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गोरखपुरः बच्चों की मौत के लिए योगी आदित्यनाथ कितने ज़िम्मेदार?
August 11, 2017
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी सी तीस बच्चों की मौत की ख़बर आने से पहले ही एक स्थानीय अख़बार ने ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ों की जान के ख़तरे से आगाह कर दिया था.
आईनेक्स्ट अख़बार ने 11 अगस्त को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा था, “वर्तमान में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की रीडिंग 900 बता रही है. ऐसी दशा में यह लिक्विड ऑक्सीजन जल्द ही समाप्त होने की आशंका जताई जा रही है. यदि ऐसा हुआ तो भर्ती मराजों की जान खतरे में पड़ जाएगी.”
अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टेक्नीशियन ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को पत्र भेज ऑक्सीजन खत्म होने के बारे में जानकारी दी थी.
इसके एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीआरडी अस्पताल का दौरा किया था और इस बारे में ट्विटर पर लिखा था, “आज गोरखपुर प्रवास के दौरान BRD मेडिकल कॉलेज में मरीजों की स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की तथा जे.ई./एईएस वार्ड का गहन निरीक्षण किया.”
आज गोरखपुर प्रवास के दौरान BRD मेडिकल कॉलेज में मरीजों की स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की तथा जे.ई./एईएस वार्ड का गहन निरीक्षण किया। pic.twitter.com/duYNbGALvO
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 9, 2017
जिस समय योगी आदित्यनाथ अस्पताल का गहन निरीक्षण कर रहे थे उस समय अस्पताल ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझ रहा था.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की बात योगी आदित्यनाथ के सामने क्यों नहीं आ सकी?
या उनका निरीक्षण सिर्फ़ एक औपचारिकता भर था?
यही नहीं गुरुवार रात अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई और रात साढ़े 11 बजे से मरीज़ों ने दम तोड़ना शुरू कर दिया.
बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत की ख़बर के राष्ट्रीय मीडिया की सुर्ख़ी बनने से पहले ही एक स्थानीय समाचार वेबसाइट ने शुक्रवार सुबह ऑक्सीजन की कमी से तीस बच्चों की मौत की ख़बर प्रकाशित कर दी थी.
Firstnewsindia.com की शुक्रवार सुबह दस बजे प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था, “इंसेफलाइटिस के मरीजों के लिए बने सौ बेड के आईसीयू सहित दूसरे आईसीयू व वार्डों में देर रात से रुक-रुककर ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 30 मासूमों व अन्य मरीजों ने दम तोड़ दिया. यह सिलसिला रात 11.30 बजे से शुरू हुआ व सुबह नौ बजे तक जारी रहा.”
रिपोर्ट में आगे लिखा गया, “बहरहाल, लगातार हो रही मौतों से वार्डों में कोहराम मचा हुआ था. चारों तरफ चीख पुकार व अफरा-तफरी का माहौल था.”
लेकिन जब ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की ख़बर मीडिया में आई तो दो दिन पहले ही अस्पताल का गहन निरीक्षण करने वाले योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ख़बरों को भ्रामक बताते हुए ट्वीट किए, “गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से किसी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है. कुछ चैनलों पर चलाई गई ऑक्सीजन की कमी से पिछले कुछ घंटों में अस्पताल में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु की खबर भ्रामक है. जिलाधिकारी अस्पताल में मौजूद रहकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.”
यानी सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से अपना पल्ला झाड़ लिया.
लेकिन सरकार की दलीलें किसी के गले नहीं उतर रही हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं.
मृतकों के परिजनों को लाश देकर भगा दिया गया, मृतक का पोस्टमार्टम तक नहीं हुआ है, भर्ती कार्ड भी गायब कर दिया गया है । अत्यन्त दुखद ।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 11, 2017
अब सवाल ये उठ रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी को क्यों छुपा रही है?
क्या इसकी वजह ये तो नहीं है कि सवाल सीधा मुख्यमंत्री पर उठ रहा है और जवाब किसी के पास है नहीं.
सोशल मीडिया पर लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठा रहे हैं और पूछ रहे हैं कि उन्होंने कैसा निरीक्षण किया था?
सीएम योगी भी सीधे तौर पर बच्चों की मौत के जिम्मेदार हैं. क्योंकि 9 अगस्त को सीएम योगी ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज का दौरा किय…
Nai-post ni Saroj Kumar noong Biyernes, Agosto 11, 2017
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