
मेरी कहानी
मेरी कहानी: किसी भी तरह के सुधार के लिए हमारे पास केवल कुछ महीने ही हाथ में थे
December 7, 2018
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मेरी माँ 58 साल की है, कुछ महीने पहले हमें पता चला कि उन्हें लिवर सिरोसिस के नाम की बिमारी है। इस साल जनवरी में, हमने स्थिति की गंभीरता को महसूस किया, उनका लिवर ट्रांसप्लांट करवाना बेहद ज़रूरी था।
पहले बीमारी के बारे में थोड़ा जाने लें – लिवर सिरोसिस एक इर्रिवर्सिबल डैमेज है, मतलब कि जो क्षति आपके लिवर को हो गयी उसे वापस से ठीक नहीं किया जा सकता। इसकी गंभीरता के आधार पर इसके परिणाम, और तीव्रता को देखभाल और रोकथाम से बदला जा सकता है। आपको मालूम होना चाहिए कि तुरंत इस स्थिति में तुरन्त क्या किया जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त लिवर के साथ, शरीर अन्य के अंगों जैसे कि गुर्दे, फेफड़ों आदि पर बहुत अधिक दबाव बढ़ जाता है, और सही से देखभाल न हो तो कुछ अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं। दूसरा, शरीर में पानी जमने लगता है और संक्रमण (इन्फेक्शन) फैलने लगता है जो फिर से हानिकारक हो सकता है। उन मामलों में जहाँ लिवर डैमेज ज़्यादा है, काफी दवा खाने के परिणामस्वरूप मानसिक आघात / अस्थिरता होती है और रोगी डिप्रेशन में भी जा सकता है।
किसी भी तरह के सुधार के लिए हमारे पास केवल कुछ महीने ही हाथ में थे। हमने डॉक्टरों, सर्जनों, अस्पतालों, अनुभवियों और सबसे मिलना ज़ारी रखा और सबसे ज़रूरी – डोनर के लिए अपनी खोज शुरू की। थोड़े समय के साथ, हम समझ गए कि बाहरी डोनर खोजना आसान विकल्प नहीं था। इसलिए, हम सभी 3 (मेरी बहन, भाई और मैं) जो एक ही ब्लड ग्रुप के हैं, डोनर टेस्ट के लिए आगे बढ़े क्योंकि हम तीनों माँ के लिए डोनर बनना चाहते थे।
फरवरी के महीने में हमने पाया कि मैं सबसे स्वस्थ डोनर थी। एक स्वस्थ डोनर मरीज़ के लिए भी स्पष्ट रूप से अच्छा है और डोनर को तेजी से ठीक करने में भी मदद करता है।
हमारे परिवार के लिए, अब यह एक बड़ा सवाल था कि बेटी के ‘जीवन को जोखिम’ में डालना है या नहीं? और साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना कि माँ को समय पर उसका इलाज मिल जाए। मेरे अनुभव का यह हिस्सा वास्तव में मैं साझा करना चाहती हूँ। हम डोनर के भाइयों, बेटों, बेटियों और पत्नियों से मिले जिन्होंने परिवार के सदस्यों को दान दिया था, हम डॉक्टरों से भी मिले जिन्होंने हमें आश्वासन दिया कि ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में नाम मात्र का खतरा या दिक्कतें हैं, सिवाए इसके कि पेट पर 10-12 इंच की सिलाई के कारण दर्द होगा जो कुछ हफ्तों में ठीक हो जायेगा और 60 प्रतिशत जिगर जो बाहर निकाला जाता है वह 15 दिन से 3 महीने में पुनर्जीवित हो जाता है।
हम खुश हैं और भाग्यशाली महसूस करते हैं कि हमारे पास एक मौका था और एक परिवार के रूप में हमने इसका लाभ उठाया। साथ ही डॉ सुभाष गुप्ता मैक्स अस्पताल लिवर ट्रांसप्लांट के टीम के प्रयास ने यह सुनिश्चित किया कि इसमें कुछ बाधा न हो और सब कुछ आसानी से हो जाए|
दुनिया भर में लिवर डोनर के लिए बढ़ती मांग है। इस थोड़े से समय में, मैंने लोगों को अपनों को खोते देखा है क्योंकि वे समय पर डोनर नहीं ढूंढ पाए और और पूरी तरह से टूट गए। पहले से डोनर की संख्या में वृद्धि हुई है, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इस बात को जानें कि यह एक कम जोखिम वाली प्रक्रिया है। और यह कैसे ज़िन्दगी को बचाने में मदद कर सकता है, खासकर किसी ऐसे व्यक्ति की ज़िन्दगी जिसे आप पसंद करते हैं। यह जानकर कि आगे आप भी एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, और किसी की ज़िन्दगी में बदलाव ला सकते हैं, अच्छा लगता है।
कहानी: दिपांशी चौधरी
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