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फैक्ट चेक : क्या ज़ी न्यूज़ के ‘डीएनए’ शो ने महुआ मोइत्रा की पहली संसदीय सम्बोधन पर चोरी का झूठा आरोप लगाया?
Image Credits: Wikimedia/Telegraph India
July 4, 2019
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बीती रात जब हम आप दिन भर की थकान को दूर करने और देश दुनिया की खबर को जानने के लिए, अपने टीवी सेट को खोला होगा तो सैंकड़ों न्यूज़ चैनल की भीड़ में रिमोट पर फिसलती ऊँगली ज़ी न्यूज़ पर भी जा टिकी होगी, और तब हमने देख होगा की किस तरह से सुधीर चौधरी टीएमसी विधायक महुआ मोइत्रा की पहली संसदीय भाषण का विश्लेषण कर रहे थे और बता रहे थे कि कैसे डिज़ाइनर रिपोर्टरों ने उनकी इस पहली स्पीच को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया.
ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किया गए एक फैक्ट चेक में यह बात साबित हुई है कि डीएनए में बताई गयी बातें पूरी तरह से गलत हैं. साथ ही अपने भाषण के संदर्भ का ज़िक्र महुआ मोइत्रा ने संसद में भी कहा था.
अपने तकरीबन 8 मिनट के ब्रीफिंग में सुधीर चौधरी को यह कहते सुना जा सकता है की डीएनए किसी भी खबर के रिसर्च पर काफी ज़्यादा ज़ोर देती है. उन्होनें इस बात का भी दावा किया कि वो इस भाषण के पीछे की सच्चाई को पूरी तरह से दर्शकों के सामने उजागर करेंगे. महुआ मोइत्रा की दी गयी स्पीच को उन्होनें ‘हेटस्पीच’ भी बताया.
आपको बता दें कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने 25 जून को संसद में अपनी पहली सम्बोधन के दौरान अपने भाषण में भारत में फासीवाद के शुरुआती लक्षणों की चर्चा की थी, जिसके बाद उनकी इस भाषण की काफी चर्चा, प्रशंसा और निंदा भी हुई.
सुधीर चौधरी ने यह बात भी कही कि महुआ मोइत्रा ने अपनी भाषण बिना रिसर्च के की और अमेरिकन वेबसाइट से चोरी की. सुधित चौधरी ने आगे कहा कि सांसद महुआ मोइत्रा ने लेख के विचार को अपने विचार बता कर भाषण दिया है और एक तरह से भाषण देने में भी विदेशी विचारों का सहारा ले रही हैं.
चौधरी ने अपनी बात को पुख्ता साबित करने के लिए उस लेख को भी ट्वीट किया जहाँ से कथित रूप से महुआ मोइत्रा ने चोरी की.
यही है अमेरिकी वेब्सायट का वो लेख जिसे तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने चुराकर लोक सभा में अपने भाषण में इस्तेमाल कर लिया।हुबहू बिलकुल वही शब्द लेख से सीधे उठा लिए और बोल दिए।संसद की गरिमा ख़तरे में है। https://t.co/4iP3YieHXA pic.twitter.com/HxaHqqdxKS
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) July 2, 2019
चोरी किया हुआ भाषण
ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार एंकर सुधीर चौधरी ने महुआ मोइत्रा के भाषण को 2017 के एक आर्टिकल से चोरी किया हुआ बताया जिसमें अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के ज़रिये फासीवाद के शुरूआती लक्षणों का ज़िक्र था. एंकर का कहना था कि सांसद ने बस ट्रम्प की जगह मोदी का नाम लगाकर वह भाषण पढ़ दिया और इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं.
ऊपर की तस्वीर में यह साफ़ रूप से दिख रहा है कि इस लेख के लेखक का नाम मार्टिन लोंगमेन है. उन्होनें ही यह लेख 31 जनवरी 2017 को लिखी थी और इसे वाशिंगटन मंथली में प्रकशित किया गया था. लेखक ने इस बात का भी दावा किया की उन्हें यह अमेरिकी होलोकॉस्ट म्यूजियम के एक पोस्टर पर लिख मिला था जिसका कि ज़िक्र उन्होनें अपनी लेख में किया है.
इस खबर के बाद से कई जाने माने लोगों ने महुआ मोइत्रा को इस चोरी के लिए खरी खोटी सुनाई और आश्चर्य भी व्यक्त किया
True????
Plagiarised piece Mahua Moitra read out was actually an article written by a US journalist Martin Longman about Trump way back in January 2017.
Here is the article from where it was plagiarised:https://t.co/zNmQKWiOX3— Shobhaa De (@DeShobhaa) July 2, 2019
The plagiarised piece Mahua Moitra read out was actually an article written by a US journalist Martin Longman about Trump way back in January 2017 . All she did was make a futile attempt to juxtapose Modi in place of Trump!https://t.co/0Lz3yYhKTp
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) July 2, 2019
रेफर किया हुआ मगर चोरी नहीं
ऑल्ट न्यूज़ ने इस पर और रौशनी डालते हुए यह बताया कि सांसद महुआ मोइत्रा ने इस लेख से संदर्भ लेते हुए अपनी बात कही थी जिसका ज़िक्र उन्होनें अपने भाषण में भी किया था. तो जो बात डीएनए के एंकर सुधीर चौधरी कह रहे थे वो एक एजेंडा मात्र भर है.
महुआ मोइत्रा को वीडियो के 9:12 मिनट पर उस लेख का ज़िक्र करते हुए सुना जा सकता है, जहाँ वो कहती हैं कि 2017 में, अमेरिकी होलोकॉस्ट म्यूजियम ने अपनी मुख्य लॉबी में एक पोस्टर लगाया और इसमें शुरुआती फासीवाद के सभी संकेतों की एक सूची थी. सात संकेतों में से प्रत्येक जो मैंने आपको इंगित किया है, वह सब उस पोस्टर पर दी गयी हैं. ”
लोंगमैन ने अपने 2017 के लेख में, उसी पोस्टर / संकेत का उल्लेख किया था जिसके बारे में मोइत्रा ने बात की थी. यह उल्लेखनीय है कि अमेरिकी वेबसाइट स्नोप्स द्वारा 2017 के फैक्ट चेक में पाया गया था कि पोस्टर म्यूजियम में डिस्प्लै नहीं था, बल्कि इसकी गिफ्ट शॉप में उपलब्ध था.
इतना ही नहीं महुआ मोइत्रा के पक्ष में उस लेखक ने भी आकर ट्ववीट करते हुए लिखा कि महुआ मोइत्रा पर चोरी का झूठा आरोप लगाया जा रहा है.
I’m internet famous in India because a politician is being falsely accused of plagiarizing me. It’s kind of funny, but right-wing assholes seem to be similar in every country.
— Martin Longman (@BooMan23) July 2, 2019
उन्होनें आगे ट्वीट किया कि
Whether they reach out to me or not, this is ridiculous. She didn’t steal or plagiarize anything.
— Martin Longman (@BooMan23) July 3, 2019
एक प्रेस बयान में, मोइत्रा ने स्पष्ट किया कि उनका भाषण “श्री लॉरेंस डब्ल्यू ब्रिटेन द्वारा बनाए गए होलोकॉस्ट म्यूजियम के पोस्टर से प्रेरित था जो प्रारंभिक फासीवाद के 14 संकेतों की तरफ इशारा करता है.” उन्होंने लिखा, “मुझे भारत से संबंधित सात संकेत मिले और इस पर बात की. उनमें से प्रत्येक के बारे में विस्तृत रूप से बात की “और आगे कहा कि उन्होनें अपने भाषण के दौरान अपने स्रोत का उल्लेख किया और भाषण की चोरी तब होती है जब कोई किसी के स्रोत का खुलासा नहीं करता है.”
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 3, 2019
ऑल्ट न्यूज़ को एक लेख की प्रति मिली जिसमें डॉ. ब्रिट ने फासीवाद के 14 संकेतों के बारे में बताया है. यह 15 जुलाई 2003 को फ्री इंक्वायरी मैगज़ीन, वॉल्यूम 22 नंबर 2 में प्रकाशित हुआ था.
ये भी एक अजीब सी विडंबना है एक भाषण को ज़ी न्यूज़ ने चोरी का भाषण बता दिया जबकि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने एक संदर्भ के रूप में उस लेख के एक अंश का इस्तेमाल किया था और अपने भाषण में उसका ज़िक्र भी किया था.
जबी ये सारी गलतियां सुधीर चौधरी के संज्ञान में लायी गयी तो बजाये उसे सुधरने के या माफ़ी मांगने के उन्होनें #TukdeTukdeGang का सहारा लेते हुए ट्वीट किया
The #TukdeTukdeGang has been demolished and are crying foul again. An elected Indian MP picks up a random article/poster and quotes it out of context to demean the Indian electorate.We called her out.Her gang is hurt?We’ll expose all attempts to discredit the voters of India 🇮🇳
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) July 3, 2019
तर्कसंगत का तर्क
मौजूदा वक़्त में एक बात तो साफ़ समझ में आती है कि सरकार की आलोचना गली नुक्कड़ में करने पर तो आप लिंच कर दिए जायेंगे, मगर संसद के भीतर भी अगर आप सरकार पर प्रहार करते हैं तो आपकी शाम को गोदी मीडिया नहीं छोड़ेगी. संसद में दिए भाषण का डीएनए टेस्ट करना ही है तो मंत्रियों द्वारा दिए गए रोज़गार, किसान , शिक्षा, मुद्रस्फीति आदि आकंड़ो का भी टेस्ट हो तो कोई जनता के मतलब की बात बने, यह केवल एक राजनितिक भाषण पर व्यर्थ प्राइम टाइम था जिसमें सासंद की छवि धूमिल करने की कोशिश की गयी. हम अपने पाठकों से अपील करेंगे कि आप मीडिया से भी वही सवाल पूछें जो आपके काम की हो आपकी मूलभूत ज़रूरतों से जुड़ी हो देश और जनता के ज़रूरी मुद्दों से जुडी हों.
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