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महाराष्ट्र सरकार: वर्जिनिटी टेस्ट को “दंडनीय अपराध” घोषित करेगी, इसे “यौन हमला” बताया
February 8, 2019
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बुधवार 6 फरवरी को, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि एक महिला को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर करना जल्द ही कानून द्वारा दंडनीय अपराध होगा, क्योंकि यह “यौन हमले” का एक रूप है. महाराष्ट्र में कुछ समुदायों द्वारा एक प्रथा का पालन किया जाता है, जिसमें एक नवविवाहित महिला को यह साबित करने के लिए बताया जाता है कि वह अपनी शादी से पहले कुंवारी थी.
“वर्जिनिटी टेस्ट की शिकायतों पर ध्यान देंगे”
मुंबई मिरर ने बताया कि गृह राज्य मंत्री रणजीत पाटिल ने कार्यकर्ताओं के डेलिगेशन को आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही इस बारे में एक नया नोटीफिकेशन जारी किया जाएगा. गृह मंत्रालय के उपसचिव द्वारा इस विषय पर प्रस्तुत एक विस्तृत रिपोर्ट और कार्यकर्ताओं की मांगों के बाद इसे जारी किए जाने की उम्मीद है.
पाटिल के साथ बैठक में कार्यकर्ताओं में शामिल शिवसेना एमएलसी नीलम गोरहे ने कहा कि मंत्री के अनुसार, वर्जिनिटी टेस्ट का समावेश सामाजिक बहिष्कार अधिनियम के अंदर हो सकता है. इसके अलावा, जिला स्तरीय समितियों द्वारा अधिनियम के तहत की गई पुलिस कार्रवाई की समीक्षा की जा सकती है. जैसा कि रिपोर्ट किया गया है, राज्य के कंजरभाट समुदाय में, 22 मामले ऐसे हैं जहाँ महिलाओं को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर किया गया है. इस प्रथा के खिलाफ समुदाय के कुछ युवाओं द्वारा एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया गया है.
गोरहे ने आगे कहा कि “इस तरह के सामाजिक बहिष्कार के मामलों में पुलिस की निष्क्रियता अधिक चिंता की बात है.” तो, यह तय किया गया है कि पुलिस की महिलाओं के खिलाफ हिंसा से रक्षा करने वाले सेल को वर्जिनिटी टेस्ट की शिकायतों पर ध्यान देगा..
वर्जिनिटी टेस्ट की प्रथा के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कंजरभट समुदाय के विवेक तमचिकार कर रहे हैं. उनके अनुसार, समुदाय में ये प्रथा एक खुला रहस्य है, लेकिन महिलाएं विरोध करने से डरती हैं. इसलिए, अभियान में शामिल लोग चाहते हैं कि अपराधियों को पुलिस द्वारा पकड़ा जाए. ऐसे मामलों की जांच इंडियन पीनल कोड और सामाजिक बहिष्कार कानून के तहत परिस्थिति अनुसार सबूतो के आधार पर की जा सकती है. उन्होंने बताया कि महिला पर शिकायत दर्ज करने की जिम्मेदारी डालना अव्यवहारिक है, हालांकि पुलिस की कार्रवाई का डर अपराधियों को अपराध करने से रोकेगा.
वर्जिनिटी टेस्ट, कंजरभट समुदाय में एक वास्तविकता
एक निरंकुश जनजाति, कंजरभट्ट राजस्थान से पश्चिमी महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में जा कर बस गए. एक जाति पंचायत और उनके खुद के कानून उस जाति में चलते हैं। उनकी शादी की रात में, उनकी जाति की परंपरा के अनुसार , दुल्हन को एक ‘चरित्र परीक्षण’ से गुजरना पड़ता है. शादी करने के तुरंत बाद, एक लॉज में सफेद कपड़े पर संभोग करके पति और पत्नी अपनी शादी की शुरुआत करते है. परीक्षण की देखरेख जाति परिषद द्वारा की जाती है. दोनों परिवारों द्वारा पंचायत सदस्यों को 300 रुपये या उससे अधिक का भुगतान किया जाता है.
अगर खून बहता है तो लड़की परीक्षा पास करती है और यदि नहीं, तो जाति पंचायत उससे पूछती है कि विवाह से पूर्व उसके किसके साथ शारीरिक संबंध थे. यह संभावना भी है कि उसे पीटा जाएगा, उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत किया जाएगा और मामले को निपटाने के लिए भारी मात्रा में पैसे देने के लिए कहा जाएगा. अगर किसी ने कंजरभाट कानून के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत की तो उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया जा सकता है.
जुलाई 2017 में, महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जाति पंचायतों के संचालन को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला एक कानून पास किया गया था, लेकिन ऐसी गैरकानूनी अदालतें न केवल कार्यरत है पर समुदाय में अकल्पनीय सत्ता इकट्ठा कर रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि समुदाय की कई बुजुर्ग महिला इस प्रथा का समर्थन करती है. 2000 में जाट पंचायत समूहों द्वारा प्रकाशित कानूनों की एक पुस्तक में, इस प्रथा के नियमों सहित पारंपरिक रीति-रिवाजों का विवरण दिया गया है.
हालाँकि शिक्षा और आधुनिक दुनिया ने समाज की कई युवा लड़कियों की सोच में बदलाव लाया है, लेकिन वे अभी भी अपनी राय देने से कतरा रही हैं. यह प्रथा महिलाओं को अपमानित करती है, और अपराध के सबसे बुरे रूपों में से एक है. एक ऐसे युग में जब लोग उदार मानसिकता, समानता और स्वतंत्रता की बात करते हैं, इन जैसे समुदायों में प्रचलित पितृसत्ता शर्मनाक है. तर्कसंगत इस प्रथा की निंदा करता है और सरकार से इसके खिलाफ कानून को सख्ती से लागू करने का आग्रह करता है.
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