
ख़बरें
बिहार का सृजन घोटालाः गहराता मौतों का रहस्य
August 25, 2017
SHARES
बिहार में हुए कथित सृजन घोटाले से जुड़े लोगों की एक के बाद एक लगातार मौत हो रही है. इसलिए इस घोटाले की तुलना मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से भी की जा रही है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ट्विटर पर लिखा है, “सृजन घोटाले के किंगपिन और मनोरमा देवी के विश्वस्त नवीन की भी भागलपुर में मौत.”
मेरे पास जानकारी है कि सीबीआई ने अभी तक सृजन घोटाले पर जांच शुरू नहीं की है।नीतीश जबतक अपने चेहते अफ़सरो से घोटाले के सबूत नष्ट करवा रहा है।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 23, 2017
सृजन घोटाले के किंगपिन नवीन की भी भागलपुर में मौत।मनोरमा देवी का था सबसे विश्वासी सहयोगी।पूरे घोटाले की थी जानकारी।उसका लैपटॉप भी ग़ायब।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 24, 2017
इससे पहले घोटाले के नाज़िर महेश मंडल की भी रहस्यमय मौत की बात सामने आई थी.
द वायर हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवीन की मौत घोटाला सामने आने से पहले ही हो गई थी लेकिन उनकी मौत की जानकारी गुरुवार को सार्वजनिक हुई है.
स्थानीय अख़बार दैनिक जागरण ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नवीन मनोरमा देवी के बेहद करीबी थे और सृजन घोटाले के राजदार हो सकते हैं. मनोरमा देवी की भी फ़रवरी में मौत हो गई थी.
अब तक छह मौतों का दावा
वहीं समाचार वेबसाइट फ़रस्टपोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि सृजन घोटाले से जुड़े छह लोगों की मौत अब तक हो चुकी है.
फ़र्स्टपोस्ट की रिपोर्ट में लिखा गया है, “सृजन स्कैम की नींव पड़ने से लेकर परवान चढ़ने तक 12 सालों में 6 रहस्मय मौतें हुईं जिसमें दारोगा रैंक का एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है. मरने वालों का डायरेक्ट और इनडायरेक्ट संबंध शातिर घोटालेबाजों से किसी न किसी मुकाम पर किसी न किसी वजह से रहा है.”
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ‘इनमें से कम से कम तीन मृतकों के परिवार वालों ने पुलिस को रो-रो कर साक्ष्य के साथ समझाने का प्रयास किया कि ‘हमारे प्रियजनों की हत्या की गई है’. दोषियों को पकड़ने के लिए अधिकारियों से विनती की, लेकिन चांदी की जूती ने पुलिस का दिल पिघलने से रोक दिया. हालांकि डीएसपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी ने तर्क दिया कि ‘लालच, डर और दबाव तीनों ने मिलकर हमलोगों को अपने कर्तव्य के निर्वहन करने से रोके रखा’. अफसर ने विस्तार से कुछ इस प्रकार समझाया, ‘इस महंगाई में पैसे की सबको जरूरत है, दूसरा, मरने से सबको डर लगता है और तीसरा जल में रहकर मगर से बैर लेना बेहद जोखिम वाली बात होती है’.
लालू के 11 सवाल
सृजन के सृजनहार सृजनात्मक तरीक़े से सबूत नष्ट करना चाह रहे है। https://t.co/J7WWmtjEH7
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 24, 2017
नीतीश कुमार इन सवालों का जवाब दें। सृजन घोटाला करके नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे है। pic.twitter.com/cBN37a1Imh
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) August 24, 2017
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सृजन घोटाले के मामले में 11 सवाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछे हैं. ये सवाल हैं-
1- 25 जुलाई, 2013 को संजीत कुमार नाम के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री बिहार को सृजन महिला बैंक चलाने और करोड़ों के गबन संबंधित जानकारी देते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने उसपर कोई कार्यवाही नहीं करके घोटाला करने वालों को बचाया ही नहीं, अपितु उन्हें सरकारी खजाना लूटने के लिए प्रोत्साहित किया.
2- 9 सितंबर, 2013 को रिजर्व बैंक ने, बिहार सरकार को पत्र लिखकर सृजन समिति में हो रहे घोटाले और वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा था. रिजर्व बैंक ने को-अॉपरेटिव रजिस्ट्रार को भी कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं की. मुख्यमंत्री ने रिजर्व बैंक के संदेह को भी दरकिनार करते हुए लगातार घोटालेबाजों का सहयोग किया.
3- 2013 में तत्कालीन डीएम ने सृजन मामले में शिकायत मिलने पर जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई. नीतीश बताएं उस जांच रिपोर्ट को क्यों दबाया गया? उस जांच रिपोर्ट को दबाकर किसे फायदा पहुंचाया गया?
4- 2013 में सृजन घोटाले में जांच का अादेश देने वाले जिलाधिकारी का मुख्यमंत्री ने तबादला क्यों किया?
5- 2006 से चल रहे इस घोटाले में मुख्यमंत्री ने दस साल तक कार्रवाई क्यों नहीं की? मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री सुशील मोदी इस मामले के सीधे दोषी हैं.
6- आर्थिक अपराध शाखा ने सृजन घोटाले में लिप्त बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के करोड़ों रुपये जब्त किए गए. उसके बावजूद भी आर्थिक अपराध शाखा ने पूरे घोटाले का अनुसंधान किसके इशारे पर नहीं किया? 2005 से गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है. नीतीश ने आर्थिक अपराध की शाखा की जांच को क्यों छुपाया? उसपर कार्रवाई क्यों नहीं की?
7- बिहार सरकार की पदाधिकारी जयश्री ठाकुर के सृजन खाते से सात करोड़ 32 लाख रुपये जब्त कर लिए. 14 जुलाई, 2013 के एक अखबार की खबर के अनुसार तत्कालीन प्रधान सचिव ने कहा था कि जयश्री एडीएम स्तर की अधिकारी हैं इसलिए उसे सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे इतने वर्षों तक बर्खास्त क्यों नहीं किया?
8- जयश्री ठाकुर की अधिकांश पोस्टिंग भागलपुर और बांका में ही करने का मुख्यमंत्री का क्या उद्देश्य था? सनद रहे सामान्य प्रशासन और कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री के पास रहा है और उन्हीं की इच्छा के अनुसार जयश्री ठाकुर को बांका का भू-अर्जन पदाधिकारी रहते हुए भागलपुर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया.
9- 2010 में भी हमने एसी-डीसी घोटाले को उठाया था, उसके बावजूद भी नीतीश सरकार ने एसे घोटलों को जारी रखा.
10- 2010-11 में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 11000-12000 हजार करोड़ के सरकारी खजाने की अनियमितता का जिक्र किया था. उसके बावजूद भी कोई कार्यवाई नहीं की गई?
11- सीबीआई जांच के आदेश पर मुख्यमंत्री किसे बेवकूफ बना रहे हैं? क्या वह आरबीआई का सर्कुलर नहीं जानते जिसमें स्पष्ट है कि अगर तीस करोड़ से ज्यादा की कोई वित्तीय अनियमितता है तो उसकी जांच सीबीआइ करेगी? यह तो 15000 करोड़ का महाघोटाला है.
क्या है सृजन घोटाला
बिहार में सरकारी पैसा एक सृजन नाम की एनजीओ के खातों में ट्रांस्फर करके उसका निजी इस्तेमाल किया जा रहा था. अब तक इस घोटाले के संबंध में दस एफ़आईआर दर्ज हुई हैं जिनमें से नौ भागलपुर और एक सहरसा ज़िले में हैं.
दिवंगत मनोरमा देवी ही सृजन एनजीओ की प्रभारी थीं और उन्होंने पैसों का हेरफेर अधिकारियों और नेताओं की मदद से किया. बिहार के कई बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम भी इस घोटाले से जुड़ रहे हैं.
माना जा रहा है कि सृजन घोटाले के तहत साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का हेरफेर हुआ और घोटाले की रकम का ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है.
घोटाला सामने आने के बाद बिहार सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि सीबीआई ने जांच अभी शुरू नहीं की है.
Source: Firstpost.com, thewirehindi.com, Dainik Jagran
अपने विचारों को साझा करें