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16 साल के कश्मीरी लड़के ने आतंकियों के खिलाफ दिखाई बहादुरी, राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से नवाजा
Image Credits: President Of India/ Twitter
March 25, 2019
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 19 मार्च को कश्मीर के 16 वर्षीय इरफ़ान रमजान शेख को प्रतिष्ठित शौर्य चक्र से सम्मानित किया जिन्होनें कश्मीर के शोपियां जिले में अपने परिवार और साथी लोगों की मदद के लिये आतंकवादियों से मुकाबला किया था. शायद यही वो एक कदम है जो कश्मीरियों को हिंदुस्तान के साथ जुड़ने और आतंकवादी बनने से रोकने के लिये भारत की इच्छा को सुनिश्चित करता है.
President Kovind presents Shaurya Chakra to Irfan Ramzan Sheikh. He exhibited courage and maturity and fought off militants, safeguarding the life of his father and other family members in Jammu & Kashmir pic.twitter.com/FVnWkOaOja
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 19, 2019
बहादुरी के लिये पुरस्कार
युवा इरफ़ान रमज़ान शेख, को तीसरे सर्वोच्च पीकटाइम वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिसे आमतौर पर सशस्त्र बलों और अर्ध-सैन्य बल के जवानों को दुश्मन के साथ मुठभेड़ में साहस दिखाने पर सम्मानित किया जाता है. इरफान, महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(PDP) से जुड़े हुये पूर्व सरपंच मोहम्मद रमजान के सबसे बड़े बेटे हैं.
यह वारदात 16 और 17 अक्टूबर 2017 की रात में हुई थी जब आतंकवादियों ने इरफान के घर को बंद कर दिया था. जब घर का दरवाजा खोला तो इरफान को घर के बाहर तीन आतंकवादी खड़े मिले जिनके पास राइफल और ग्रेनेड थे.
पुरस्कार के उद्घोष में बोला गया “यह देखते हुए कि आतंकवादी उनके परिवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं उन्होंने उच्चतम स्तर के साहस का प्रदर्शन किया और आतंकवादियों को घर के अंदर घुसने से रोकने के लिये उनका कुछ देर तक सामना किया. इस बीच उनके पिता बाहर आ गये और आतंकवादियों ने उन पर हमला किया जिसमें उनकी हाथापाई भी हुई थी.” अपनी जान की परवाह किये बिना इरफान ने आतंकवादियों पर हमला किया. उनका इरादा अपने पिता और परिवार के अन्य सदस्यों बचाना था जो घर के अंदर थे.
आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी जिससे इरफान के पिता को गंभीर चोटें आईं. हालाँकि उनके पिता ने गोली लगने के कारण दम तोड़ दिया लेकिन इरफान ने हार नहीं मानी और आतंकवादियों के साथ लगातार संघर्ष करते रहे जिससे एक आतंकवादी भी गंभीर रूप से घायल हो गया था.
जब अन्य आतंकियों ने अपने एक साथी को घायल देखा, तो उन्होंने भागने की कोशिश की. हालांकि इरफान ने उनका काफी दूर तक पीछा किया जिससे उन्हें अपने साथी आतंकवादी के शरीर को छोड़कर भागना पड़ा. उद्घोषण प्रशस्ति पत्र में आगे कहा गया है “इरफान ने छोटी उम्र में भी असाधारण बहादुरी और परिपक्वता दिखाई है. इरफान वर्तमान में दसवीं कक्षा के छात्र हैं और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी बनने की इच्छा रखते हैं.”
कश्मीर घाटी में आतंकवाद बड़े पैमाने पर अनियंत्रित हो चुका है. कट्टरपंथी लोग युवाओं को आतंकवादी बनाने के लिये सरकार की कमजोरी और उनके घटिया रवैया को जिम्मेदार बताते हैं. हालाँकि, राष्ट्रपति पुरस्कार शायद इस बात को दोहराता हैं कि कश्मीर के मुद्दे का हल किया जाना बाकी है और यहाँ के युवाओं को हम भूले नहीं हैं. इरफान का कारनामा धैर्य, साहस और अटूट वीरता का उदाहरण है. द लॉजिकल इंडियन इरफ़ान को उनकी उपलब्धि और साहस के लिये उनकी सराहना करता है.
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