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दिल्ली: सरकारी अस्पतालों के 10,000 बेड्स में से केवल 348 पर ही वेंटिलेटर उपलब्ध हैं
February 18, 2019
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एक महत्वपूर्ण सुनवाई में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार, 13 फरवरी को कहा कि यह “चिंताजनक” था कि देश की राजधानी में AAP सरकार द्वारा संचालित सभी अस्पतालों में 10,000 से अधिक बेड का 10% भी वेंटिलेटर्स से लैस नहीं है, दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह भी ज़ोर देते हुए कहा कि इस कमी को दूर करने की आवश्यकता है.
द हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि 33 सरकारी अस्पतालों में केवल 10,059 बिस्तर हैं, जिनमें से केवल 348 बिस्तर पर चालू हालत में वेंटिलेटर्स हैं, जो कि कुल संख्या का केवल 3.4% है, जब कि न्यूनतम 10% की आवश्यकता है.
मुख्य न्यायाधीशों राजेंद्र मेनन और वी के राव की एक पीठ को सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की संख्या दिखाई गई. पीठ को यह भी बताया गया कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में लगभग 400 वेंटिलेटर बेड हैं, जिनमें से 52 काम करने के लायक नहीं हैं और उन्हें ठीक करने के प्रयास किए जा रहे हैं.” उन्हें यह भी बताया गया कि 18 बेड के खरीदने की प्रक्रिया चालू है.
बता दें कि इसके पहले इस महीने अदालत ने आप सरकार को अस्पताल में बिस्तर की संख्या और दूसरे सुविधाओं की सूचि मांगी थी. यह फैसला तब आया जब वकील अशोक अग्रवाल ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा, जिसमें वेंटिलेटर की कमी के कारण एक बच्चे की मौत का ज़िक्र था.
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अदालत को यह भी बताया कि तीन साल का फरहान अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था तब उसे आखिरकार एक मैनुअल वेंटिलेटर दिया गया. एफिडेविट के ब्योरे के अनुसार, 10 फरवरी को नाबालिग की मौत हो गई थी. सुनवाई के समय, अदालत ने निजी अस्पतालों को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अपने अस्पतालों में उपलब्ध सभी खाली बेड और वेंटिलेटर का डेटा प्रदान करने के लिए भी कहा.
अधिकारियों का क्या कहना है?
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील, अधिवक्ता सत्यकाम ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन के राज्य कार्यक्रम अधिकारी से 31 जनवरी को लिखे गए पत्र द्वारा सार्वजनिक अस्पतालों और प्रयासों में ऑनलाइन बिस्तर / वेंटीलेटर उपलब्धता की जानकारी के लिए एक वेब पोर्टल तैयार करने का अनुरोध किया गया है. एक महीनों की अवधि के भीतर उन्हें कार्यात्मक बनाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, “शुरुआती चरण में इसे लागू करना संभव नहीं होगा, जिसमें अस्पताल हर सुबह बिस्तरों की उपलब्धता के बारे में जानकारी सही सही अपलोड कर सकें.
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