीडिया स्वतंत्रता की ख़राब स्थिति की वजह प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रवाद और पत्रकारों की स्वयं पर थोपी गई सेंशरशिप को बताया गया है.
Courtesy: news18 | Image Credit: ytimg, Indian Express
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