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एमपी सरकार द्वारा किया गया नौकरी का वादा ना निभाने के कारण, पैरा-एथलीट को सड़क पर भीख मांगना पड़ रहा है
Image Credits: ANI/Twitter
September 5, 2018
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मनमोहन सिंह लोधी, नरसिंहपुर के एक राष्ट्रीय स्तर के पैरा-स्प्रिंटर और जिन्हें कभी मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ पैरा-एथलीट के रूप में जाना जाता था, अब उनके पास कोई और रास्ता नहीं है, जिसकी वजह से वह अब भोपाल की सड़कों पर भीख मांग जीवन गुजार रहे है.
इंडिया टीवी के अनुसार, एथलीट का कहना है कि उसने तब से भीख मांगना शुरू कर दिया था जब राज्य सरकार (भाजपा) अपने वादों पर खरी नहीं उतरी थी. उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद अन्य चीजों के साथ साथ नौकरी देने का वादा किया था. लोधी, जो आर्थिक रूप से कमजोर बैकग्राउंड से आते है, ने सरकार द्वारा किए गए वादों के बारे में बात करते हुए कहा, “मैं चार बार मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) से मिला हूं, उन्होंने वादे किए थे, लेकिन उनमें से किसी को भी पूरा नहीं किया. इसलिए अगर सीएम मेरी मदद नहीं करेंगे, तो मैं सड़कों पर भीख मांगकर अपनी आजीविका कमाऊंगा”.
उनका बैकग्राउंड
लोधी, मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर जिले के कंदरापुर गाँव के पैरा-स्प्रिंटर हैं. 2009 में एक दुर्घटना में लोधी अपना एक हाथ खो देने के बाद भी, दिव्यांगता उनकी आत्मा को चोट नहीं पंहुचा पायी.
एक छोटे शहर से आने वाले, लोधी ने कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार जीते. 2017 में, लोधी ने अहमदाबाद में 100-200 मीटर स्प्रिंट में रजत पदक जीता. यह वही समय था जब उन्हें म.प्र. में सर्वश्रेष्ठ पैरा-एथलीट घोषित किया गया था और उन्हें सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था. हालाँकि, सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया. लोधी अपनी दिव्यांगता के कारण दूसरी नौकरी हासिल करने में भी असफल रहे.
Madhya Pradesh: Manmohan Singh Lodhi, a National-level para-sprinter from Narsinghpur, says he has started begging on the streets of Bhopal since the state govt is not fulfilling the promises of a government job among others made to him, after he won medals on national level pic.twitter.com/0MjUz7P9jg
— ANI (@ANI) September 2, 2018
2017 में, म.प्र. सरकार ने दिव्यांगों (विशेष रूप से विकलांग) के लिए 6000 नौकरियों के उद्घाटन की घोषणा की थी. नौकरी पाने की उम्मीद में, लोधी ने भी आवेदन किया, लेकिन उनकी किस्मत और खेल की साख ने उनकी मदद नहीं की. हृदयाघात और निराशा से भरे हुए लोधी ने सड़कों पर भीख मांगने का फैसला किया है.
तर्कसंगत M.P सरकार से जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप करने और एथलीट मनमोहन सिंह लोधी को नौकरी प्रदान करने का आग्रह करता है. यह देश के लिए शर्म की बात है कि एथलीट जो देश को गौरवान्वित करने के लिए इतनी कड़ी मेहनत करते हैं, उन्हें आवश्यक सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए हताश उपायों का सहारा लेने के लिए मजबूर किया जाता है.
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