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रामपुर CRPF कैंप आतंकी हमले में दो अभियुक्त निर्दोष क़रार, 12 साल बाद हुए रिहा
November 4, 2019
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देश के सबसे चर्चित रामपुर सीआरपीएफ कैम्प पर 2007 में हुए आतंकी हमले के मामले में 12 साल बाद जेल से रिहा हुए मोहम्मद कौसर और गुलाब खान के घर जश्न का माहौल है. गुलाब खान का स्वागत फूलों से किया गया तो उसे देखने के लिए पूरा मोहल्ला उसके घर आ गया.
बरेली के बहेरी कस्बे के निवासी 48 वर्षीय गुलाब खान ने कहा, “भगवान ने मुझे एक नया जीवन दिया है. मगर असल लड़ाई अब अपने ऊपर से ‘आतंकवादी’ के दाग को हटाने का है, मगर मेरे वो बीते 12 साल कोई नहीं लौटा सकता.”
गुलाब के साथ रिहा किये गए कौसर हमले के तकरीबन एक महीने बाद पुलिस ने कौसर को उसके दूकान से गिरफ्तार किया. कौसर ने इसके पहले 10 साल सऊदी अरब में इलेक्ट्रॉनिक के दूकान पर काम किया और साल 2005 में भारत लौटने के बाद प्रतापगढ़ के कुंडा में खुद की एक दूकान शरू की. गिरफ़्तारी के बाद दूकान बंद हुई सो हुई तीनों बच्चों की पढाई लिखाई भी बंद हो गयी, पत्नी को गुज़ारे के लिए सिलाई का काम करना पड़ा.
कमोबेश यही हाल गुलाब खान के परिवार का भी रहा, परिवार में किसी को भी वेल्डिंग नहीं आती थी तो दूकान भी बंद हुई, बच्चों की पढाई भी छूट गयी, पत्नी द्वारा किया गए सिलाई के काम से केवल पेट भरने तक के पैसों का इंतज़ाम होता था.
गुलाब खान ने तो जेल में रहते हुए अपनी ग्रेजुएशन भी पूरी की है मगर उन्हें इनका कोई फायदा होता नहीं दीखता क्यूंकि जेल में 12 साल बिता कर आये शख्स पर कोई भरोसा नहीं करता.
बता दें रामपुर में 31 दिसंबर 2007 की रात आतंकियों ने सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के गेट नंबर 3 के अंदर घुसकर हमला किया था. इस हमले में एक रिक्शा चालक और सीआरपीएफ के 7 जवान शहीद हो गए थे. हमला करने के आरोप में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के इमरान, मोहम्मद फारूख, मुंबई गोरेगांव के फहीम अंसारी, बिहार में मधुबनी का सबाउद्दीन सबा, प्रतापगढ़ के कुंडा का कौसर, बरेली के बहेड़ी का गुलाब खान, मुरादाबाद के मूंढापांडे के जंग बहादुर बाबा खान और रामपुर के खजुरिया गांव के मोहम्मद शरीफ शामिल हैं. ये सभी लखनऊ और बरेली की जेलों में बंद हैं.
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