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ये चायवाला है आरटीआई का सिपाही, दुकान है जानकारी का अड्डा
October 13, 2017
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भारत में सूचना का अधिकार लागू हुए 12 साल हो गए हैं. सूचना का अधिकार जब लागू हुआ था तब इसे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक क्रांतिकारी क़दम माना गया था लेकिन आज बहुत से आरटीआी कार्यकर्ता हताश और निराश महसूस करते हैं
बावजूद इसके बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने सूचना का अधिकार क़ानून को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई का अहम हथियार बनाया है.
ऐसे ही एक व्यक्ति हैं केएम यादव जिन्होंने इस क़ानून के ज़रिए सरकारी कार्य के बारे में जानकारियां हासिल की हैं.
इन्हीं के दम पर ग्रामीणों ने सरकार से मिलने वाली सुविधाएं हासिल की हैं.
केएम यादव यूपी के चौबेपुर गांव में चाय की दुकान चलाते हैं और यही दुकान उनका कार्यालय भी है.
केएम यादव की चाय की दुकान पर अधिकतर चर्चा सुविधाओं से जुड़े मुद्दों पर होती है.
वो आरटीआई के ज़रिए नई जानकारियां हासिल करते हैं और फिर इन्हें चाय पीने आए लोगों से साझा करते हैं.
यादव सिर्फ़ लोगों से जानकारियां ही साझा नहीं करते हैं बल्कि लोगों के सवालों को भी आवेदन की शक्ल देकर सरकारी कार्यालयों में भेजते हैं.
आसपास के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भी यादव के पास आते हैं.
गांव में जो लोग पढ़ लिख नहीं सकते हैं यादव उनकी ओर से भी आरटीआई दायर करते हैं
बीबीसी ने साल 2016 में की गई अपनी ख़ास सीरीज़ #unsungindians में यादव को जगह दी थी.
यादव ने बीबीसी से कहा था, “मैं महज एक कार्यकर्ता हूं और इन ग्रामीणों को उनकी समस्याओं से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं हासिल करने में मदद करता हूं.”
ज़्यादातर मुद्दे राशन की दुकानों, सड़क निर्माण, स्कूल के फंड आदि से जुड़े होते हैं.
कानपुर ज़िले के चौबेपुर गांव में यादव की चाय की दुकान अब जानकारी का अड्डा बन गई है.
यादव पहले कानपुर में ही नौकरी करते थे. साल 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़कर लोगों को आरटीआई के प्रति जागरुक करने का काम शुरू किया था.
उन्होंने साल 2013 में किराए का एक कमरा किया लिया और अपनी चाय की दुकान का इस्तेमाल आईरटीआई दायर करने के दफ़्तर के तौर पर करना शुरू कर दिया.
केएम यादव तबसे अब तक 800 से अधिक आरटीआई आवेदन दायर कर चुके हैं. वो स्वयं ही आरटीआी दायर नहीं करते हैं बल्कि बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं.
source: bbchindi.com
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