
ख़बरें
जिंदगी सस्ती पर बिल महंगा, फोर्टिस अस्पताल ने थमाया बेटी के शव के साथ 18 लाख का बिल
November 21, 2017
SHARES
आपने अक्षय़ कुमार की फिल्म गब्बर इज बैक देखी होगी, जिसमें एक मरे इंसान के इलाज के लिए डॉक्टर लाखों रुपए वसूलते हैं, लेकिन फिल्मी पर्दे की इस कहानी का सच आपको फोर्टिस अस्पताल में आद्या के परिवार के दर्द में दिख जाएगा.
आद्या के पिता का आरोपहै कि अस्पताल ने उनकी बच्ची के शव के कपड़े तक के पैसे वसूल लिए.
दिल्ली के द्वारका निवासी जयंत सिंह की सात वर्षीय बेटी आद्या सिंह नाम की इस बच्ची को कुछ दिन पहले डेंगू हो गया था. उसे एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां से उसे गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल रेफर कर दिया गया. बच्ची की हालत गंभीर थी लिहाज़ा उसे आईसीयू में रखना पड़ा.
बच्ची के पिता का आरोप है कि बच्ची के ब्रेन डेड हो जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन उनसे पैसा वसूलने के लिए इलाज करता रहा.
आरोप है कि ब्रेन डेड बच्ची आईसीयू में भर्ती थी और रोज़ बिल पर बिल भेजे जाते रहे. परिवार का कहना है कि इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने MRI कराकर उन्हें 18 लाख का बिल थमा दिया.
Started with Meropenem at INR 500 per strip, then realized the family is not protesting much, so pumped up to another brand at 7 times the price. pic.twitter.com/092fUXL12P
— D (@DopeFloat) November 19, 2017
अस्पताल ने आद्या के बिल के लिए 20 पन्नों का पर्चा तैयार किया, जिसमें सिर्फ दवाई का बिल ही चार लाख रुपये हैं. अस्पताल ने बिल में 2700 ग्लब्स, 660 सीरिंज और 900 गाउन के पैसे भी शामिल किए.
डॉक्टर की फीस 52 हजार रुपये शामिल की गई. दो लाख 17 हजार के मेडिकल टेस्ट का बिल भी तैय़ार किया गया. इस तरह कुल मिलाकर 18 लाख का बिल तैयार हो गया.
इस दिल दहला देने वाली खबर के मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सख़्त तेवर दिखाए और अस्पताल से इस पूरी घटना पर रिपोर्ट मांगी है. जबकि फोर्टिस अस्पताल ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि इलाज के दौरान सभी चिकित्सा प्रोटोकाल का पालन किया गया.
प्राईवेट अस्पताल किस तरह से संवेदनहीन और पैसा कमाने की मशीन बनते जा रहे हैं गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल की ये घटना इसकी एक और मिसाल है.
फोटो साभार- आजतक
PLEASE FRIENDS SPREAD IT AS MUCH AS YOU CAN .. SO THAT NO PARENT HAVE TO FACE SAME FATE , PAIN ,AGONY…TIAMissing You…
Posted by Fight against Healthcare Corruption on Wednesday, November 8, 2017
अपने विचारों को साझा करें