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राष्ट्र सर्वोपरि : भारतीय सेना ने 40 दिनों के अंदर लेह में सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण किया.
Image Credits: ADGPI-INDIAN ARMY/Twitter
April 12, 2019
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समय समय पर भारतीय सेना ने हमें उनपर गर्व करने का मौका दिया है. चाहे वह प्राकृतिक आपदा का समय हो या दुश्मन क्षेत्र में घुस कर आतंकवाद का सफाया करने का प्रयास हो. यहाँ तक कि जब कामनवेल्थ गेम्स के दौरान अंत समंय में पुल टूटने पर सेना न ही रातों रात रिकॉर्ड समय में पुल को बनाकर देश की गरिमा बचायी थी.
एक बार फिर से देश के लिये एक और गर्व का क्षण है जो इंडियन आर्मी के बदौलत ही संभव हो पाया है. भारतीय सेना ने 1 अप्रैल को लेह में सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया है. इस पुल को चोगलामसर गांव में सिंधु नदी पर बनाया गया जिसे कारगिल शहीदों को समर्पित किया गया है. इस पुल का उद्घाटन 1 अप्रैल को 89 वर्षीय नाइक फुंचोक एंगडस (सेवानिवृत्त) ने किया था जिन्होंने एक लम्बे समय तक भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की है.
भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के लड़ाकू इंजीनियरों ने 40 दिनों के रिकॉर्ड समय में इस 260 फिट लम्बे पुल का निर्माण किया है. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, पुल को बनाने में 500 टन के सामान की जरुरत पडी़ थी.
सोशल मीडिया पर भारतीय सेना द्वारा पोस्ट की गई कई तस्वीरों में से एक में, सेना के अधिकारियों को पुल पर गर्व करते हुए देखा जा सकता है.
राष्ट्र सर्वोपरि
Suspension Bridge constructed over Indus River by Combat Engineers ‘Fire & Fury Corps’ was inaugurated by local War Veterans of region on 1 April 2019.Built in a record time of 40 days 'Maitri Bridge' is longest Suspension Bridge over River Indus.#NationFirst pic.twitter.com/PDQJgOVxwl— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) April 2, 2019
पुल पर लिखा संदेश :
“द मैत्री ब्रिज”
यह पुल कारगिल विजय दिवस के 20 वें वर्ष पर द्वारा भारत के लोगों को समर्पित है जिसे अग्नि और रोष वाहिनी ने बनाया है. जिनका धेय्य है “या तो हम रास्ता खोजेंगे या बनायेंगे”
यह सस्पेंशन पुल लेह और लद्दाख के दूरदराज के इलाकों को जोड़ेगा जिसमें क्षेत्र के चोगलामसर, स्टोक और चुचोट के एकांत क्षेत्र शामिल हैं. क्षेत्र में स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है अौर इस जरुरी पुल को बनाने के लिये उनहोंने भारतीय सेना को आशीर्वाद भी दिया है. पुल को 2 अप्रैल के दिन से आम लोगो के लिये खोल दिया गया है.
एक हिन्दुस्तानी होने के नाते ये हमारा फर्ज बनता है कि हम अपनी सेना के पराक्रम और साहस का प्रोत्साहन करें और अपनी सेना पर गर्व करें.
लेख: अभय पराशरी
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