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2014 के बाद देश को मिला नया तोहफा-लिंचिंग
Image Credits: Outlook Hindi
July 29, 2019
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आज 21वीं सदी में हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती जैसी तमाम समस्याओं के साथ लिंचिंग एक नये रुप में उभर कर आई है। मुसलमानों, दलितों, शोषितों, आदिवासियों के साथ इस देश में हो रहे अत्याचार के मामले सामने आए हैं। वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में हुई 52 वर्षीय मुस्लिम युवक अखलाक की हत्या, देश में लिंचिंग का पहला मामला था। जिसके खिलाफ पूरे देश में भारी आक्रश का माहौल था, अखलाक की हत्या के बाद देश में लिंचिंग के तमाम मामले सामने आए और मैजूदा सरकार के द्वारा वांछित तवज्जो नहीं दिए गए। मानविकी और सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के अनुसार देश में लिंचिंग का सबसे बड़ा कारण गौ मांस का सेवन एवं पशु तस्करी है और दलित एवं मुसलमान लिंचिंग के सबसे बड़े शिकार हैं।
देश में वाट्सएप् यूनिवर्सिटी का होना लिंचिंग को सबसे अधिक बढ़ावा देता है। देश की मौजूदा सरकार के सक्रिया में आते ही लिंचिंग के मामले बढ़ने लग जाते हैं और सोशल मीडिया इसमें आग में घी डालने का काम करता है। आप समझ सकते हैं कि जिस प्रकार से देश में एक विशेष वर्ग के द्वारा भड़काऊ गानों को वरीयता दी जा रही है, वह आने वाले समय में घातक साबित होने वाला है। झारखंड के सरायकेला में शाम के वक्त तबरेज अंसारी भीड़ के द्वारा सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है क्योकिं कथित रुप से उसने बाइक चोरी की थी। क्या देश में अब न्यायालयों की आवश्यक्ता खत्म हो गई है, लोकतंत्र अब भीड़ तंत्र बनता नजर आने लग गया है क्योंकि सरकार की मंशा इसे दबाने की नहीं बल्कि इसे और ज्यादा गहरा करने की है।
बात सिर्फ मुसलमानों की नहीं बल्कि ममता के बंगाल में भी लिंचिंग के तमाम मामले सामने आए जिसमें युवक को सिर्फ जय श्री राम का नारा न लगाने के कारण भीड़ ने जबरजस्ती उसकी पिटाई कर दी। वर्ष 2017 में झारखंड के सात लोंगों पर बच्चे उठाने का आरोप लगाते हुए भीड़ ने उन्हें मारा, उनमें से सात युवकों में चार मुस्लिम थे। बाद में जब इस अफवाह के खुलासे में यह सामने निकल कर आया कि यह फर्जी खबर वाट्सएप् द्वारा फैलाई गई थी जिसका वास्तविक्ता से कोई लेना देना नहीं था।
बीते शुक्रवार बिहार में ऐसी ही एक घटना सामने आई जिसमें पशु चोरी के मामले का हवाला देते हुए तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। देश में बढ़ती लिंचिग की समस्याओं को अगर सरकार यूँ ही नजर अंदाज करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब चोरी, डकैती और हत्या जैसे मामलों में लिंचिंग को भी शामिल कर लिया जाएगा। बीते दिनों देश के तमाम बड़े सेलिब्रिटीस ने भी प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखकर मामले की ओर इंगित कर होश दिलाया। सरकार को जल्द से जल्द इस मामले के प्रति कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, देश को किसी एसे कानून की सख्त आवश्यक्ता है जिससे समाज की इन बढ़ती समस्याओं में अमूल–चूल परिवर्तन किया जा सके। आज समाज लिंचिंग जैसे मामलों को लेकर जागरुक है, किन्तु आने वाले समय में इसे भी एक तरह से नकार दिया जाएगा और यह सामाजिक न्याय की अव्हेलना होगी। सरकार और समाज को जल्द से जल्द इस समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए। हमारा देश संविधान से चलता है न कि भीड़ के द्वारा लिए गए फैसलों के द्वारा। इस ज्वलंत मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देने की आवश्यक्ता है, नहीं तो हमारे दश का लोकतंत्र कब भीड़तंत्र में बदल जाएगा हमको पता भी नहीं चलेगा।
(अभिषेक शर्मा)
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