
ख़बरें
एक बिछड़ी बेटी को तेलंगाना पुलिस ने परिवार से मिलाया
December 19, 2018
SHARES
तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित एक चेहरा पहचानने के उपकरण ने 16 दिसंबर को असम से एक लापता लड़की को अपने परिवार के साथ दोबारा मिलने में मदद की है।
असम के लखीमपुर में बोगिनोदी की अंजली तिग्गा 1 अगस्त, 2016 को लखीमपुर में एक चाय बागान से गायब हो गईं। रिपोर्ट के अनुसार, वह बेहतर आजीविका की तलाश में दिल्ली चली गई। 16 वर्षीय लड़की सितंबर में असम वापस आई और सोनितपुर में बस गई। तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित एक चेहरा पहचानने के उपकरण (फेस रिकग्निशन सिस्टम), ने अधिकारियों को सतर्क किया कि लड़की को तेजपुर, असम में बच्चों के आश्रय घर में भर्ती कराया गया है। रेलवे पुलिस ने उसे सड़कों पर घूमते देखा और उसे बाल कल्याण प्राधिकरणों को सौंप दिया, जिन्होंने बदले में उसे आश्रय घर में भर्ती कराया।
#FacialRecognition
Anjali Tigga 16yrs, missing since 2016 from Lakhimpur, Assam found at Sonitpur Child Care Institution using #TelanganaPolice Facial Recognition Tool 'Darpan'.
Emotional reunion followed…..@TelanganaDGP @shesafe_ts pic.twitter.com/CTZEoOanlo— Swati Lakra IPS (@IGWomenSafety) December 16, 2018
“हमने तुरंत तेजपुर में पुलिस को सतर्क कर दिया और उन्होंने सोनपुर, तेजपुर में चिल्ड्रन शेल्टर होम से संपर्क किया। लड़की को रविवार को अपने परिवार के सदस्यों के पास भेज दिया गया, “आईजी (एल एंड ओ), महिला सुरक्षा विंग, स्वाती लाकरा ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया|
ऑपरेशन स्माइल
ऑपरेशन स्माइल बाल मजदूरों को बचाने और लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान है। ऑपरेशन स्माइल का दूसरा चरण 1 जनवरी 2016 को गृह मंत्रालय ने शुरू किया था। ऑपरेशन स्माइल के पहले चरण के तहत, यह बताया गया था कि 9146 बच्चों को बचाया गया था या पुनर्वास किया गया था।
ऑपरेशन स्माइल के चल रहे दूसरे चरण के तहत, आश्रय घरों, प्लेटफॉर्म, बस स्टैंड, सड़कों, धार्मिक स्थानों आदि में रहने वाले सभी बच्चों की प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों द्वारा जाँच की जानी चाहिए। इसके अलावा, किसी भी बचाए गए बच्चों के विवरण को राज्य पुलिस द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के ‘लापता बच्चे’ पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे। जब भी आवश्यक हो, पुनर्वास उपायों को अन्य सरकारी विभागों के समन्वय में लिया जाना चाहिए ताकि पुन: पीड़ित होने का दायरा समाप्त हो जाए।
यह भी जोर दिया गया है कि राष्ट्रीय मीडिया आदि पर विज्ञापन के माध्यम से जन जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।
अपने विचारों को साझा करें