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गाय की रक्षा के नाम पर हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
September 6, 2017
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि गाय की रक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को बंद किया जाए.
अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए ज़िला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा है.
अदालत ने कहा है कि हिंसा करने वाले समूहों मुक़दमे दर्ज किए जाएं और उन्हें सज़ा दी जाए.
चार बीजेपी शासित राज्यों हरयाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात ने सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी एसपी स्तर के पुलिस अधिकारी को गौरक्षकों को हिंसा करने से रोकने के लिए नोडल अधिकारी बनाने के सुझाव को मान लिया है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अमिताव रॉय और एएम खानविलकर महात्मा गांधी के पड़पौते तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
तुषार गांधी ने अपनी याचिका में गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को रोकने में केंद्र और राज्य सरकारों की नाकामी का मुद्दा उठाया था.
Thank you SC. Thank you Indira Jaisingh, thank you Shadan and Warisha Farasat. Many more battles to fight and win. #SCcowvigilantes.
— Tushar (@TusharG) September 6, 2017
भारत में गाय को बचाने के नाम की हिंसा की कई वारदातें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी हैं.
दिल्ली के पास दादरी में अख़लाक़ अहमद की हत्या, राजस्थान में पहलू ख़ान की हत्या के अलावा कई प्रदेशों में इस तरह की वारदातें हुई हैं.
ऐसी हिंसा के निशाने पर आमतौर पर मुसलमान और दलित समुदायों के लोग ही रहे हैं. हिंसा की ज़्यादातर वारदातें उत्तर भारतीय राज्यों में हुई हैं.
अपनी याचिका में तुषार गांधी ने कहा था कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत मिली राज्यों को निर्देशित करने की संवैधानिक ज़िम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती है.
अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो तुषार गांधी के इस तर्क का जवाब पेश करे.
तुषार गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालत में कहा, “अहिंसा इस देश का आधार स्तंभ है. हिंसा से केंद्र सरकार अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है. हिंसक समूहों के ख़िलाफ़ मुक़दमे करने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है.”
उत्तर भारत के चार राज्यों की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता तुषार मेहता से अदालत ने कहा कि आपको ये सब रोकना ही होगा.
इस मामले की अगली सुनवाई अब 22 सितंबर को होगी. अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से भी अपनी राय पेश करने के लिए कहा है.
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