
ख़बरें
हाई कोर्ट ने दिल्ली के निजी स्कूलों से फ़ीस वापस करने को कहा
September 6, 2017
SHARES
दिल्ली हाई कोर्ट ने 98 निजी स्कूलों को छात्रों से ली गई बढ़ी हुई फ़ीस अदालत में जमा कराने के आदेश दिए हैं.
स्कूलों के ये फ़ीस दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के दफ्तर में जमा करानी होगी.
फ़ीस की ये रकम सौ करोड़ रुपए से ज़्यादा है. अदालत ने निजी स्कूलों के ये फ़ीस जमा करने के लिए दस दिनों की समय दिया है.
स्कूल ये पैसा कैश, एफ़डी या ड्राफ्ट के रूप में अदालत में जमा करा सकते हैं.
दरसअल दिल्ली में साल 2006 से 2009 के बीच 32 महीनों की फ़ीस मनमाने तरीके से वसूली गई थी. अदालत ने साल 2011 में स्कूलों में बढ़ी हुई फ़ीस की जांच के लिए अनिल देव समिति का गठन किया था.
बीते छह सालों के दौरान अनिल देव समिति ने 11 रिपोर्टें अदालत में पेश की हैं. रिपोर्टों में कहा गया है कि दिल्ली के स्कूलों ने मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई और छात्रों से वसूल की.
अदालत ने स्कूलों के निर्देश दिया था कि वो नौ प्रतिशत ब्याज के साथ ये बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को वापस करें लेकिन अभी तक गिने चुने स्कूलों ने ही ये फीस अदालत में जमा कराई है.
वहीं दिल्ली सरकार ने अदालत को दिए अपने हलफनामे में कहा था कि यदि स्कूल अभिभावकों को फीस वापस नहीं लौटा पाते हैं तो सरकार उनका अधिग्रहण कर लेगी. सरकार ने अधिग्रहण के लिए 449 निजी स्कूलों को चिन्हित किया था. सरकार ने अदालत से कहा था कि यदि ये स्कूल फीस नहीं लौटाते हैं तो सरकार इनका संचालन अपने हाथ में ले लेगी.
यही नहीं सरकार ने इन स्कूलों को फीस न लौटाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है और अब इसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया है.
वहीं अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब सरकार पहले से ही सरकारी स्कूलों को ठीक से नहीं चला पा रही है तो वह निजी स्कूलों को हाथ में लेकर कैसे चलाएगी और शिक्षकों की कमी को कैसे पूरा किया जाएगा.
Delhi govt schools get 88.27% results in Class 12. Pvt schools: 79.27%. Govt schools do better than pvt schools, for a second year in row!
— Manish Sisodia (@msisodia) May 28, 2017
दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं.
सरकार ने शिक्षा बजट में बढ़ौत्तरी करने के लिए अलावा सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं देने की भी पहल की है.
इस साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बोर्ड परिक्षाओं के नतीजे निजी स्कूलों के मुकाबले बेहतर रहे थे.
अपने विचारों को साझा करें