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नहीं मिले आलू की फसल के दाम, किसान ने दी जान
February 16, 2018
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उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में आलू के एक किसान ने फ़सल के सही दाम न मिलने से आहत होकर आत्महत्या कर ली है.
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक शिकोहाबाद क़स्बे के छीछामऊ गांव के रहने वाले सतीश चंद्र ने साहूकारों से ऊंची ब्याज़ पर क़र्ज़ लेकर आलू की खेती की थी.
लेकिन फसल के सही दाम उन्हें नहीं मिल पाए और वो क़र्ज़ नहीं चुका पाए. गुरुवार को उन्होंने अपने आप को गोली मारकर जान दे दी.
वहीं सतीश कुमार ने अपने सुसाइड नोट में क़र्ज़ के लिए परेशान करने वाले कई लोगों का ज़िक्र किया है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की जा रही है.
एटा-आलू की फसल बर्बाद होने और किसानों द्वार की जा रही आत्महत्या से आक्रोशित किसानों ने ट्रेन रोककर विरोध प्रर्दशन किया. समग्र विकास के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन में हुए शामिल. @UPGovt pic.twitter.com/6IeeKtu1P1
— ETV UP/UK (@ETVUPLIVE) February 13, 2018
पुलिस के मुताबिक सतीश चंद्र ने अधिकतर कर्ज़ लौटा दिया था और कुछ ही क़र्ज़ वापस रह गया था जिसके लिए उन्हें परेशान किया जा रहा था.
वहीं सतीश चंद्र के परिवार का कहना है कि उन पर किसान क्रेडिट कार्ड का भी कुछ क़र्ज़ बकाया था.
सतीश के परिजनों का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़मीन पर आलू बोने के अलावा कुछ और खेत किराए पर लेकर उनमें आलू की फसल लगाई थी.
लेकिन अच्छी पैदावार के बावजूद बाज़ार में सही दाम न होने की वजह से उन्हें लगातार घाटा हो रहा था.
परिजनों के मुताबिक सिर्फ़ ब्याज़ ही इतना ज़्यादा जा रहा था कि उसे चुकाना सतीश के लिए मुश्किल होता जा रहा था.
यूपी विधानसभा के सामने आलू फेंकने के आरोप में 2 गिरफ्तार … pic.twitter.com/zK6TA7jbBs
— Charcha Aaj Ki (@CharchaAajKi) January 13, 2018
वहीं परिजनों का आरोप है कि आत्महत्या से एक दिन पहले भी एक साहूकार अपना कर्ज़ मांगने सतीश के घर आया था और असमर्थता जताने पर उन्हें धमकाया था और बदतमीज़ी की थी.
उत्तर प्रदेश के आगरा, फ़िरोज़ाबाद और फ़र्रूख़ाबाद इलाक़े में किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं.
पिछले दो-तीन सालों से आलू की फसल तो बहुत अच्छी हो रही है लेकिन किसानों को बाज़ार में फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है जिसकी वजह से किसानों और आलू व्यापारियों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है.
बहुत से किसान अधिक क्षेत्र में आलू लगाने के लिए दूसरों की ज़मीन भी बट्टे पर लेते हैं. कुछ साल पहले तक आलू फ़ायदे की खेती हुआ करती थी और किसान अच्छी कमाई कर लिया करते थे.
लेकिन बंपर पैदावार की वजह से किसानों को बाज़ार में आलू का भाव नहीं मिल पा रहा है.
हालात कितने भयावह हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में आगरा में किसानों ने हज़ारों टन आलू फेंक दिया था.
आलू की फसल के दाम न मिल पाने से आहत कुछ किसानों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास के बाहर आलू फेंक दिए थे.
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