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मरती हुई लड़की से छेड़छाड़ का वीडियो था ग़लत, इस वीडियो में दिखी पूरी सच्चाई
October 4, 2017
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‘द हिंदू’ में पत्रकार वेदिका चौबे की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मुंबई में एक युवक ने भगदड़ में फंसी एक युवती के साथ उस वक़्त छेड़छाड़ करने की कोशिश की जब वो अंतिम सांसें ले रही थी.
इस रिपोर्ट के कई और मीडिया संस्थानों ने भी प्रकाशित किया है. द हिंदू न अब अपनी रिपोर्ट पर खेद प्रकट कर दिया है.
पिछले सप्ताह मुंबई के एलफंस्टीन स्टेशन के पास एक फुटओवर ब्रिज पर मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी.
https://twitter.com/vedikachaubey/status/914320922626080768?ref_src=twsrc%5Etfw
— vedika chaubey (@vedikachaubey) October 4, 2017
पत्रकार वेदिका चौबे की लिखी रिपोर्ट में कहा गया,
“एलफंस्टीन भगदड़ की एक वीडियो क्लिप में एक तमाशाई व्यक्ति पीड़ितों के ढेर के ऊपर पड़ी एक युवती से छेड़छाड़ करता दिख रहा है. लाशों में फंसी युवती किसी तरह मदद के लिए हाथ फैलाती है और अंतिम सांस के साथ ही उसका हाथ गिर जाता है.
परेल स्टेशन पर भगदड़ के वक्त मौजूद रहीं जयश्री कनाडे कहती हैं कि कई लोगों ने महिला मृतकों के पर्स और सोने के आभूषण चुरा लिए. छेड़छाड़ का ये वीडियो शर्मनाक है. कोई भी व्यक्ति कैसे ऐसी लड़की से छेड़छाड़ कर सकता है जो मर रही है और मदद मांग रही हो? गुनाहगार को सज़ा मिलनी ही चाहिए.”
रेलवे पुलिस के कमिश्नर निकेत कौशिक ने भी घटना की जांच करने का वादा किया. लेकिन अब ऐसे वीडियो सामने आए हैं जो अख़बार की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हैं.
वेदिका चौबे ने जो वीडियो साझा किया था वो सिर्फ़ 8 सेकेंड का था और उसे देखकर बहुत कुछ नहीं समझा जा सकता है.
अब जो वीडियो सामने आए हैं वो घटना पर अधिक प्रकाश डालते हैं. इन वीडियो में दिख रहा है कि जिस व्यक्ति पर सवाल उठाए गए हैं वो दरअसल मदद करने की ही कोशिश कर रहा था.
Different angle. Samaritan is clearly trying to help. Failing an apology, second STRICTEST of actions against @THMumbai. (clip @Sohni_Bose) pic.twitter.com/Cu47uEWmQZ
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) October 2, 2017
सोशल मीडिया पर भी इस रिपोर्ट पर सवाल उठे थे और लोगों ने ख़बर लिखने वाली पत्रकार और अख़बार से माफ़ी मांगने के लिए कहा था.
तर्कसंकत का तर्क
भगदड़ की इस घटना ने समूचे भारत को झकझोर दिया है. इस त्रास्द घटना में 23 लोगों की जानें गईं हैं. मुंबई के लोगों को भी इससे गहरा धक्का लगा है. ऐसे समय में पत्रकारों के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो किसी भी तथ्य को प्रकाशित करने से पहले जितनी बार संभव हो जांच लें. हम पाठकों से अपील करते हैं कि इंटरनेट पर मौजूद पर जानकारी पर भरोसा न करें. ऐसी ग़लतियां न सिर्फ़ मीडिया पर लोगों के भरोसे को तोड़ती हैं बल्कि वीडियो में दिख रहे लोगों के चरित्र पर भी सवाल उठाती हैं.
आप इंटरनेट पर जो कुछ भी पढ़ें उसकी वैधता जांचने क कोशिश भी ज़रूर करें. ज़रूरी नहीं है कि हर ख़बर जो आप पढ़ रहे हैं वो सच ही हो.
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