
सप्रेक
जान बचाने के मिशन पर बेटी को गंवाने वाली एक मां
September 27, 2017
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दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद की सड़कों पर डोरिस फ्रांसिस को लोगों को ट्रैफ़िक संचालित करते हुए देखा जा सकता है.
डोरिस फ्रांसिस ट्रैफ़िक पुलिस अधिकारी नहीं हैं लेकिन वो गाज़ियाबाद की सड़कों पर यातायात संचालित करते हैं.
लोग उन्हें ट्रैफ़िक हीरोइन तक कहते हैं. लेकिन डोरिस की ट्रैफ़िक व्यवस्था सुधारने की ज़िद के पीछे एक दर्द भरी कहानी है.
छह साल पहले उनकी बेटी निक्की की गाज़ियाबाद में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी.
डोरिस हर दिन उस जगह आती हैं जहां उन्होंने अपनी बेटी को खोया था और लोगों को ट्रैफ़िक के बारे में जागरूक करती हैं.
सात साल पहले डोरिस अपने पति और बेटी के साथ ऑटो में सफर कर रहीं थी जब एक तेज़ रफ़्तार कार ने ऑटो को टक्कर मार दी थी.
उस हादसे में डोरिस की बेटी की मौत हो गई थी. उन्हें अफ़सोस है कि यातायात सही से संचालित नहीं किया जा रहा था.
बेटी को गंवाने के बाद डोरिस ने तय किया कि वो अपना बाकी जीवन यातायात बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर देंगी.
अब वो हर दिन उसी ट्रैफ़िक सिग्नल पर पहुंचकर ट्रैफ़िक व्यवस्था संभालती हैं जहां उन्होंने अपनी बेटी को खोया था.
शुरुआत में लोगों ने डोरिस का विरोध किया लेकिन बाद में जब यातायात सुधरने लगा और दुर्घटनाएं होनी बंद हो गईं तब लोगों की समझ में आया कि रोज़ लोगों को सही से चलने के लिए कहने वाली औरत कोई पागल नहीं है.
बीबीसी ने अपनी ख़ास सीरीज़ #UnsungIndians में डोरिस की कहानी प्रकाशित की थी.
बीबीसी से बात करते हुए डोरिस ने कहा था, “मेरा मिशन लोगों की ज़िंदगियां बचाना है ताकि कोई मां अपनी बेटी, पति या बेटे को न गंवाए. और मैं यही कर रही हूं. मैं तब तक ये करती रहूँगी जब तक मेरे शरीर में ताक़त रहेगी.”
Source: BBC HINDI
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