
सप्रेक
एक फ़ोन कॉल ने बचा दी तमिलनाडु की पंद्रह वर्षीय छात्रा की ज़िंदगी
February 1, 2018
SHARES
15 साल की नंदिनी 19 जुलाई 2017 को अपने जीवन का सबसे डरावना दिन मानती हैं.
नंदिनी को दुल्हन की तरह सजाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया था. अगले दिन उनकी एक 28 साल के युवक से शादी होने वाली थी.
ये सब नंदिनी की मर्ज़ी के बिना हो रहा था. नंदनी ने उस दिन भगवान को दिल से याद किया.
नंदिनी ने प्रार्थना की, भगवान अगर आज तुमने मुझे नहीं बचाया तो मैं कभी दोबारा तुम्हारी पूजा नहीं करूंगी.
नंदिनी भगवान को याद कर ही रही थी कि पुलिस की गाड़ियों के सायरन सुनाई दिए.
ज़िला बाल विवाह रोकथाम अधिकारी क्रिस्टीना डी डोरोथी दलबल के साथ नंदिनी की मदद के लिए पहुंच गईं थीं. लेकिन ऐसा अलौकिक हस्तक्षेप की वजह से नहीं हुआ था.
नंदिनी जब सिर्फ़ दस साल की थी उनकी मां का देहांत हो गया था. उनका पालन पोषण उनकी एक रिश्तेदार ने गांव के पारंपरिक रीतिरिवाज़ों के साथ किया था.
नंदिनी और उसकी बड़ी बहन को अकेला छोड़कर उनके पिता दोबारा शादी कर चुके थे.
नंदिनी की बहन जब सिर्फ़ 17 साल की थी तब उसकी भी शादी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कर दी गई थी और ऐसा ही उसके साथ चौदह साल की उम्र में किया जा रहा था.
दरअसल उनके रिश्तेदारों को लगता था कि वो अतिरिक्त बोझ हैं जिसे उतारना ज़रूरी है.
नंदिनी अपनी आंटी से कहती हैं कि वो आगे पढ़ना चाहती है लेकिन उसकी एक नहीं सुनी जाती.
और फिर नंदिनी ने हालात को अपने हाथ में लेने का फ़ैसला किया. उसने वो पर्चा निकाला जो उसके स्कूल में ज़िलाधिकारी की ओर से बंटबाया गया था.
पर्चे में लिखा था कि बच्चे यदि किसी उत्पीड़ना का समना कर रहे हैं तो वो हेल्पलाइन नंबर पर क़ॉल करें. पर्चे में बिना मर्ज़ी के ज़बरदस्ती शादी करवाए जाने की दशा में भी मदद मांगना का ज़िक्र था.
जैसे ही नंदिनी की आंट घर से बाहर गईं उसने शाम साढ़े छह ज़िलाधिकारी के दफ़्तर में फोन किया जहां से उसकी कॉल को समाज कल्याण विभाग भेज दिया गया.
नंदिनी की आवाज़ कांप रही थी. वो दबी आवाज़ में हालात बयां कर रही थी. अधिकारियों को उसकी हालत का अहसास हो गया.
इस एक फ़ोन कॉल ने नंदिनी को ज़बरदस्ती के रिश्ते से बचा लिया. समय पर पहुंचे अधिकारियों ने नंदिनी की शादी रुकवा दी.
बीते सप्ताह नंदिनी उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्हें राज्य का बेटी सशक्तीकरण अवॉर्ड दिया गया.
नंदिनी अब चिल्ड्रन होम में रहकर दसवीं की तैयारी कर रही है. वो अब पढ़कर सिविल सेवा अधिकारी बनना चाहती है ताकि अपने जैसी लड़कियों को बचा सके.
इस मामले में लिप्त लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है. तमिलनाडु सरकार के मुताबिक बीते साल प्रदेश में 1586 बाल विवाह रोक दिए गए. हालांकि सिर्फ 158 मामलों में ही मुक़दमे दर्ज किए जा सके.
अपने विचारों को साझा करें