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देश भर में बाढ़ से तबाही और बेहिसाब नुकसान
July 24, 2017
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आसमानी आफत से आधा हिंदुस्तान जूझ रहा है. गर्मी से राहत तो जरुर मिली लेकिन ये मानसून अब देश के लिए बर्बादी का सबब बन गया है. गुजरात, महाराष्ट्र , बिहार और राजस्थान के कई जिलों में बारिश से बाढ़ जैसे हालात हैं. करीब आधे हिंदुस्तान में नदी, बांध सब ओवरफ्लो हो गए हैं. ये पानी जब अपनी सरहद तोड़कर आगे बढ़ा तो बर्बादी का मंजर लेकर आया. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब हिंदुस्तान को बाढ़ की समस्या से दो चार होना पड़ा. ये हर साल की कहानी है और सरकारें इससे कोई सबक लेती नहीं दिखती. बाढ़ से होने वाले नुकसान के आंकड़े चौंकाने वाले हे जिससे शायद राज्य हो या केंद्र सरकार को सबक लेने की जरूरत है.
बाढ़ से नुकसान के चौकाने वाले आंकड़े
यूएन ग्लोबल अस्सेस्मेंट रिपोर्ट 2015 के मुताबिक़ भारत में प्राकृतिक आपदा की वजह से हर साल लगभग 1000 करोड़ अमरीकी डालर यानी लगभग 65 हज़ार करोड़ रूपये का नुकसान होता है.
अकेले बाढ़ की वजह से 700 करोड़ अमरीकी डालर यानी 45 हज़ार रूपये का नुकसान होता है . यूएन ग्लोबल अस्सेस्मेंट 2015 की रिपोर्ट पिछले दस सालों के दौरान प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान पर आधारित थी.
बाढ़ से हुए बर्बादी का ये आंकड़ा कितना बड़ा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं की दिल्ली का 2017-18 का सालाना बजट 48 हज़ार करोड़ का है , जो बाढ़ से हुए सालाना बर्बादी से थोड़ा ही ज़्यादा है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़े के मुताबिक़ 1953 में बाढ़ से 2.29 मिलियन हेक्टेयर ज़मीन प्रभावित हुआ था जबकि देश को 52 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ था , 2016 में लगभग 1 मिलियन हेक्टेयर ज़मीन प्रभावित हुए , लेकिन नुकसान लगभग 1400 करोड़ रूपये का हुआ.
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) तथा पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (पीआईके) की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में भारत, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश पर बाढ़ का बहुत बुरा असर हो सकता है। उनके निचले तटीय इलाकों में रहने वाले 13 करोड़ लोगों पर इस सदी के अंत तक बाढ़ के कारण विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है.
वर्ल्ड रिर्सोसेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) के अनुसार, भारत 163 देशों की इस सूची में शीर्ष स्थान पर है। यहां हर वर्ष 48.5 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है, जबकि जीडीपी में इसे 14.3 अरब डॉलर का नुकसान होता है.
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