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पाकिस्तानी युवक के सीने में धड़कता हुआ हिंदुस्तानी दिल संकट में!
April 6, 2018
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पाकिस्तानी की गुहार- मेरे सीने में धड़कते हिंदुस्तानी दिल को बचा लीजिए
वीसा समस्याओं के चलते, पाकिस्तानी युवक के अंदर धड़कता हुआ हिंदुस्तानी दिल संकट में!!
कुछ महीने पहले, चेन्नई के फोर्टिस अस्पताल से हृदय प्रत्यारोपण करवाने वाले एक पाकिस्तानी व्यक्ति फ़ैसल अब्दुल्ला मलिक” ने हृदय दान करने वाले की माँ और संबंधित लोगों को तहे-दिल से शुक्रिया अदा करते हुए एक खत लिखा है.
वह एक नया जीवन पाकर बहुत खुश थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों से कराची में फ़ैसल अपनी जिंदगी से संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उनके सीने में लगा यह भारतीय दिल सही उपचार न मिल पाने के कारण ठीक से काम नहीं कर पा रहा है.
उन्होंने भारतीय उच्चायोग और विदेश मंत्री तक को ढेरों पत्र, ई-मेल व ट्वीट भी किये परन्तु हर जगह से निराशा ही हाथ लगी. कोई अन्य रास्तान न निकलता देख फ़ैसल ने इमरजेंसी मेडिकल वीसा के लिए जनवरी 8, 2018 को आवेदन किया था.
Dear @SushmaSwaraj,
I'm a heart patient from Pakistan & received transplant from@fortis_hospital Chennai, India. My transplanted heart is failing & I'm
unable to receive appropriate advice/ treatment in Pak.1/2— Faisal Aey Malik (@FAMBraveHeart) March 8, 2018
फ़ैसल की जिंदगी के संघर्ष की कहानी
2014 में, फ़ैसल वायरल मायोकार्डिटिस नामक बीमारी से ग्रसित हो गए. यह एक ऐसा वायरस है, जो हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर देता है. इससे बचने का एकमात्र जरिया हृदय प्रत्यारोपण ही है.
उन्होंने इलाज के लिए कई देशों से संपर्क किया, लेकिन हर जगह से असफलता ही हाथ लगी. तभी उन्हें चेन्नई के मलार हॉस्पिटल के बारे में पता चला. 2 जनवरी, 2015 को, 90 -मिनट के ऑपरेशन के बाद फ़ैसल के शरीर में नया हृदय प्रत्यारोपित कर दिया गया. ये ऑपरेशन डॉ के आर बालकृष्णन की अगुवाई वाली टीम ने किया.
उन्होंने तर्कसंगत से कहा , “मुझे लगा कि मैं अच्छी स्थिति में हूँ. मेरे साथ उतना बुरा भी नहीं हो सकता. फिर मैंने महसूस किया कि शायद ये मेरे जीवन का अंत था.”
फ़ैसल कहते हैं, “मैं पाकिस्तान के एक मध्यम-वर्ग के परिवार से हूँ. मैं, मैं अपने माता-पिता का एकलौता बेटा और पाँच बहनों का अकेला भाई हूँ. मैंने स्नातक करने के बाद, कड़ी मेहनत करके एमबीए किया और एक व्यवसायिक बैंक में काम करने लगा. मेरी एक पत्नी और दो बच्चे हैं. मेरे परिवार के लिए यह समय संघर्षपूर्ण था मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी, कि मैं जल्दी ही मरने वाला था।“
उन्होंने आगे बताया कि कराची में उसे हृदय प्रत्यारोपण न करवाने की सलाह दी गयी थी. फ़ैसल बताते हैं “उन्होंने सुझाव दिया कि मैं दवाओं की मदद से थोड़े अधिक समय तक जीवित रह सकता हूँ. हालांकि, मैंने उनकी सलाह के बाद अपना निर्णय लिया और भारत एकमात्र देश था जहाँ मुझे आशा की एक किरण दिखाई दी, वो भी उस समय जब दुनिया के बहुत से देश मुझे नकार चुके थे.”
5 दिसंबर 2014 को फ़ैसल ने कराची-दुबई-चेन्नई की यात्रा की. यह उसके जीवन की सबसे दर्दनाक यात्रा थी क्योंकि उसके ज्यादातर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, उसकी बीमारी की वजह से विमान के लोगों को भी खासी परेशानी उठानी पड़ी. हालांकि, इतने परेशानियों के बाद, वो मलार हॉस्पिटल पहुँच गS जहाँ उन्हें 22 दिनों के लिए भर्ती रखा गया.
डॉक्टरों के लिए पहली चुनौती उनके बंद हो चुके अंगों किडनी, फेफड़े और लीवर को वापस स्थिर करना था. फिर हृदय प्रत्यारोपण के लिए एक हृदय दान करने वाले का इंतजार किया गया. फ़ैसल के जीवन में नया मोड़ तब आया जब मोहिन राज जो कि एक भारतीय थे के परिवार के लोगों ने फ़ैसल के लिए उनका हृदय दान करने का फ़ैसला लिया.
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