
मेरी कहानी
#मेरीकहानी: रक्षाबंधन से पहले मुझे जो मिला वो कुछ इतना खास था
July 31, 2017
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जम्मू में एक कॉम्पलेक्स है बाहु प्लाजा.आज मुझे इस बिल्डिंग में बैंक के किसी काम से जाना था.
दोपहर के वक्त पहुंचा तो देखा कि ये जनाब सड़क किनारे कुछ लोगों के जूते पॉलिश कर रहे हैं. 14-15 साल की उम्र होगी शायद.
खैर इसने मुझसे भी कहा कि मैं अपने जूते इससे पॉलिश करा लूं लेकिन ये नहीं कहा कि सुबह से खाना नहीं खाया या कोई कमाई नहीं हुई. इसने रीजन दिया कि भईया करा लो ना, राखी पर घर जाना है.
मैं रूक गया. ये रीजन सही लगा न जाने क्यूं? मैंने पूछा कहां रहते हो?
तो पता चला यूपी के बहराइच के पास किसी नवाबगंज में.
मैंने पूछा कौन कौन है घर में?
मम्मी और छोटी बहन गांव रहती है भईया, पापा, भईया और हम यहां.
मैं ना एक बार मसोस गया कि हम सब कि तरह चंद पैसों के लिए नन्हा सा एक बच्चा अपने घर से इतनी दूर आया है.
खैर कोई और बात नहीं कि और कहा कि वो मेरे साथ चले. बाहु प्लाजा के पीछे एक विशाल मेगा मार्ट है. मुझे अपने लिए कुछ लेना था सो इसे भी ले गया.
पता नहीं कभी गया हो पहले या नहीं.
लेकिन वहां टंगे कपड़ों को देखकर बचपन का मासूम चेहरा न जाने कैसी ललचाई आंखों से उन्हें निहार रहा था.
कुछ सामान खुद लिए और इनके लिए एक टीशर्ट और इनकी बहन के लिए एक टॉप खरीद दिया.
कुछ सौ रूपए खर्च हुए जो शायद उन पैसों में बचे थे जिन्हें परसों उधमपुर जाने को निकाला था.
वो बच्चा एसी शोरूम से निकलता इतनी तेजी से उतर रहा था जैसे किसी तरह बस अपनी बहन तक पहुंच जाए. मुझे नहीं पता कि वो क्या महसूस कर रहा होगा.
पर एक बात थी जिसके लिए ये सब लिखा… वो हम सब जैसा है..जो कुछ पैसों के लिए घर से दूर है..उसकी भी ख्वाहिश है कि बहन को कुछ गिफ्ट देकर खुश कर सके..जरा से बचपन में शायद वो भी अपनी मां की गोद को मिस करता हो..हम सब कि तरह. मुझे मिले पैसों से जो खुशी आज उसकी बहन के लिए गिफ्ट खरीदते हुई शायद ही अपने लिए कुछ खरीदते हुई हो.
रक्षाबंधन से पहले मुझे जो मिला वो कुछ इतना खास था.
जम्मू में एक कॉम्पलेक्स है बाहु प्लाजा…आज मुझे इस बिल्डिंग में बैंक के किसी काम से जाना था..दोपहर के वक्त पहुंचा तो द…
Posted by Shreyansh Tripathi on Friday, 14 July 2017
कहानी और चित्र का स्रोत- Shreyansh Tripathi
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