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सुप्रीमकोर्ट ने रैनबैक्सी ब्रदर्स को 3,500 करोड़ रुपये जापानी कंपनी को भुगतान करने के लिए कहा
April 8, 2019
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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को पूर्व रैनबैक्सी के प्रमोटर मालविंदर मोहन सिंह और उनके भाई शिविंदर मोहन सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगी. बिजनेस टुडे के अनुसार शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि वह दोनों को जेल भेज देगी क्यूंकि उन्होनें दाइची सांक्यो को भुगतान दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना की है.
फार्मा कंपनी के दोनों पूर्व मालिकों को अदालत ने कहा, “हम इस मुद्दे पर गौर करेंगे कि – आपने हमारे आदेशों का उल्लंघन क्यों किया? हम आपको जेल भेजेंगे. हमने आपको एक मौका दिया है लेकिन आप भुगतान करने में असमर्थ हैं.
दोनों भाइयों के अलावे और 12 अन्य लोगों को अदालत द्वारा अपने शेयरों या किसी भी चल या अचल संपत्ति को बेचने या स्थानांतरित करने से पहले रोक दिया गया था. एससी ने 14 मार्च को दोनों भाइयों को सिंगापुर ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार दाइची सांक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए एक ठोस योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था. शीर्ष अदालत अब सीधे उनके खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगी.
जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ ने दोनों भाइयों से राशि चुकाने की अपनी योजना के बारे में पूछा. इसके लिए भाइयों ने कहा कि वे ऑपरेटिंग कंपनियों के मूल्य के बारे में संदेह कर रहे हैं क्योंकि अगर उसे बेच भी दे तो वे केवल 900 करोड़ रुपये के आसपास ही होगी. मालविंदर ने एससी से कहा कि अगर वे समूह पर नियंत्रण करते हैं, तो दो-तीन वर्षों में कंपनी की कीमत 900 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा सकते हैं.
क्या हुआ था ?
भाइयों ने इससे पहले दिसंबर 2018 में दाइची सैंक्यो मध्यस्थता मामले में सिंगापुर की अदालत के समक्ष दायर एक अपील में मुंह की खाई थी, जहां उनके खिलाफ 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3,500 करोड़ रुपये) के मध्यस्थता पुरस्कार के खिलाफ लड़ा था. सिंगापुर की अदालत ने जापानी फार्मास्युटिकल मेजर के पक्ष में सिंगापुर ट्रिब्यूनल मध्यस्थता पुरस्कार प्राप्त करने की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दाइची ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा था. 2016 में, सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर ने भाइयों को रैनबैक्सी लेबोरेटरीज के कुछ तथ्यों को छिपाने के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया था, जब यह यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस द्वारा इस कंपनी की जांच की जा रही थी.
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