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संसद में 18 सालों में हुआ सबसे कम काम, अहम मुद्दों पर नहीं हुई चर्चा
April 7, 2018
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भारतीय संसद का बजट सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया.
इस सत्र में लोकसभा में सिर्फ़ 23 और राज्यसभा में 28 प्रतिशत काम ही हुआ.
लगातार होते रहे हंगामों की वजह से दोनों सदनों के 250 घंटे बर्बाद हो गए.
यदि संसद में काम के लिहाज से देखा जाए तो ये बीते 18 सालों में संसद का सबसे ख़राब सत्र रहा.
इससे पहले साल 2000 में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 21 और राज्यसभा की 27 प्रतिशत रही थी.
इस बार संसद में नीरव मोदी विवाद, आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य की मांग और कावेरी विवाद जैसे मुद्दे सदन की कार्रवाही पर हावी रहे.
विपक्ष की कांग्रेस, टीडीपी, एआईएडीएमके जैसी पार्टियां संसद में लगातार हंगामा करती रहीं.
इस वजह से दोनों सदनों में सिर्फ़ 78.5 घंटे काम ही हो सका. इस दौरान भी हंगामे होते रहे.
लोकसभा में कुल 29 बैठकें हुईं और 34.5 घंटे काम ही हो सका. वहीं राज्यसभा में कुल 30 बैठकों में 44 घंटे काम हुआ.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने विपक्ष पर संसद के समय की बर्बादी का आरोप लगाते हुए कहा, ‘भाजपा लोगों को जोड़ रही है जबकि विपक्ष नकारात्मक राजनीति कर रहा है और इसलिए ही संसदीय कार्रवाही नहीं चलने दी जा रही है.’
संसद में हुए हंगामों और समय की बर्बादी के विरोध में भाजपा सांसद अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में एक दिन का उपवास करेंगे.
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग के समर्थन में शुक्रवार को वाईएसआर कांग्रेस के पांच सांसदों ने इस्तीफ़ा दे दिया है.
आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी टीडीपी और विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हंगामा कर रही हैं.
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