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नेहा पंडिताः शरणार्थी कैंप से सिविल सेवा टॉपर तक का सफ़र
December 25, 2017
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एक शरणार्थी कैंप में रह रहीं नेहा पंडिता ने इस साल की जम्मू–कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की है.
नेहा पंडिता का शरणार्थी कैंप से सिविल सेवा में चयन तक सफ़र हिम्मत और जज़्बे की कहानी है.
नेहा जब अबोध बच्ची थीं तब उनके परिवार को शोपियां से जम्मू आकर बसना पड़ा था. अलगाववादियों ने घाटी में उनका पारिवारिक घर जला दिया था. उनके परिवार को जम्मू के बाहर एक टैंट में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.
शोपियां जम्मू–कश्मीर में अलगाववादी हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले ज़िलों में एक है.
नेहा के पिता रोशन लाल बताते हैं, “शोपियां से आने के बाद मेरे पास कोई काम नहीं था. हमारा सबकुछ लुट गया था. हम सिर्फ़ अपनी बेटी की ही चिंता करते थे और उसका ध्यान रखते थे.”
नेहा का परिवार शोपियां में खेती करता था. लेकिन सबकुछ पीछे छूट जाने के बाद अब वो सरकार से हर महीने मिलने वाली नक़द मदद पर जीवन बसर कर रहे हैं.
पांच लोगों के परिवार में नेहा सबसे छोटी हैं. जब उनके परिवार का घर छूटा तब वो बहुत छोटी थीं और शायद उस समय में वो घर छूट जाने के दर्द को न समझ पाईं हों लेकिन एक शरणार्थी कैंप में उकना जीवन हर दिन एक संघर्ष रहा है.
बावजूद इसके उन्होंने कभी भी हालात को अपनी पढ़ाई के रास्ते में नहीं आने दिया. उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. उनके पास ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री और एजुकेशन की डिग्री है.
नेहा पंडिता के लिए कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा पास करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
उन्होंने पूरे प्रदेश में चौथी रैंक हासिल की है.
पंडिता कहती हैं, “मैं जम्मू में काम करना चाहती हूं. लेकिन अगर मुझे मेरे गृहज़िले सोपियां भेजा गया तो में जाउंगी. भले ही वो हिंसा प्रभावित क्षेत्र है. मैं बस काम करना चाहती हूं.”
पिछले साल कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री की विशेष नौकरी योजना के तहत उन्हें शोपियां ज़िले के ट्रेज़री विभाग में अकाउंटेट की नौकरी दी गई थी.
नेहा पंडिता शरणार्थी कैंप में रहकर सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली पहली कश्मीरी पंडित महिला भी बन गई हैं. वो जम्मू के जगती कैंप में रहती हैं जहां के निवासी उन्हें मुबारकबाद देने के लिए इकट्ठा हुए. जम्मू के बाहरी क्षेत्र में बसे जगती कैंप में करीब पैंतालीस सौ कश्मीरी पंडित रहते हैं.
Congratulations to Kashyap Neha Pandita for ranking 4th in the Kashmir Administrative Service exams. Braving all odds with her hard work & perseverance she has made her state & her country proud.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 22, 2017
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने नेहा को मुबारकबाद देते हुए ट्वीट किया, “कश्मीर सिविल सेवा में चौथी रैंक हासिल करने के लिए कश्यप नेहा पंडिता को मुबारकबाद. अपनी हिम्मत से उन्होंने सभी मुश्किलों का सामना किया. उनकी मेहनत और लगन से उनका राज्य और देश गौरवान्वित है.”
नेहा के परिवीर को व्यक्तिगत तौर पर बधाई देने के लिए राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री नईम अख़्तर उनके घर भी आए.
नेहा ने दूसरी कोशिश में सिविल सेवा परीक्षा पास की है. एक महीने की कोचिंग के अलावा वो अपनी सेल्फ़ स्टडी पर ही निर्भर रहीं. वो रोज़ाना बारहस से चौदह घंटे पढ़ती थीं.
पैसों की किल्लत की वजह से वो साल भर की कोचिंग नहीं कर पाईं थईं.
जम्मू–कश्मीर की एक बड़ी आबादी, ख़ासकर युवा, अलगाववादी हिंसा से प्रभावित हैं. हिंसा प्रभावित इन युवाओं के लिए नेहा की कामयाबी की कहानी प्रेरणास्रोत है.
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