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पाकिस्तानी नागरिकों ने प्लेकार्ड के ज़रिये पुलवामा हमले की निंदा की, साथ ही शांति का आह्वान किया
February 21, 2019
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“मैं वतनपरस्ती के लिए इंसानियत का सौदा नहीं करुँगी”
पाकिस्तानी पत्रकार सेहिर मिर्ज़ा ने एक तस्वीर पोस्ट करके एक पहल शुरू की, जिसमें वह एक तख्ती पकड़े खड़ी हैं और तख्ती में लिखा है, “मैं एक पाकिस्तानी हूं और मैं पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा करती हूं.” इसके बाद हैशटैग #AntiHateChallenge और #NoToWar काफी तेज़ी से फ़ैल रहा है.
बहुत जल्द, कुछ अन्य पाकिस्तानी महिलाओं ने भी इसी तरह से अपनी तसवीरें पोस्ट की.
#AntiHateChallenge
14 फरवरी को, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में, आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 44 से अधिक जवान शहीद हो गए थे. आतंकवादी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली. दुःख और निराशा ने पूरे राष्ट्र को घेर लिया. इससे भारत-पाक संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए. वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मिर्ज़ा ने यह पहल शुरू की और लोगों को इसमें शामिल होने के लिए कहा.
I won't trade humanity for patriotism #AntiHateChallenge #NoToTerrorism #WeStandWithIndia #NoToWar
Posted by Sehyr Mirza on Tuesday, 19 February 2019
मिर्जा ने साहिर लुधियानवी की एक कविता भी पोस्ट की, जिसमें लिखा था, “चाहे खून हमारा हो या उनका, खून तो इंसानियत का है.”
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, मिर्ज़ा ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद पैदा हुई युद्ध जैसी स्थितिऔर उस पर “चुप्पी के कारण परेशान थी.” उन्होनें आगे कहा कि उन्होनें महसूस किया कि चुप्पी तोड़ना और प्यार और गर्मजोशी का संदेश देना जरूरी है. “नफरत करना बहुत आसान है और इस समय में शांति के लिए खड़े होना चुनौतीपूर्ण है.” अमन पसंद लोगों द्वारा पोस्ट को भारत में व्यापक रूप से साझा और सराहा जा रहा है. बहुत सारे प्यार और सकारात्मक संदेश आ रहे हैं. साथ ही, मुझे दोनों देशों के ट्रोल से नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना भी करना पड़ा है.”
कई लोगों ने मिर्ज़ा को फॉलो किया और वैसे ही ट्वीट / पोस्ट किए:
We all are Human and Humanity is above all #NoToWar #YesToPeace #AntiHateChallenge pic.twitter.com/fWFed05TqA
— Shahzad khan (@shahzadshazu) February 20, 2019
Sitting at a computer desk or in a cosy couch holding their phone, warmongers seem to think nothing will change for them. Wars devastate countries and destroy all forms of life no matter who the victor. The kind of weapons we have today will eliminate almost everything. #NoToWar
— Nasir Khattak (@nasirjkhattak) February 20, 2019
I am a pakistani and i condemn pulwama terrorist attack #AntiHateChallenge #NoToWar
— Mohsin Khan (@KhanEngrbassam) February 20, 2019
I am a Pakistani and I condemn #PulwamaAttack. #NoToWar
— Anam Rathor (@AnamRathor) February 20, 2019
I'm a Baloch man brought up in a war-torn region. I have seen mutilated bodies,target killings, religious fanatics roam free in my Homeland. I have grown into a young man in an uncertain and insecure environment. Now it is taking its toll. #NoToWar #peace
— Behroz Baloch (@rahim_behroz) February 20, 2019
पुलवामा आतंकवादी हमला
14 फरवरी को कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में हुए आत्मघाती हमले में 44 से अधिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान शहीद हो गए थे. कश्मीर संघर्ष के दो दशकों में सबसे बुरा हमला तब हुआ जब एक आत्मघाती हमलावर की स्कॉर्पियो एसयूवी विस्फोटकों से लदी एक सीआरपीएफ की बस में जा घुसी. जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है और एक कश्मीर स्थित स्थानीय विद्रोही को अपने हमलावर के रूप में पहचान लिया है.
तर्कसंगत इस पहल को शुरू करने के लिए मिर्जा और सीमा पार की अन्य महिलाओं की सराहना करता है, जैसा कि हम शहीदों के परिवारों की वीडियो और रिपोर्ट प्राप्त करते रहते हैं, उनकी मृत्यु का शोक मनाते हैं, हमें युद्ध के गंभीर परिणामों को भी समझना चाहिए.
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