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अनाथ बच्चों की पढ़ाई के लिए शौचालय साफ़ करता है ये शख़्श
Image Credits: The Better India
September 26, 2019
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एक दिहाड़ी मज़दूर के परिवार में जन्मे लोगनाथन आर्थिक तंगी के चलते छठी कक्षा से आगे नहीं पढ़ पाए। 12 साल की उम्र में पेपर मिल और वर्कशॉप में काम करना शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में जो परेशानियाँ देखी, उनसे ही प्रेरणा लेकर आज वे बहुत से ज़रूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। यह 52 वर्षीय आदमी पिछले 17 साल से हर रोज़ शौचालयों की साफ़-सफाई का काम करता है ताकि कुछ ज़्यादा पैसे कमा सके और इन्हें गरीब व ज़रूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए दान कर सके।
कर चुके हैं 1600 बच्चों की मदद
तमिलनाडु के कोयम्बटूर में कन्नम्पलायम के रहने वाले लोगनाथन ने साल 2002 से इस काम की शुरुआत थी। उन्होंने समृद्ध परिवारों से किताबें और कपड़े इकट्ठा करके अनाथ आश्रम में बाँटना शुरू किया। साथ ही उन्होंने हर साल जिला कलेक्टर को 10,000 रुपए की राशि सरकारी अनाथालयों के लिए भेजना भी शुरू की। उनके इस प्रयास से इन अनाथालयों में रह रहे लगभग 1600 बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिली।
बेटर इण्डिया से बात करते हुए उन्होनें कहा कि “लोग शौचालयों की साफ़-सफाई के काम में शर्म करते हैं। लेकिन मुझे ऐसा कुछ नहीं है। क्या यह शर्मनाक है कि मैं सैकड़ों लोगों के लिए शौचालयों को साफ़ करने में मदद कर रहा हूँ या फिर यह कि मैं इस पैसे को गरीब बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूँ ? शर्म तो उन लोगों को आनी चाहिए जिनकी सोच छोटी है।”
50 रूपये घंटे से की थी शुरुआत
“मैंने घंटे के 50 रुपए से शुरुआत की थी अब मैं महीने में 2 हजार रुपए एक्स्ट्रा कमा लेता हूँ। यह पूरी कमाई अनाथालयों को जाती है। ” उन्होंने कहा।
लोगनाथन कई वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के यह काम कर रह हैं और उनकी इस नेकदिली पर अब उनके बहुत से परिवारजनों को फ़क्र भी है। लोगनाथन बताते हैं कि “मेरी बेटी 12वीं कक्षा में पढ़ रही है और बेटा एमबीए कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि मेरे जाने के बाद वे भी दूसरों की मदद करते रहेंगे।” लोगनाथन आने वाले समय में तमिलनाडु के गरीब बच्चों के लिए एक चैरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट बनाना चाहते हैं ताकि किसी की भी शिक्षा आर्थिक परेशानी की वजह से न रुके।
अपने परिवार और इस नेक काम को चलाए रखने के लिए साल 2018 में उन्होंने खुद की वेल्डिंग शॉप शुरू की। क्योंकि पहले जहाँ वे काम करते थे वहां पर मालिक उनके पार्ट टाइम काम को लेकर नाखुश थे।
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