
पर्यावरण
गोरखपुर के वैज्ञानिक ने 6 साल के रिसर्च के बाद खोजा प्रदूषण से निपटने का तरीका
November 27, 2019
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पर्यावरण के बदलते रूप से हम सभी भलीभांति परिचित हैं. इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण और ये प्रदूषण हमारी ही लापारवाही का नतीजा है. दिल्ली जाइए जगहों पर प्रदूषण को लेकर जो इतनी ज़्यादा परेशानी है, उसके निजात का रास्ता का गोरखपुर के साइंटिस्ट डॉ. अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने निकाला है.
गोरखपूर के दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत डॉ. अंबरीश के रिसर्च को इंडियन साइंस कांग्रेस ने यंग साइंटिस्ट अवार्ड के लिए नामित किया है.
क्या है प्रदूषण का मुख्य कारण ?
नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण का मुख्य कारण है जो हमारे गाड़ियों और कई बार कारखानों से भी निकलता है. डॉ. अंबरीश ने इसी नाइट्रोजन ऑक्साइड को कमज़ोर करने का उपाय निकाला है. नाइट्रोजन ऑक्साइड सूर्य की हानिकरक किरणों से पृथ्वी का बचाव करने वाली ओजोन परत को भी हानि पहुंचती है. जिससे की धरती के तापमान में काफी इज़ाफ़ा देखने को मिला है जिसके कारण समुद्र तल स्तर भी बढ़ता है और उसके बगल में बसे शहरों के डूबने का खतरा भी बढ़ता है.
डॉ. अंबरीश पिछले 6 सालों में अपने इस शोध में लगे हुए थे उन्होने अपने शोध में पाया कि नाइट्रोजन ऑक्साइड को कमज़ोर करने के लिए उसके एक एटम को तोड़ कर बाहर निकलना पड़ेगा। उन्हें अपने पहले के शोधों से इस बात का अनुभव था कि ऐसा करने की क्षमता हलोजन में होती है. खास कर के सुपर हलोजन में इसकी क्षमता और भी ज्यादा होती है. जब अधिक तापमान पर सुपर हलोजन और नाइट्रोजन ऑक्साइड इंटरैक्ट किया जाता है तो नाइट्रोजन ऑक्साइड का एक एटम सुपर हलोजन में समाहित हो जाता है. नतीजतन नाइट्रोजन ऑक्साइड की हानिकारक क्षमता घट जाती है.
इंडियन साइंस कांग्रेस करेगा प्रकाशित
उनके इस शोध को इंडियन स्किन्स कांग्रेस प्रकाशित करेगा चूँकि ये अभी एक थेओरटिकल नॉलेज पर आधरित शोध है, इस रिसर्च के प्रकाशन के बाद लैब में इस पर प्रैक्टिकल शुरू की जाएगी और अगर लैब के परीक्षण इनकी थ्योरी के हिसाब से हुए तो आए चल आकर ये एक प्रोडक्ट के रूप में बाजार में भी आ सकती है. आगामी 3 जनवरी को बैंगलोर में प्रधानमंत्री इंडियन साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे जहाँ यंग साइंटिस्ट अवार्ड के लिए चयनित उम्मेदवाओं के शोध का प्रेजेंटेशन 4 तारीख होगा. इसमें देश के 32 उम्र से कम के कुछ चुनिंदा साइंटिस्ट ही भाग लेंगे जिनमें से डॉ. अंबरीश एक होंगे.
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