
सप्रेक
मिलिए हरियाणा की सब-इंस्पेक्टर से, ये पहली महिला है जिन्होंने एवरेस्ट पर नेपाल और चीन दोनों तरफ से चढ़ाई की है.
March 19, 2019
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अनीता कुंडू ने से उनके आलोचक कहते थे “कि आप ऐसा नहीं कर सकती”. हालांकि, उनकी अदम्य भावना और कभी हार न मानने वाले व्यवहार/जोश ने उन्हें पहाड़ों पर चढ़ाई करने के लिये काबिल बनाया. 2017 में, 29 वर्षीय अनीता कुंडू दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी – माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने एवरेस्ट पर – दो बार, एक बार नेपाल की तरफ से और फिर चीन की तरफ से, चढ़ाई की. दुनिया के शिखर को मापने के लिए उनकी खोज, एवरेस्ट को जीतने के साथ बंद नहीं हुई, जनवरी 2019 में, अनीता ने दुनिया भर में चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की.
अनीता कुंडू का बचपन
अनीता के लिए, जो हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर है, गरीबी, हानि और निराशा से भरा बचपन देखा है. आज एक बोनाफाइड पर्वतारोही बनने के बाद, अनीता कुंडू दूसरे पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.
तर्कसंगत से बात करते हुए, अनीता ने अपने संघर्ष के बारे में बताय कि उनका जीवन कैसा था. हरियाणा के हिसार में किसानों के परिवार में पैदा हुई, अनीता का प्रारंभिक बचपन गरीबी से भरा हुआ था. 13 साल की उम्र में अपने पिता को खो देने के बाद, अनीता को उनके रिश्तेदारों ने लगातार शादी करने के लिए मजबूर किया. वह कहती है, “मेरे पिताजी को एक जुनून था. मैं सबसे बड़ी थी घर में और वह चाहते थे कि मैं एक अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज बनूं. जब मैं 12 साल की थी तब मैंने मुक्केबाजी की कक्षाओं में भी प्रवेश लिया था, लेकिन उनकी मृत्यु ने सब कुछ बदल दिया.
स्थानीय अखाड़े में मुक्केबाजी सीखने से, अनीता का जीवन पूरी तरह से बदल गया. अनीता ने सीधे तौर पर शादी करने के विचार को खारिज कर दिया और खुद पर घर की जिम्मेदारी ले ली. आय का कोई स्रोत नहीं होने के कारण, अनीता और उनकी माँ ने दूध बेचना शुरू कर दिया और खेती में लगे रहे. उन्होंने कहा, “मैं दिन में स्कूल जाती, घर वापस आती और फिर ज़मीन पर काम करती”. अनीता ने कहा कि वह अपनी किशोरावस्था के दौरान, उन्हें और उनके परिवार को देखने वाले, पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया करते थे, वो अनीता को शादी के लिये मजबूर करते रहते थे, जिसे वह नकारती रही. वर्षों के संघर्ष के बाद, अनीता को अंततः 2008 में सफलता मिली, जब उन्होंने हरियाणा पुलिस में नौकरी की शुरुवात करी. हालात कुछ समय के लिए सही लग रहे थे, हालांकि, यह समय बहुत छोटा रहा.
रॉक क्लाइम्बिंग सीखना
प्रशिक्षण के दौरान, रॉक-क्लाइम्बिंग के विचार ने अनीता को आकर्षित किया और वह इसके बारे में और अधिक सीखना चाहती थी. हालांकि, उस समय के आसपास के लोगों ने उन्हें यह कहकर हतोत्साहित किया कि ये खेल महिलाओं के लिए नहीं है. यह एक ऐसा वाक्य है जो कई महिलाएं को जो नई चुनौतियों उठाने को तैयार हैं, किसी न किसी समय पर सुनना पड़ता है. अनजान और अभी भी दृढ़, अनीता ने अपने डीजीपी से मदद मांगी जिसने उन्हें पर्वतारोहण और उन्नत रॉक-क्लाइम्बिंग सीखने की अनुमति दी. महीनों तक, अनीता ने एक ऐसे खेल में महारथ हासिल की जो यकीनन महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए जाना जाता था और आखिरकार, वह अपनी योग्यता साबित कर सकती थी.
2009 और 2011 के बीच अनीता, भारत के कुछ सबसे तकनीकी और चुनौतीपूर्ण समिट में शामिल हुई, जिसमें माउंट सतोपंथ और माउंट कोकस्टेट शामिल हैं. भारत में ऊंचाइयों पर विजय प्राप्त करने के बाद, अनीता ने एवरेस्ट पर चढ़ने की इच्छा व्यक्त की और मई 2013 में उसने नेपाल की तरफ से ऐसा किया. उन्होंने कहा, “एक महिला पर्वतारोही के रूप में चुनौतियां हैं, जो दूसरों को समझ में नहीं आईं, लेकिन, मैं नहीं चाहती थी कि वह मेरे बारे में कम सोचें”. जबकि रास्ते में कई बाधाएं थीं और यहां तक कि मृत्यु से भी आमान सामना हुआ, जिससे अनीता हिल गयी, लेकिन वह अंत में सफल रही. हालांकि, पूरे अभियान का खर्च उन्होनें खुद उठाया था. वह बताती हैं, “पर्वतारोहण के लिए पैसे की ज़रूरत होती है और एवरेस्ट तक जाने वाली पहली ट्रेक के लिए, मुझे पैसे बचाने और स्थानीय लोगों से ऋण माँगना पड़ा”.
अपने घर वापस आने के बाद, उन्हीं आलोचकों ने, जिन्होंने उनके सपनों पर सवाल उठाया, उनके घर में जयकारों, मालाओं और मंत्रों के साथ स्वागत किया. उन्होंने कहा, “मैंने खुद को साबित किया और समय बदल गया है”. एक आशावादी अनीता ने दो साल बाद दूसरी चुनौती ली. अपने दूसरे अभियान के लिए अधिक धन एकत्र करने के बाद, अनीता ने 2015 में चीन की ओर से दूसरी बार एवरेस्ट पर चढ़ने की इच्छा व्यक्त की थी.
पहाड़ों को जीतना
हालांकि, उस साल अप्रैल में आए विनाशकारी नेपाल भूकंप ने पर्वत श्रृंखला को इस हद तक हिला दिया कि पर्वत पर चढ़ाई करना बंद हो गया और अनीता को चीन से ऐसा करने की अनुमति नहीं मिल सकी. 2017 में, उन्होनें एक बार और कोशिश की और सफल रही, जिससे भारत में इतिहास बना.
चीन की तरफ से, “माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनने के लिए हरियाणा की अनीता कुंडू को बहुत बहुत बधाई”. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट किया, ”आप को और अधिक शक्ति मिले”.
Congratulations to Haryana's Anita Kundu for becoming the first Indian woman to climb Mt. Everest from the China side. More power to you!
— Chowkidar Manohar Lal (@mlkhattar) May 21, 2017
2018 के बाद से, अनीता ने प्रत्येक महाद्वीप के सात सबसे लंबे शिखर पर चढ़ाई करने की एक नई चुनौती ली और उसके बाद, वह दुनिया के आठ-हजार या 14 सबसे लंबे शिखर पर चढ़ना चाहती है. अब, वह हरियाणा के साथ-साथ दूसरी जगहों के लिये भी एक युवा आइकन बन गई है. अनीता ने कहा, “यदि कोई मानसिक रूप से दृढ़ है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है”.
अनीता का एक कथन सही साबित हुआ है, यह सरासर परिश्रम, धैर्य और दृढ़ संकल्प के कारण था कि वह ऐसा कर सकती थी. तर्कसंगत ने उनके अटूट धैर्य और प्रयास की सराहना की.
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