
सप्रेक
इस आइ.टी प्रोफेशनल ने पोलियो जागरूकता के लिये चेन्नई से भुटान तक चलाई साइकल
June 20, 2019
SHARES
जब इस समय भारत खुद को पूर्ण रूप से पोलियो मुक्त कहता है, तब ऐसी भी सम्भावनायें हैं की जिन बच्चों को पोलियो की दवाएं नही मिल पाईं हैं उनमें इस बीमारी का संक्रमण बड़े स्तर पर हो सकता है. पोलियो दवा से कोई बच्चा अछूता ना रहे इसी कारण वर्ष रोटरी इंटरनेशनल ने ग्लोबल पोलियो इरैडीकेशन के नाम से एक मुहिम चलाई है जिसमे भारत सरकार और राज्य सरकारों का भी समर्थन है की वह राज्यों में पल्स पोलियो कैम्पैन चला रहें हैं.
इस मुहिम के तहत हज़ारों लोग पोलियो जागरुकता और दवाओं के लिये काम कर रहें हैं उन्ही में से एक हैं सतीश कुमार जो रोटरी क्लब के सदस्य हैं, जिन्होने इस मुहिम के लिये चेन्नई से लेकर थिम्पु (भुटान) तक अकेले साइकल चलाई ताकी लोग पोलियो को लेकर लोग जागृत हों.
आइ.टी प्रोफेशनल से साइक्लिस्ट तक
सतीश (28 वर्ष),मूल रूप से चेन्नई के रहने वाले हैं एक उत्साहित ट्रैवलर हैं और एक आइटी प्रोफेशनल हैं जिन्होंने इसी क्षेत्र में 4 वर्षों तक काम भी किया.
पिछ्ले वर्ष ही सतीश ने चेन्नई से लेकर दिल्ली तक सफर किया जिसमे उन्होने टैगलाइन #feartheroutine का इस्तेमाल किया ताकी वह 9 से 5 काम करने वाले आम लोगों को अपना जुनून पूरा करने के लिये प्रोत्साहित कर सकें. इस कार्य के लिये उन्हे लिटिल फ्लावर मैट्रिक्युलेशन हाइयर सेकेंड्री स्कूल,अशोक नगर में स्वतंत्रता दिवस पर गार्ड ऑफ़ ऑनर के रूप में आमंत्रित किया गया, यह वही स्कूल है जहां सतीश 10वी तक पढ़े.
उन्हे आमंत्रित करने वाले स्कूल के अध्यक्ष थे जो खुद रोटरी क्लब के सदस्य हैं, उन्होने सतीश को रोटरी क्लब की सदस्यता दिलाई और कहा की अगर वह समाज ले लिये कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो रोटरी क्लब उनकी ज़रूर मदद करेगा, तब सतीश और क्लब ने मिलकर चेन्नई से भुटान तक के इस सफर की योजना बनाई और इसके लिये पैसे रोटरी क्लब को किए वाले दान से जमा किए गए.
3232 की.मी. तक चलाई साइकल
3232 कि.मी. तक के इस सफर को पूरा करने में साटीश को 45 दिन लगे. इस बीच वह अलग अलग राज्यों से गुज़रे जैसे तमिलनाडु,आंध्रप्रदेश,ओड़िसा,पश्चिम बंगाल,और थोड़ा बिहार और फिर भुटान, रास्ते में वह रोटरी क्लब के 33 लोगों से, 10 स्कूल व कॉलेज के 1000 से अधिक छात्रों से मिले, आम लोगों से मिले और बात की और उन्हे पोलियो के बारे में समझाया.और बताया इससे बचने के लिये वैक्सीनेशन क्यों ज़रूरी है.
पूछे जाने पर उन्होने खुद बताया की वह ऐसा इस लिये कर रहे हैं की लोगों को इसके बारे में अधिक से अधिक पता लगे इसके प्रभाव लोगों को पैरालाइज़ भी कर सकते हैं, मुझे बचपन में दवा पिलाई गई इसलिए आज मैं स्वस्थ हूँ. मै हर जगह घूम सकता हूँ और अपने सपने पूरे कर सकता हूँ, तभी मैने इसे लेकर जानकारी को हर क्षेत्र में फैलाने की सोची ताकी यह पूरी दुनिया इस बीमारी से मुक्त हो जाए.
सतीश ने आगे कहा अपने सफर के दौरान लोगों में काफी सकारात्मकता देखी, उनके इस व्यवहार और आव भगत को देख इस काम को लेकर मेरा जुनून और भी बढ़ जाता.
सफर में लोगों ने की मदद
सफर में मिले लोग दयालु और मददगार थे,एक दिन ऐसे ही सफर में मैं गर्मी होने के कारण छाव में आराम कर रहा था तभी अचानक से 2 बच्चे मेरे पास पानी की बोतल लेकर आते हैं और चले जाते हैं, ऐसा लगता था जैसे उन्हे भगवान ने स्वयं भेजा है.एक बार जब रास्ते में टायर पंचर हुआ तो मै शान्तीनिकेतन, कोलकाता से गुज़र रहा था जहां लोग खुद से ही मेरी मदद के लिये आगे आए और मेरी साइकल को रिक्शे में चढ़ा रिपेयर के लिये ले गए. उनके इस कार्य से मुझे काफी प्यार और स्नेह महसूस हुआ.
पूरे दुनिया में साईक्लिन्ग की योजना
अब सतीश पूरे विश्व भर में साइक्लिन्ग करना चाहते हैं खासकर भारत से यूरोप तक और अफ्रीकी महाद्वीप तक ताकी वह कैंसर को लेकर दुनिया में जागरुकता फैलायें और फंड्स उठायें ताकी उससे वह कैंसर पीड़ितों की मदद कर पाएँ और लोगों तक इसके बारे में जानकारी पहुँचा सकें.इसे लेकर सबसे चिंता की बात है की पीड़ितों को इसे लेकर पता ही तब लगता है जब वे तीसरे या चौथे चरण में होते हैं, इस बीमारी का जल्द डाइग्नोसिस अगर हो तो बहुत लोगों की जान बच सकती है.
मेरे लिये सबसे बड़ी प्रेरणा हैं मिस्टर गनपती सुरेश, जिन्होंने मुझे पोलियो जागरूकता के बारे में सुझाया और आज मैं गौरव महसूस करता हूँ की मैने समाज के लिये कुछ किया.
अपना घर चलाने के लिये सुरेश अभी एक फ्रीलैंसर डिजिटल मार्केटर के रूप में काम करते हैं, और साथ ही वे एक ट्रैवल क्षेत्र में एक पक्की नौकरी चाहते हैं ताकी वह उसी में एक अच्छा करीयर बना पाएँ क्योंकि यही उनका जुनून है.
सतीश का सन्देश
सतीश के पास सभी के लिये एक सन्देश है, वह बताना चाहते हैं की पूरे विश्व भर में बहुत सकारात्मकता मौजूद है. तो आप लोग अपने कम्प्युटर और फोन्स पर कम समय व्यतीत करें और अपने आसपास के लोगों से बात करें और विचार साझा करें. हमारा समाज हमारी दुनिया प्रेम पर बसी हैं, मैं लोगों को बोलना चाहूँगा कि वे बात करें और एक दूसरे को जानें और एक दूसरे के मदद करें. जब एक दूसरे के प्रति ऐसी भावनाएं जगाएंगे तो वे एक दूसरे से प्रेम भी करेंगे, मैने अपने पूरे सफर के दौरान यही महसूस किया जब मैं पोलियो जागरुकता और विश्व शांति कैम्पेन के लिये अनेक लोगों से मिला.
अपने विचारों को साझा करें