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क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मसूद अज़हर को विमान से कंधार छोड़कर आए थे?
March 18, 2019
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी कांफ्रेंस में दावा किया है कि पुलवामा हमले के दोषी मसूद अज़हर को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ख़ुद ही विमान में कंधार (अफ़गानिस्तान) छोड़कर आए थे.
11 मार्च को दिल्ली में हुई पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में राहुल गांधी ने कहा, “पुलवामा में बस में किसने बम फोड़ा? जैश-ए-मोहम्मद, मसूद अज़हर. आपको याद होगा कि 56 इंच की छाती वालों की जब पिछली सरकार थी तो एयरक्राफ़्ट में मसूद अज़हर जी के साथ बैठकर जो आज नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र हैं- अजित डोभाल, वो मसूद अज़हर को जाकर कंधार में हवाले करके आ गए.”
PM Modi please tell the families of our 40 CRPF Shaheeds, who released their murderer, Masood Azhar?
Also tell them that your current NSA was the deal maker, who went to Kandahar to hand the murderer back to Pakistan. pic.twitter.com/hGPmCFJrJC
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 10, 2019
उन्होंने कहा, “पुलवामा में अगर बम ब्लास्ट हुआ, वो ज़रूर पाकिस्तान के लोगों ने, जैश-ए-मोहम्मद के लोगों ने करवाया. मगर मसूद अज़हर को बीजेपी ने जेल से छोड़ा. कांग्रेस पार्टी के दो प्रधानमंत्री शहीद हुए हैं. हम किसी से नहीं डरते हैं.”
सोशल मीडिया पर इसका असर
फिर राहुल गांधी के इस बयान का सिर्फ़ वो भाग जहाँ वो ‘मसूद अज़हर जी‘ बोलते हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत कई अन्य बड़े बीजेपी नेताओं ने ये वायरल वीडियो शेयर किया है. इसे सोशल मीडिया पर लाखों बार देखा जा चुका है. हालांकि एक और वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें रविशंकर प्रसाद हाफ़िज सईद को हाफ़िज जी कह रहे हैं.
Come on “Rahul Gandhi Ji”!
Earlier it were the likes of Digvijay Ji who called “Osama Ji” and “Hafiz Saeed Sahab”.
Now you are saying “Masood Azhar Ji”.
What is happening to Congress Party? pic.twitter.com/fIB4FoOFOh
— Chowkidar Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) March 11, 2019
लेकिन जिन्होंने यू-ट्यूब पर मौजूद राहुल गांधी का ये पूरा भाषण सुना है, उनकी जिज्ञासा है कि ‘मसूद अज़हर के भारत से रिहा होकर कंधार पहुँचने में‘ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की भूमिका क्या थी?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी का यह दावा कि ‘अजित डोभाल मसूद अज़हर के साथ एयरक्राफ़्ट में बैठकर दिल्ली से कंधार गए थे‘, सही नहीं है. अजित डोभाल पहले से कंधार में मौजूद थे और यात्रियों को छुड़वाने के लिए तालिबान से चल रही बातचीत की प्रक्रिया में शामिल थे.
मसूद अज़हर के कंधार पहुंचने की कहानी
पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ भारत में घुसे मसूद अज़हर के गिरफ़्तार होने के 10 महीनों के भीतर ही आतंकवादियो ने दिल्ली में कुछ विदेशियों को अगवा कर उन्हें छोड़ने के बदले मसूद अज़हर की रिहाई की मांग की थी.
ये मुहिम असफल हो गई थी क्योंकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस सहारनपुर से बंधकों को छुड़ाने में सफल हो गई थी. एक साल बाद हरकत-उल-अंसार ने फिर कुछ विदेशियों का अपहरण कर उन्हें छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन ये प्रयास भी असफल रहा था.
साल 1999 में जम्मू की कोट भलवाल जेल से मसूद अज़हर को निकालने के लिए सुरंग खोदी गई, लेकिन मसूद को निकालने का आतंकवादियो का यह प्रयास भी विफल रहा था.
कुछ महीनों बाद दिसंबर, 1999 में आतंकवादी एक भारतीय विमान (इंडियन एयरलाइंस की फ़्लाइट संख्या IC-814) का अपहरण कर कंधार ले गए और इस विमान के यात्रियों को छोड़ने के बदले भारत सरकार मसूद अज़हर समेत तीन चरमपंथियों को छोड़ने के लिए तैयार हो गई थी.
उस समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के प्रमुख रहे अमरजीत सिंह दुलत ने बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल को बताया कि “ज़रगर को श्रीनगर जेल और मसूद अज़हर को जम्मू की कोट भलवाल जेल से श्रीनगर लाया गया. दोनों को रॉ ने एक छोटे गल्फ़स्ट्रीम जहाज़ में बैठाया था.”
“दोनों की आँखों में पट्टी बंधी हुई थी. मेरे जहाज़ में सवार होने से पहले दोनों को जहाज़ के पिछले हिस्से में बैठा दिया गया. जहाज़ के बीच में पर्दा लगा हुआ था. पर्दे के एक तरफ़ मैं बैठा था और दूसरी तरफ़ ज़रगर और मसूद अज़हर.” उन्होंने बताया कि ‘टेक ऑफ़‘ से कुछ सेकेंड पहले ही ये सूचना आई थी कि हमें जल्द से जल्द दिल्ली पहुंचना हैं क्योंकि विदेश मंत्री जसवंत सिंह हवाई अड्डे पर ही कंधार जाने के लिए हमारा इंतज़ार कर रहे थे.
दुलत बताते हैं, “दिल्ली में उतरते ही इन दोनों आतंकवादियो को जसवंत सिंह के जहाज़ में ले जाया गया था जिसमें तीसरा आतंकवादी ओमर शेख़ पहले से ही मौजूद था. हमारा काम ज़रगर और मसूद को दिल्ली तक पहुँचाने का था.”
‘निर्णय लेने वाला शख़्स’
पूर्व रॉ चीफ़ अमरजीत सिंह दुलत बताते हैं कि ये सवाल उठा था कि इन बंदियों के साथ भारत की तरफ़ से कंधार कौन-कौन जाए. ये बात आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के अजित डोभाल इस विमान के दिल्ली से उड़ान भरने से पहले ही कंधार में मौजूद थे. उनके साथ विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक काटजू और रॉ के सीडी सहाय भी कंधार में ही थे. तीनों अधिकारी लगातार तालिबान से समझौता करने के लिए बातचीत के प्रयास कर रहे थे. इन तीनों अधिकारियों ने एक स्वर में कहा था कि कंधार किसी ऐसे शख़्स को भेजा जाए जो ज़रूरत पड़ने पर वहाँ बड़े निर्णय ले सके, क्योंकि यह व्यवहारिक नहीं होगा कि हर फ़ैसले के लिए दिल्ली की तरफ़ देखा जाए.
कांग्रेस का रुख
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के 2010 के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा कि डोभाल ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को जेल से छोड़ने को राजनीतिक फैसला बताया था और ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जवाब दें कि क्या वह इसे राष्ट्र विरोधी गतिविधि मानेंगे.
थिंक टैंक ‘विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन’ की वेबसाइट पर प्रकाशित डोभाल के साक्षात्कार का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘अजीत डोभाल ने कहा था कि मसूद अज़हर को रिहा करना एक राजनीतिक फैसला था.
इस पर सवाल उठता है कि यह किसका राजनीतिक फ़ैसला था? इसका जवाब है कि भाजपा सरकार का फैसला था. तो क्या अब मोदी जी, रविशंकर प्रसाद इसे राष्ट्र विरोधी फ़ैसला मानेंगे?’
दरअसल, सुरजेवाला ने यह ताजा हमला उस वक्त किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मसूद अजहर को वर्षों पहले भारतीय जेल से छोड़े जाने को लेकर डोभाल पर तंज कसते हुए सोमवार को इस आतंकी के लिए ‘जी’ शब्द लगाकर संबोधित कर बैठे. इसको लेकर भाजपा ने उन पर जमकर निशाना साधा.
भारतीय जेल से रिहा होने के बाद अज़हर ने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया. तब से ही यह समूह भारत में आतंकी हमले करने में शामिल है. यह समूह 13 दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार था जिसमें नौ सुरक्षाकर्मी और एक अधिकारी की मौत हो गई थी. इसके बाद 2 जनवरी 2016 को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के हथियारबंद समूह ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था जिसमें सात सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.
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