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कब बंद होगा पीड़िताओं का चरित्रहनन
August 8, 2017
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भारत में जब–जब छेड़छाड़ या बलात्कार जैसे मुद्दे पर बात होती है तब–तब हमारे समाज का एक वर्ग लड़कियों के घर से बाहर होने पर सवाल उठा देता है.
चंडीगढ़ की वर्निका कुंडु ने बहादुरी दिखाते हुए पुलिस को कॉल कर अपनी कार का पीछा कर रहे युवकों को गिरफ्तार करवाया.
शुक्रवार देर रात की ये घटना शायद मीडिया की सुर्खियां न बनती यदि लड़की एक आईएएस अधिकारी की बेटी और अभियुक्त युवकों में से एक हरयाणा के भाजपा अध्यक्ष का बेटा न होता.
पुलिस ने शुक्रवार रात 12.35 बजे लड़की की कॉल मिलने के कुछ मिनट बाद ही अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था.
लेकिन जब मामनला राजनीति से जुड़ा तो एक के बाद एक ऐसी बातें होने लगी जो हमारी क़ानून व्यवस्था, समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं.
भाजपा की प्रवक्ता शाइना एनसी समेत कई लोगों ने लड़की की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उसके ही चरित्र पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.
हरयाणा भाजपा के उपाध्यक्ष रामवीर भाटी ने तो यहां तक कह दिया कि लड़की को इतनी देर रात बाहर होने की ज़रूरत ही क्या थी?
लेकिन रामवीर भाटी ने ये क्यों नहीं पूछा कि इतनी देर रात अभियुक्त विकास बराला और आशीष कुमार क्या कर रहे थे?
ऐसा क्यों होता है कि जब भी कोई मामला हाई प्रोफ़ाइल होता है तब पीड़िता पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए जाते हैं?
इससे पहले गुलमेहर कौर पर भी इसी तरह के सवाल उठाए गए थे.
वर्निका कुंडू ने फ़ेसबुक पर किए अपने पोस्ट में लिखा है कि यदि पुलिस नहीं आती तो हो सकता है कि उनका बलात्कार हो जाता और सड़क किनारे उनकी लाश मिलती.
जब दिल्ली की चलती बस में निर्भया से बलात्कार होता है तब हमारे समाज का ग़ुस्सा उबल पड़ता है और हम सड़कों पर प्रदर्शन करते हैं.
लेकिन जब वर्निका जैसी कोई लड़की जो देर रात घर से बाहर होती है और अपना पीछा किए जाने का मुद्दा उठाती है तो हम उसी पर सवाल उठाने लगते हैं.
क्या ये हमारे समाज की दोहरी मानसिकता नहीं है.
ये क्या वर्निका पर सवाल उठाना बाकी लड़कियों को डराना नहीं है कि यदि तुमने शिकायत करने की हिम्मत की तो हम तुम्हारी चरित्रहनन कर देंगे?
वर्निका के पिता एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी हैं और शायद इसी ने उन्हें पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत दी भी हो.
वरना कितना बार ऐसा होता है कि लड़कियों के साथ इस तरह के हादसे होते हैं और शिकायत करने के बजाए अकेले सिसकती रहती हैं.
वर्निका कुंडु सिर्फ़ एक आईएएस अधिकारी की ही बेटी नहीं है बल्कि हमारे समाज की हज़ारों बेटियों में से एक भी है.
ऐसे में भाजपा की प्रवक्ता शाइना एनसी और हरयाणा उपाध्यक्ष रामवीर भाटी के बयान का क्या सरकार की बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ की नीति पर सवाल नहीं उठाते?
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