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ADR रिपोर्ट: 83% सांसद करोड़पति’ हैं और 33% सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं
Image Credits: Amar Ujala
April 1, 2019
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जैसे-जैसे आम चुनाव निकट आ रहे हैं, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), चुनाव निगरानी ने 28 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें संसद के मौजूदा सदस्य (सांसद) के स्वामित्व वाली संपत्ति और उनके खिलाफ आपराधिक आरोपों का खुलासा किया गया है.
भारी संपत्ति
ADR, एक गैर सरकारी संगठन, जो चुनाव सुधारों के उद्देश्य पर काम करता है, इन्होनें 2014 के लोकसभा चुनावों में सत्ता में चुने गए 543 सांसदों में से 521 सांसदों के स्व-शपथ पत्रों का विश्लेषण किया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 521 सदस्यों में से 430 सांसद या 83% “करोड़पति” हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा 2014 के चुनावों में प्रति सांसद औसत संपत्ति 14.72 करोड़ रुपये है. पार्टी के आधार पर, भाजपा के 85% सांसद (227), कांग्रेस के 82% सांसद (29), AIADMK के 78% सांसद और तृणमूल कांग्रेस के 65% सांसदों के पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है. चौंकाने वाली बात यह है कि एक सांसद के पास सबसे अधिक संपत्ति तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की थी. टीडीपी के सांसद जयदेव गल्ला ने 688 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की, जबकि सबसे कम 34,000 रुपये की संपत्ति राजस्थान के भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने घोषित की.
96 मौजूदा सांसदों ने 1 करोड़ रुपये की देनदारियों की घोषणा की है और उनमें से 14 से अधिक ने 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक की देनदारियों की घोषणा की है. चौंकाने वाली बात है कि श्रीनिवास केसिनेनी ने 128 करोड़ रुपये की संपत्ति के खिलाफ 71 करोड़ रुपये की देनदारियों की घोषणा की है.
सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले

इससे ज्यादा चिंता की बात यह है कि जो लोग सांसद हैं और हमारे द्वारा चुने गए हैं, उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा के 10 सदस्यों ने स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ हत्या से संबंधित आरोप हैं. इनमें से चार भाजपा के हैं, और एक लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीओ), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), स्वाभिमान पक्ष और एक निर्दलीय हैं.
14 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने हत्या के प्रयास के मामले घोषित किए हैं. इनमें से आठ सांसद सत्तारूढ़ पार्टी के हैं, एक एनसीपी, आरजेडी, शिवसेना, टीएमसी, कांग्रेस और स्वाभिमानी पक्ष से हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से माना कि लोकसभा में कुल मौजूदा सांसदों में से 174 (33%) ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 106 सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है, जिसमें प्रयास भी शामिल हैं. हत्या, अपहरण, सांप्रदायिक भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ अपराध. पार्टियों के आधार पर – भाजपा के 92 सदस्यों, 45 कांग्रेस सदस्यों, 6 अन्नाद्रमुक सदस्यों, 15 शिवसेना सदस्यों और 34 टीएमसी सदस्यों ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
तर्कसंगत का तर्क
इस रिपोर्ट से, कोई यह समझ सकता है कि संसद में बैठे लोग ज्यादातर अमीर होते हैं, जो दर्शाता है कि पैसे वाले लोगों के पास चुनाव जीतने की अधिक संभावना है. लोगों की आवाज़ का एक प्रतिनिधि समाज के सभी वर्ग से आना चाहिए न की किसी विशेष वर्ग से.
साथ ही, राजनीति में अपराध एक समस्या है जिसे हम नागरिकों को संबोधित करने की आवश्यकता है. चूंकि हमारे प्रतिनिधि अपराधियों से मुक्त संसद देने में लगातार विफल रहे हैं. इन लोकसभा चुनावों में, हम सभी को स्वच्छ पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को वोट देने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए.
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