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‘हीरो ड्राइवर’ सलीम शेख़ पर बहस का मतलब
July 11, 2017
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जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ जा रही जिस बस पर हमला हुआ था उसे सलीम शेख चला रहे थे. घायलों के आपबीती में सलीम की बहादुरी का क़िस्सा भी सामने आया.
मीडिया ने बताया कि किस तरह सलीम ने बहादुरी और सूझबूझ दिखाते हुए बस को चलाना जारी रखा और पचास से ज़्यादा लोगों की जान बचाई.
चरमपंथी अमरनाथ यात्रा जत्थे को ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान पहुंचाना चाहते थे. सलीम ने बस को मुश्किल हालात से सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में निश्चित रूप से बहादुरी का काम किया.
भारतीय मीडिया अब उन्हें हीरो कह रहा है. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी सलीम का नाम बहादुरी सम्मान के लिए भेजने की बात कही है.
Salute you "Saleem sheikh"(bus driver) Who saved the lives of all the passengers (Muslim saves Hindus)#AmarnathYatra #AmarnathTerrorAttack
— Koshal sisodya (@koshalsisodya) July 11, 2017
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम का एक दूसरा पहलू भी है जो सोशल मीडिया पर नज़र आ रहा है.
सलीम शेख़ भारत में ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं और फ़ेसबुक पर भी उनके बारे में ख़ूब लिखा जा रहा है.
Deepest condolences 2 d families of d pilgrims😞
Salute u Saleem sheikh(bus driver)who carried 50 ppl and saved them🙏#AmarnathTerrorAttack pic.twitter.com/qSm4KtustS— sowmya iyer (@sowmyaiyer07) July 11, 2017
सलीम के बारे में लिखने वाले दो पक्षों में बंटे हैं. चिंता की बात ये है कि ये बंटवारा धार्मिक आधार पर है.
एक और मुसलमान हैं जो सलीम के मुसलमान होने का ज़िक्र करते हुए ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय मुसलमान अपने देश के प्रति बफ़ादार है और ज़रूरत पड़ने पर अपनी जान पर खेलकर भी दूसरे नागरिकों की जान बचाता है.
दूसरी ओर एक तबका वो भी है जो सलीम शेख पर सवाल उठाते हुए पूरे घटनाक्रम के पीछे साज़िश देख रहा है.
बस ड्राइवर सलीम को ढूंढ लाया एनडीटीवी। भारी साहस का पुतला, बस को भगाता रहा, गोली चलती रहीं, रुकता अगर तो ढेरों भगवान अमर…
Nai-post ni Anil Dixit noong Martes, Hulyo 11, 2017
ये लोग सोशल मीडिया पर सवाल कर रहे हैं कि सलीम शेख की जांच होनी चाहिए क्योंकि वो सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए रात में सात बजे के बाद भी बस को चला रहे थे.
ये पूरी बहस भारत के चिंताजनक हालातों को रेखांकित करती है. आतंकवाद की वीभत्स घटना के बाद जब भारतीय समाज को एकजुट होना चाहिए था तब वो ‘हीरो ड्राइवर’ के धर्म की वजह से उस पर चर्चा कर रहा है और बंटा हुआ नज़र आ रहा है.
सलीम शेख़ के बहाने ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि एक धर्म को बार-बार अपनी निष्ठा का सबूत क्यों देना पड़ रहा है और देश का एक वर्ग एक ख़ास मज़हब के हर व्यक्ति को शक़ की निग़ाह से देखने की सोच को बढ़ावा क्यों दे रहा है.
सवाल ये भी पूछा जाना चाहिए कि जब देश की साढ़े चौदह फ़ीसदी आबादी शक़ के घेरे में हो तब देश के अंदरूनी हालात कब तक शांतिपूर्ण रह सकते है्ं?
तस्वीरः इंडियन एक्सप्रेस
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