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18 वर्षीय अमल पुष्प यूके की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए हैं
January 4, 2019
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ब्रिटेन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ने कक्षा 12 वीं के अमल पुष्प को ब्लैक होल पर शोध के लिए चुना है. अमल दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना में पढ़ते हैं. यह प्रतिष्ठित सोसाइटी एस्ट्रोनॉमी, जिओफिज़िक्स और उससे सम्बंधित विषयों के क्षेत्र में अनुसंधान और अध्ययन को बढ़ावा देता है. अमल पुष्प को लॉर्ड मार्टिन रीस द्वारा नामित फेलोशिप मिला, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक एमेरिटस प्रोफेसर थे.
ब्लैक होल एस्ट्रोफिजिक्स पर उनके रिसर्च पेपर को अन्य फिज़िशिस्ट द्वारा सराहा गया है और उन्होंने वैज्ञानिक जर्नल में अमल के रिसर्च पेपर को प्रकाशित करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. सोसाइटी में, रॉयल फैलोशिप ज्यादातर पीएचडी स्तर के पेशेवरों, पोस्ट-ग्रेजुएट और सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों को प्रदान की गई है, अमल का चयन उनकी प्रतिभा और योग्यता को दर्शाता है, जिसे उन्होंने काफी कम उम्र में प्रदर्शित किया है.

पृष्टभूमि
अमल पुष्प भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान में खासा रुचि रखते हैं और वह हमेशा इस क्षेत्र के बारे में अधिक जानना चाहते हैं. आर्यभट्ट, की भूमि पटना के रहने वाले अमल ने सभी को गौरवान्वित किया है और कई युवा फिज़िशिस्ट को उनकी युवा प्रतिभा पर आश्चर्य हुआ है. उन्होंने अपना पेपर मशहूर फिज़िशिस्ट पार्था घोष को भेजा था, जिन्होंने उनके पेपर का समर्थन किया और बाद में इसे प्रकाशन के लिए भी भेजा. एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कलकत्ता में पूर्व प्रोफेसर रह चुके, पार्था घोष ने उनके काम की सराहना की और साझा किया कि ऐसी युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. अमल पार्था घोष के समर्थन के लिए आभारी हैं जिनके बिना फेलोशिप प्राप्त करना कठिन था.
लॉर्ड मार्टिन रीस द्वारा नामांकित, अमल इस उपलब्धि से काफी ख़ुश हैं. तर्कसंगत के साथ बात करते हुए, उन्होंने बताय कि, “ वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक समाज में सबसे युवा सदस्य के रूप में अच्छा लगता है. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी दुनिया की सबसे पुरानी एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी है. यह बात कि मुझे लॉर्ड मार्टिन रीस द्वारा नामित किया गया था, मुझे अधिक खुशी देता है और मैं वास्तव में एक बहुत ही सम्मानित परिषद के मान्यता से सम्मानित हूँ. सर मार्टिन, ब्रिटेन के द एस्ट्रोनॉमर रॉयल के शीर्ष खगोल वैज्ञानिक और ब्रह्मांड विज्ञानी हैं.”

अमल के पिता संजय कुमार, जो कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ एक्साइज में काम करते हैं और उनकी माँ पुष्पा कुमारी, एक गृहिणी हैं और ये दोनों ही चाहते हैं कि वे इस क्षेत्र में अपने रिसर्च को आगे बढ़ाएँ. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने फिजिक्स के शिक्षक, श्री देवाशीष भरत को दिया है, जिन्होंने इस विषय की बारीक समझ हासिल करने में उनकी मदद की. वह अपने ग्रेजुएशन में फिजिक्स पढ़ने की योजना बना रहे हैं और वह भारत के कॉलेजों के साथ-साथ विदेशों में भी दाखिला पाने के लिए उत्सुक है. उनके स्कूल के प्रिंसिपल बी विनोद ने भी पुष्टि की कि वे अपने बोर्ड परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उनके शिक्षक उन्हें प्रत्येक विषय पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि उन्हें मार्च में अपने बोर्ड के लिए जल्द ही उपस्थित होना है.
तर्कसंगत के साथ अपने रिसर्च के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब मुझे हॉकिंग रेडिएशन के बारे में पता चला तो मुझे ब्लैक होल एस्ट्रोफिजिक्स में दिलचस्पी हुई. मैं इस पर एक किताब पढ़ रहा था और रिसर्च करने की सोचा पहले तो मैं इस विचार से आश्वस्त नहीं था. लेकिन बाद में जब मैंने इस तरह के और अधिक रिसर्च आर्टिकल पढ़े, तो मैंने इस विषय के बारे में और जानने का फैसला किया.” कक्षा 9 के बाद से अमल एस्ट्रोफिजिक्स और कॉस्मोलॉजी से प्रभावित होकर वह इसमें और रिसर्च करना चाहते हैं और ग्रेजुएशन में भी इसकी पढ़ाई करना चाहते हैं.

वह इस क्षेत्र के बारे में अधिक जानने के लिए अपनी सदस्यता का उपयोग करना चाहते हैं. तर्कसंगत के साथ अपनी फ़ेलोशिप के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, “इस फैलोशिप के कई लाभ हैं. भविष्य में, मुझे रिसर्च ग्रांट मिल सकता है. मुझे लंदन में रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की लाइब्रेरी में प्रवेश मिल गया है. इसके अलावा, मैं इस सोसाइटी की बैठकों में मुफ्त में भाग ले सकूँगा और रिसर्च आर्टिकल भी पढ़ पाउँगा. मुझे मध्य लंदन में रिसर्च के लिए जगह भी दिया जाएगा. यह फेलोशिप मुझे कॉस्मोलॉजी और एस्ट्रोफिजिक्स के बारे में जानने के नए अवसर देगा.”

अमल पुष्प के तरह के विद्यार्थी हमें हमारी शिक्षा प्रणाली और शिक्षा देने के तरीके पर सोचने को विवश करते हैं. आज जहाँ पढ़ाई का मतलब केवल अच्छे नंबर ला कर आईआईटी, मेडिकल, सीए, करने का दबाव बढ़ रहा है. इस तरह के युवा प्रतिभा को देख कर बाकियों को माता-पिता के साथ-साथ उनके स्कूलों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि वे कक्षा के पाठों से आगे बढ़ सकें और अपने जुनून को आगे बढ़ा सकें. अपनी सफलता के बारे में पूछे जाने पर भी उनके यही विचार थे उन्होनें कहा “अंकों के आधार पर खुद को या दूसरों को जज न करें. अद्वितीय रहें और यदि आवश्यक हो, भीड़ से अलग खड़े होने के लिए तैयार रहे.”
तर्कसंगत अपने प्रयासों के लिए युवा प्रतिभा को सलाम करता है और अपने आगामी शैक्षणिक कैरियर में अधिक से अधिक ऊंचाइयों को पाने के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता है.
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