
मेरी कहानी
मेरी कहानीः ‘सर आपको रिलेशन बनाने हैं और बदले में पंद्रह हज़ार रुपए मिलेंगे’
January 4, 2018
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ये सर्दियों की एक आम अलसाई सुबह थी. मैं घंटाभर से बिस्तर से बाहर निकलूं या न निकलूं इसे उधेड़बुन में लेटा था कि फ़ोन की घंटी बजी.
उधर से एक लड़की की आवाज़ आई. सर मैं नेहा बोल रही हूं फ़्रेंड्शिप क्लब से. मैंने कहा जी बताइये तो उसने कहा आपको अमीर घर की महिलाओं से मुलाक़ात करनी है और इसके बदले में आपको पैसे मिलेंगे.
मैं इस कॉल के लिए तैयार नहीं था. लेकिन नेहा ने बेहद रोचक बात कर दी थी इसलिए मैं चाहकर भी फ़ोन नहीं रख पाया.
मैंने पूछा कि आपको मेरा नंबर कहां से मिला तो उधर से जवाब मिला कि आप स्पॉ गए थे, वहीं से आपका नंबर मिला है.
लेकिन मैं तो कभी स्पॉ गया ही नहीं था. ख़ैर, मैंने कहा कि मेरे समझ नहीं आया कि आप क्या कह रही हैं तो उधर से नेहा ने दोहराया– आपको अमीर घर की महिलाओं के साथ रिश्ते बनाने हैं और इसके बदले आपको पैसे मिलेंगे.
अब मैं समझ गया था कि ये एक फ्रॉड कॉल है. बेरोज़गारी के दौर में लोगों को ठगने का नया तरीका.
मैंने नेहा से कहा– अमीर घर की महिला से रिलेशन बनाने के लिए मुझे पैसे मिलेंगे, लेकिन आपको क्या मिलेगा, आप क्यों फ़ोन कर रही हैं.
तब उसने जवाब दिया– हम आपसे कमीशन लेंगे. मैंने अपनी ओर से कह दिया और वो कमीशन आधा होगा या दस प्रतिशत.
नेहा ने कहा कि हम आपसे दस प्रतिशत लेंगे. मैंने कहा, वो तो ठीक है लेकिन वो दस प्रतिशत आप मुझे भुगतान मिलने के बाद लेंगी या एडवांस.
नेहा ने कहा कि वो तो हम एडवांस ही लेंगे. मैंने कहा ठीक है– ये बताओ कि वो मुझे आपको कैसे देने है. नेहा ने तुरंत कहा– आप अभी मेरे इसी नंबर पर पेटीएम कर सकते हैं.
मैं सोच रहा था कि कितने ही ऐसे लोग होंगे जो नेहा जैसी फ्रेंड्सकल्ब वाली लड़कियों के चक्कर में फंस जाते होंगे और पंद्रह हज़ार और फ्री सेक्स संबंधों के लालच में पंद्रह सौ रुपए पेटीएम कर देते होंगे.
ख़ैर, मैंने नेहा से पूछा कि तुम कहां तक पढ़ी हो. उसने जवाब दिया कि इसका फ्रेंड्सशिप क्लब और हमारी डील से कोई मतलब नहीं है.
मैंने कहा कि मतलब तो नहीं है लेकिन फिर भी बता दीजिए. नेहा ने बताया कि वो बारहवीं तक पढ़ी है और अब ग्रैजुएशन करना चाहती है.
मैंने नेहा से पूछा कि क्या वो पहले कभी जेल गई है. इस सवाल पर वो बुरी तरह चौंक गई और तपाक से बोली कि आपको क्लब ज्वाइन नहीं करना तो ना करें लेकिन मुझे जेल तो ना ही भेजें.
मैंने फिर नेहा से कहा कि जो ज़ॉब वो कर रही हैं वो ग़लत हैं. अब नेहा समझ चुकी थी कि ये मुर्गा बनने वाला नहीं हैं. उसने भी कह दिया कि हां, हम जो कर रहे हैं वो ग़लत है.
फिर मैंने नेहा से कहा कि जो काम आप कर रही हैं ये आपको मुश्किल में डाल सकता है. नेहा ने कहा कि हां मैं जानती हूं कि मुश्किल हो सकती है.
फिर उसने एक बात और कही, सेक्स के बदले हज़ार पंद्रह सौ रुपए पेटीएम करने वाले लोग शिकायत करने की जहमत नहीं उठाते.
वो जान जाते हैं कि उनका उल्लू बन गया है लेकिन फिर भी वो शर्म के मारे पुलिस के पास नहीं जाते.
अब नेहा फ़ोन रखना चाह रही थी और बार–बार कह रही थी कि आपको क्लब ज्वाइन नहीं करना तो ना करें और फोन रख दें.
और मैं कह रहा था कि मैं तुम्हें जेल भिजवा सकता हूं.
फिर नेहा ने फ़ोन रखने से पहले कहा, सर बेरोज़गारी बहुत है और हम जो कर रहे हैं वो भी एक काम ही है और ये काम हो रहा है जेल भेजने वालों को भी पता है.
मैंने नेहा से आख़िरी सवाल पूछा– कितने बेरोज़गार रोज़ाना तुम्हारे पेटीएम में पैसे डाल देते हैं.
नेहा ने कहा, कभी चार कभी पांच. दिन भर कॉल ही तो करना है. कोई फंस गया तो ठीक न फंसा तो ठीक.
नेहा ने फ़ोन रख दिया. बहुत देर तक मेरे दिमाग में वो अमीर घर की पंद्रह हज़ार रुपए देने वाली नेहा के दिमाग की कल्पना घूमती रही.
(लेखक ने अपना नाम न प्रकाशित करने का आग्रह किया है.)
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