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केरल: 96 साल की कर्त्यायनी अम्मा कामनवेल्थ ऑफ़ लर्निंग की गुडविल अम्बैस्डर बनीं
Image Credits: ANI/Twitter
January 22, 2019
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पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती और केरल की 96 वर्षीय कर्त्यायनी अम्मा ने इसे साबित कर दिया है. केरल की साक्षरता मिशन ‘अक्षरा लक्ष्यम’ (मिलियन लेटर्स) साक्षरता परीक्षा के तहत न केवल नाम लिखाया बल्कि 98% अंक हासिल करके सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप में पिछले साल सुर्खियों भी बटोंरी. कर्त्यायनी अम्मा को कामनवेल्थ ऑफ़ लर्निंग गुडविल अम्बैस्डर के रूप में चुना गया है.
मातृभूमि के अनुसार कामनवेल्थ ऑफ़ लर्निंग गुडविल अम्बैस्डर में 53 देश शामिल हैं. अम्मा के सीखने की दृढ़ता और समर्पण की कहानी, पूरे देश के विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशित की जाएगी. कामनवेल्थ ऑफ़ लर्निंग सहयोगी देशों में डिस्टेंस एजुकेशन को बढ़ावा देता है. कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग के उपाध्यक्ष बालासुब्रमण्यम ने अम्मा से मिलकर उन्हें अवार्ड दिया और उनसे उनके सीखने के तरीके को भी जानने की कोशिश की.
सीएम से मेरिट सर्टिफिकेट मिला
उन्हें केरल के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने अपनी उम्र से 2% अधिक अंक प्राप्त करने के लिए मेरिट सर्टिफकेट भी दिया कर्त्यायनी अम्मा ने दुनिया को दिखाया कि अगर आप में सीखने की चाह रखते हैं तो आप निश्चित रूप से ‘अक्षरलक्षम के साक्षरता कार्यक्रम में 100 में से 98 अंक प्राप्त कर सकते हैं.
परीक्षा स्टेट लिटरेसी मिशन द्वारा आयोजित की गई थी और इसमें उम्मीदवारों के पढ़ने, लिखने और अंकों को जोड़ने की परीक्षा ली गयी थी कर्त्यायनी अम्मा ने लिखने में 40 में से 38 अंक और पढ़ने और गणित दोनों में पूरे अंक हासिल किए. द हिंदू के अनुसार कुल 43,330 में से लगभग 42,933 उम्मीदवारों ने पांच स्तरों में कक्षा IV, VII, X, XI और XII में परीक्षा देकर पास हुए. अम्मा ने अगस्त में परीक्षा दी थीं और परिणाम 31 अक्टूबर को घोषित किए गए थे. टाइम्स नाउ के रिपोर्ट के अनुसार, ”अक्षरा लक्ष्यम” परियोजना को गणतंत्र दिवस, 2018 को शुरू किया गया था ताकि सौ प्रतिशत साक्षरता को हासिल किया जा सके, और इसके तहत 47,241 उम्मीदवारों को शिक्षित किया गया है.
सीखने के लिए अम्मा की प्रेरणा
अम्मा अलाप्पुझा जिले में चेप्पड़ के पास मुत्तोम गांव में रहती हैं. उन्होनें लोगों के घरों में काम कर के और मंदिर में साफ़ सफाई कर के अपने जीवन का गुज़ारा किया है वह कभी स्कूल नहीं गयी. जनवरी 2018 में, चेपड़ ग्राम पंचायत का एक साक्षरता दल अपने सेक्रेटरी के साथ बुजुर्गों के लिए सरकारी आवास, लक्ष्मण वीडू कॉलोनी गया, लक्ष्मण विडू कॉलोनी में रहने वाली ज्यादातर महिलाओं ने उसमें भाग नहीं लिया, वहीं कर्त्यायनी अम्मा ने खुद आगे बढ़ कर उसमें अपना नाम लिखाया.
पढ़ाई में उनकी रूचि तब देखने को मिली जब उन्होनें अपनी 60 वर्षीय बेटी अम्मिणी अम्मा को साक्षरता मिशन के पाठ्यक्रम में पास होते देखा जो क्लास 10 के लेवल के बराबर है.
केरल लिएराकी मिशन अथॉरिटी की डायरेक्टर पीएस श्रीलेथा ने कहा, “वह नव-साक्षर योग्यता परीक्षा में अव्वल हैं. उसकी महान उपलब्धि पर हम सभी को गर्व है. कार्तियानी ने द हिंदू को बताया कि अच्छे नंबर पाकर वह काफी खुश हैं और वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है और अब दसवीं कक्षा के बराबर की परीक्षा पास करना चाहती है.
वह अब क्लास IV में प्रवेश के लिए योग्य है. उनकी शिक्षिका के.सती ने कहा, “वह पढ़ाई को लेकर बहुत उत्साही हैं और यह उनके अंकों में दीखता है, वह पढ़ाई जारी रखने के लिए उत्सुक है” एक ट्वीट में उन्होनें यह भी कहा कि वह दूसरों को उनसे कॉपी करने देती है.
I did not copy from anyone, rather I let others copy from me. I told them what to write : 96 year old Karthiyani Amma of Alappuzha who scored 98/100 marks in 'Aksharalaksham' literacy program of Kerala State Literacy Mission pic.twitter.com/NeUmcpsIsY
— ANI (@ANI) November 1, 2018
तर्कसंगत का पक्ष
कार्तियानी अम्मा की कहानी केवल ये कहती है कि यदि कोई लक्ष्य पाने के लिए दृढ़ संकल्पित है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता. उनके उत्साह ने कॉलोनी के कई बुजुर्ग निवासियों को भी उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया है. साथ ही, केरल सरकार और साक्षरता दल की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए. उनका कार्यक्रम कई लोगों के सपनों को पंख दे रहा है, जो विभिन्न परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे.
तर्कसंगत अम्मा को उनके दृढ़ संकल्प के लिए बधाई देता है और हम आशा करते हैं कि वह जितना चाहे उतना अध्ययन करे.
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