
सप्रेक
सप्रेकः अपना सबकुछ बेच कर दूसरों का पेट भर रहे हैं लंगर बाबा
December 19, 2017
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आज जब लोग धर्म के नाम पर दूसरों की जान लेने में तुले हैं उस माहौल में एक इंसान एक के बाद एक अपनी करोड़ों की सात प्रापर्टी सिर्फ इसलिए बेच दिया क्योंकि कोई भी गरीब भूखे पेट न सोए.
उनका मकसद सिर्फ एक है, भूखे को खाना खिलाना. 80 साल के जगदीश लाल आहूजा चंडीगढ़ के लंगर बाबा के नाम से मशहूर हैं.
यह फरिश्ता चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल के बाहर मरीजों, उनके तीमारदारों और गरीबों को पिछले 17 सालों से मुफ्त में खाना खिला रहा है.
जगदीश लाल आहूजा का जन्म आज से 80 साल पहले पेशावर में हुआ था, जो आज पाकिस्तान में है.
1947 में देश के बंटवारे के चलते जब वह पटियाला आए उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 12 साल थी.
जिंदा रहने के लिए कुछ करना जरूरी था, तो उन्होंने उस छोटी सी उम्र में टॉफियां बेचकर अपना गुजर–बशर किया.
1956 में जब वह चंडीगढ़ आए, तो उनके जेब में सिर्फ कुछ ही रुपये थे.
यहां उनका केले का कारोबार खूब फला–फूला और पैसे की कोई कमी न रही.
जगदीश आहूजा ने जबसे लंगर शुरू किया तबसे उनके सामने कई बार आर्थिक परेशानियां आईं, लेकिन वे कभी पीछे नहीं हटे और अपना सबकुछ दांव पर लगा दिय , लेकिन लंगर नहीं रूका.
लंगर चलता रहे, इसके लिए उन्होंने मेहनत से जुटाई अपनी संपत्तियों को एक–एक कर बेच दिया.
आज इस ‘लंगर बाबा‘ की वजह से रोजाना लगभग 2 हजार लोग अपना पेट भरते हैं.
जगदीश ने कसम खाई है कि जबतक वह जिंदा रहेंगे, तबतक उनका लंगर चलता रहेगा और भूखों का पेट भरता रहेगा.
वह सिर्फ लंगर ही नहीं चलाते, बल्कि समय–समय पर गरीबों में कंबल, स्वेटर, जूते और मोजे भी बांटते रहते हैं.
आपकी जिंदगी कड़वाहट से भर गई है ,आप धर्म के नाम पर दूसरों की जान लेने लगे हैं लेकिन इसी दुनिया में कहीं जगदीश लाल आहूजा जैसा इंसान भी हैं जो बिना किसी का धर्म और जाति पूछे उनका पेट भर रहा है.
मानवता के इस नेक बन्दे को हमारा प्रणाम.
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