
पर्यावरण
फ्रांस ने मधुमक्खियों की मौत के कारक 5 कीटनाषकों पर लगाया प्रतिबंध
Image Credits: Wikipedia
February 26, 2019
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फ्रांस यूरोप का ऐसा पहला देश बन गया जिसने मधुमक्खियों की आबादी में हो रही कमी को रोकने के लिए कदम उठाया है. 1 सितंबर 2018 से प्रभावी यह नया प्रतिबंध, नियोनिकोटनॉयड कीटनाशक, न्यूरोटॉक्सिंस का एक विवादित समूह है जो कृषि से परागण करने वाली मधुमक्खियों और अन्य मधुमक्खियों की आबादी में ढलान का एक मुख्य कारण है, जो इसको गैर कानूनी बनाता है.
यूरोपीय संघ वर्तमान में नियोनिकोटनॉयड कीटनाशक समूह के केवल तीन कीटनाशकों clothianidin, imidacloprid, और thiamethoxam को ही प्रतिबंधित करता है. हालांकि फ्रांस भी इस ज्ञापन का हिस्सा है फिर भी इस मामले में आगे ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए फ्रांस ने दो और कीटनाशकों, neonicotinoids thiacloprid and acetamiprid को भी प्रतिबंधित कर दिया. इन प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग ना सिर्फ बाहरी अपितु ग्रीन हाउस में भी करने की मनाही है.
जहां मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों और कई पर्यावरणविदों द्वारा उठाए गए इन कदमों की सराहना की गई वहीं अनाज और शक्कर किसानों द्वारा इसका कठोर विरोध किया गया क्योंकि उनका दावा है कि फसलों को कीटाणुओं से बचाने का कोई अन्य प्रभावी तरीका नहीं रह जाता.
कुछ पर्यावरणविदों का विचार यह भी है कि यह प्रतिबंध मात्र इन गिने–चुने कीटनाशकों तक सीमित ना रहे बल्कि अन्य प्रमुख कीटनाशकों को भी इसमें शामिल किया जाए जो कि मधुमक्खियों की मृत्यु के कारण है, AFP रिपोर्ट के अनुसार.
नियोनिकोटनॉयड के बारे में
नियोनिकोटनॉयड, न्यूरोटॉक्सिंस की एक प्रकार है जो निकोटिन के समान है. इन न्यूरोटॉक्सिंस के विकास का कार्य 1980 में शुरू हुआ, और विवादित रूप से शहद की मधुमक्खियों की मृत्यु से संबंधित रहा है. इन कीटनाशक का उपयोग किसानों द्वारा कीटाणु और विषाणु को अपनी फसल से दूर रखने के लिए किया जाता रहा है. मुख्यतः फूलों वाली फसल, फलों के पेड़, चुकंदर, गेहूं, कनोला, अंगूर के बगीचे आदि में इनका भरपूर इस्तेमाल हुआ और ये शहद वाली मधुमक्खियों और अन्य फूल से परागण करने वाली मधुमक्खियों के तंत्रिका तंत्र को तोड़ने का मुख्य कारण बना.
संयुक्त अमेरिका के भी कई राज्यों में इन कीटनाशकों का उपयोग प्रतिबंधित किया है. 2013 तक अमेरिका में पैदा होने वाले अधिकतर मक्के का इन्हीं कीटनाशकों से बचाव किया जाता था.
मधुमक्खियों पर प्रभाव
एक अध्ययन यह साबित करता है कि इन कीटनाशकों का उपयोग जंगलों में रहने वाली मधुमक्खियों के लिए भी घातक है. यह वीर्य की गुणवत्ता कमजोर कर और कीटों की याददाश्त को कमजोर कर, उनकी पथप्रदर्शन क्षमता को कमजोर कर मधुमक्खियों के प्रजनन पर एक ऋणत्मक असर डालता है, AFP रिपोर्ट के अनुसार.
अनुसंधान यह भी दिखाता है कि नियोनिकोटनॉयड, मधुमक्खियों को वैसे ही अपना आदी बना लेते हैं जैसे निकोटिन इंसान को अपना आदी बनाता है. संयुक्त राष्ट्र 40 फीसद से ज्यादा परागण करने वाले कीटों, मधुमक्खियों और तितलियों की प्रजाति के खात्मे के बारे में चेतावनी देता है.
क्या हो अगर मधुमक्खियां खत्म हो जाए?
मधुमक्खियां, परागण की प्रक्रिया में एक प्रमुख कारक प्रजाति है, जो उन 70 फ़ीसदी फसलों से परागण करती हैं, जो 90 फ़ीसदी दुनिया को पेट भरने में काम आती है. BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, मधुमक्खियां 1 साल में 30 बिलीयन डॉलर की फसल के लिए जिम्मेदार है.
यदि मधुमक्खियों की प्रजाति पूर्णत: इस ग्रह से समाप्त हो जाए तो वह सभी पौधे, जिनसे मधुमक्खियों परागण करती हैं, समाप्त हो जाएंगे और उनके साथ ही वह जानवर जो इन पौधों को खाते थे, अंततः संपूर्ण खाद्य श्रंखला ही प्रभावित हो जाएगी.
जिसका अर्थ है कि बिना मधुमक्खियों का विश्व, भयंकर बढ़ रही इस आबादी को नहीं बचा पाएगा.
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