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ऑस्ट्रेलिया में अडानी के कोल माइंस के खिलाफ सड़कों पर नारे लगाए गए
Image Credits: RobertHume/Twitter
December 10, 2018
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8 दिसंबर को, ऑस्ट्रेलिया भर में हजारों लोग अडानी की भारतीय खनन कंपनी द्वारा क्वींसलैंड में कोयला खदान खोले जाने के में सड़क पर उतर आये। इसके पहले पिछले हफ्ते भी 15000 स्कूली बच्चों ने सरकार की क्लाइमेट चेंज पर उदासीन रवैये को देखते हुए विरोध किया था।
पिछले महीने, अडानी ने घोषणा की कि वह इस विवादास्पद कोयले की खान के निर्माण को आगे बढ़ाएंगे। हालाँकि, इस परियोजना को उत्त्पादन क्षमता को पहले की योजनाओं के हिसाब से काफी हद तक घटा दिया जाएगा।
“अदानी बंद करो”
मेलबर्न, सिडनी, ब्रिस्बेन और केर्न्स में प्रदर्शनकारियों ने पैदल मार्च निकाली और प्रदर्शन किया, द इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया कि अडानी ने कहा है कि कारमाइकल कोयले की खान पर काम जल्द ही शुरू होगा| प्रदर्शनकारियों ने “स्टॉप अडानी” लिखा बैनर लेकर साथ में मार्च किया, “कोई प्लैनेट बी नहीं है” और ” मैं शर्त लगाता हूं कि डायनासोर ने सोचा कि उनके पास भी समय है” आदि तरह के भी बैनर देखे गए।
Over a thousand people are currently outside Adani's HQ in Brisbane. It's time that we #StopAdani #Fight4Future pic.twitter.com/xPcceP2l3c
— Robert Hume (@robertihume) December 7, 2018
ऑस्ट्रेलियाई यूथ क्लाइमेट कोएलिशन के अनुसार, अकेले मेलबोर्न में करीब 5,000 लोग सड़क पर उतर आये थे। ब्रिस्बेन में, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने अडानी के मुख्यालय के बाहर परियोजना के विरोध में आवाज उठाई।
द गार्जियन के अनुसार, प्रस्तावित परियोजना का लक्ष्य पहले सालाना 60 मिलियन टन कोयला निकालने की थी, कुल $16.5 बिलियन मेगा माइनिंग की योजना थी और अब इसे सालाना 10-15 मिलियन टन उत्पादन करने वाले और $ 2 मिलियन अमरीकी डालर के हिसाब से घटा दिया गया है। विरोध प्रदर्शनों के बारे में, अडानी माइनिंग ने कहा कि वह यह महसूस करता है कि परियोजना के बारे में “विभिन्न राय हैं”, हालांकि, उन्होंने सभी को अपनी राय सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से उठाने का अनुरोध किया।
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का ध्यान खींचने के लिए कैनबरा में संसद भवन के आगे भी धरना दिया।
क्लाइमेट चेंज के खिलाफ बच्चों ने सबसे ज़्यादा आवाज़ उठायी
यह क्लाइमेट चेंज के संबंध में सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई स्कूल के बच्चों का विरोध था, जो नागरिक आंदोलन के रूप में सबसे अच्छा वर्णन किया जा सकता है।
30 नवंबर को, क्लाइमेट चेंज पर सरकार से कार्रवाई की मांग करने के लिए हजारों बच्चे अपने कक्षाओं से बाहर आये। 15 वर्षीय स्वीडिश छात्र, ग्रेटा थुनबर्ग ने देश के 9 सितंबर के चुनावों से पहले क्लाइमेट चेंज पर ध्यान आकर्षित करने के लिए स्कूल जाने से इनकार कर दिया। थुनबर्ग को ऑस्ट्रेलिया में “स्ट्राइक 4 क्लाइमेट एक्शन” के पीछे का प्रेरणा माना जाता है।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री, स्कॉट मॉरिसन ने पहले छात्रों से “लेस्स एक्टिविस्ट” होने का आग्रह किया था और उन्हें भाग लेने से मना किया था।
उल्लेखनीय है कि, ऑस्ट्रेलिया ने 2030 तक साल 2005 के स्तर उत्सर्जन को 26-28% तक कम करने का वचन दिया था। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की साल 2017 क्लाइमेट पालिसी में कोई सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2030 के लक्ष्य के मुकाबले उत्सर्जन का स्तर ऊंचा रहेगा।
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