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राजस्थान: कर्जमाफी की सूची में बिना क़र्ज़ लिए अपना नाम देख किसान भड़के; लगाया घोटाले का आरोप
Image Credits: The Indian Express
January 10, 2019
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किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए क़र्ज़ माफ़ी की कवायद हर बार की जाती है और इस बार भी तीन राज्यों में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने क़र्ज़ माफ़ी का ऐलान किया। मगर लगता है किसानों की किस्मत में परेशानियां, मौसम की मार और फसल के न्यूनतम मूल्य से लेकर नए नए रूप में बढ़ती जा रह है|
ताज़ा खबर ये है कि राजस्थान में वैसे किसानों का नाम कर्जमाफी की सूचि में पाया गया जिन्होनें कभी क़र्ज़ लिया ही नहीं!!!!
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में, ग्रामीणों ने ऑनलाइन सूची में बिना क़र्ज़ लिए कर्जमाफी के लाभार्थी के रूप में अपना नाम देखा तो, इसके विरोध में सड़कों पर आ गए। मीडिया से बात करते हुए, गुस्साए ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अनियमितताओं के बारे में तब पता चला जब उन्होंने ऑनलाइन सूची देखी।
Rajasthan: People in Dungarpur district allege discrepancies in farm loan waiver, say "Names of those who didn't take loan are in the list." Dist Collector (pic 3) says "Received complaints from few places. Teams sent for probe. Loan supervisor suspended, manager’s powers seized" pic.twitter.com/LFh6zfrAmw
— ANI (@ANI) January 7, 2019
टाइम्स नाउ को एक उग्र किसान ने कहा कि ” हमारा पैसा लूटा जा रहा है, हमारे पैसों से अपने बड़े बड़े घर बना लिए हैं.,अगर लिस्ट ऑनलाइन नहीं होती तो हमें पता भी नहीं चलता।”
इंडिया टुडे के अनुसार, कथित घोटाले की रिपोर्ट सिर्फ एक गांव से नहीं, बल्कि कई अन्य गांवों से मिली है। उन गांवों में गोवड़ी, नंदोर और जेठाना शामिल हैं। अकेले गोवड़ी गांव में, लगभग 1,780 किसानों को ऋण माफी के लाभार्थियों के रूप में गलत तरीके से नामित किया गया है, जिन्हें कुल आठ करोड़ ऋण प्राप्त हुए हैं।
जांच की मांग
उग्र किसानों ने मामले की जांच की मांग की है। सूची में लाभार्थी के रूप में सूचीबद्ध नंदोर के किसान प्रताप राव ने कहा कि उनके गांव से अकेले ऐसे 500 लोग हैं, जिनका नाम सूची में आया है। ’घोटाले’ की जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा, “यह जानने के लिए एक ऑडिट करवाया जाना चाहिए कि यह ऋण कब दिया गया और किसे दिया गया| उन्होनें यह भी कहा कि गांव वाले कलेक्टर से मिल कर इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ जांच की मांग करेंगे।
एक गाँव के पूर्व सरपंच ईश्वरलाल चरपोटा ने कहा, “हम उन किसानों के लिए ऋण प्राप्त करेंगे जिन्हें ऋण नहीं मिला और वे उन लोगों के लिए भी न्याय की माँग करेंगे जिनके नाम धोखे से इस सूचि में आये हैं। यह 8 करोड़ रुपये का घोटाला है। जो सूची जारी की गई है, उसमें ऐसे नाम हैं जो कई लोगों को ज्ञात हैं। इसके साथ ही, हमने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एसडीएम को एक ज्ञापन दिया है।”
तर्कसंगत ने डूंगरपुर के कलेक्टर चेतन देवराज से बात की, जिन्होंने हमें बताया कि कृषि ऋण योजना भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई थी जब वह सत्ता में थी। उन्होंने कहा, “ऑनलाइन सूची में मौजूद कमियों के बारे में हमें ग्रामीणों से कुछ शिकायतें मिली हैं। हमने मामले की जांच शुरू कर दी है। ”यह पूछे जाने पर कि अब तक कितनी शिकायतें दर्ज की गई हैं, कलेक्टर ने कहा कि जब तक जांच नहीं हो जाती, तब तक वह कुछ नहीं कह सकते।
दोषारोपण शुरू हो चुकी है
विरोध के बीच, भाजपा सरकार ने सूची में अनियमितताओं के लिए नव निर्वाचित कांग्रेस पार्टी को दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि कांग्रेस द्वारा हाल ही में पीड़ित किसानों के लिए दो-दो लाख रुपये की ऋण माफी की घोषणा के बाद ऑनलाइन सूची सामने आई थी।
तर्कसंगत ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी से बात की, उन्होंने कांग्रेस का नाम लेने से इनकार कर दिया जैसा उन्होंने पहले किया था। मंत्री ने कहा कि जांच चल रही है और वह इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते
तर्कसंगत का पक्ष
अनियमितताओं की संभावना यहाँ काम लगती है क्योंकि यह केवल एक किसान के साथ नहीं हुआ, बल्कि 1780 किसानों को लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है।
ऋण संवितरण में विसंगतियां किसानों के लिए बहुत सारी समस्याएं पैदा कर रही हैं। सबसे पहले, उन्हें ऋण माफी के लिए सरकार से लड़ना पड़ता है, और फिर उन्हें लाभार्थी सूची में इस तरह की अनियमितताएं भी झेलनी पड़ती हैं।
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