
सचेत
रेलवे पुलिस की एक गलती और तीन महीने से लापता है आटिज्म से पीड़ित तरुण, ढूंढने में लाचार पिता की मदद करें
December 4, 2019
SHARES
कल हम सभी ने अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस मनाया, अपनी अपनी जगहों पर हमने विकलंगो के प्रति अपनी आत्मीयता दिखाई या जताई। सरकारी गैर सरकारी कई सारे संगठनों ने भी इस दिन विकलांगों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उनके मदद के लिए कसम खाई. ये तो हो गयी व्यवहारिकता की बात अब बात करते हैं वास्तविकता की.
घटना 1 अक्टूबर 2019 की है जब महारष्ट्र चुनाव की प्रक्रिया अपने चरम पर थी. कोलाबा इलाके के कांग्रेस प्रत्याशी नामांकन भरने जा रहे थे तो बागे गाजे के साथ ऐसे जैसे कि बरात ले कर निकले हो. लेकिन इस प्रजातंत्र के त्योहार के बाजे और जश्न के बीच से एक ऑटिस्टिक बच्चा गायब हो जाता है, और उसके बाद शुरु होती है उसके लाचार माँ बाप द्वारा उसे खोजने की नाकाम कोशिश. पढ़कर लगेगा इसमें नया क्या है? हर दिन विकलांग बच्चे कइयों के खो जाते हैं, जिन्हें पुलिस खोजती भी है, मिल गया तो ठीक नहीं तो अपनी अपनी किस्मत. मगर यहाँ किस्सा थोड़ा अलग है.
तर्कसंगत से बात करते हुए तरुण के पिता विनोद गुप्ता ने बताया कि उनका 16 वर्षीय बेटा जो आटिज्म नामक बीमारी से ग्रसित है 1 अक्टूबर, 2019 को वो मुंबई में घर के पास स्थित गुब्बारे की दुकान के पास खेल रहा था. “उसके पास से एक एलेक्शन रैली गुज़री जिसके गाने और ड्रम की आवाज़ में वो भीड़ में कहीं खो गया. CCTV फुटेज में वो नाचता हुआ देखा गया है. रैली तो CST रेलवे स्टेशन पर खत्म हो गई पर मेरा बेटा मुझसे बिछड़ गया।” बाद में आस पड़ोस के लोग केवल ये कहते ही मिले की उसे वहां देखा, यहाँ देखा मगर किसी ने भी उसका हाथ पकड़ उसे घर तक वापिस नहीं लाया.
उन्होनें उसी दिन पुलिस थाने जाकर उसके लापता होने की FIR दर्ज कराई थी, कुछ CCTV फुटेज में उसे रोते बिलखते देखा जा सकता है, वो लोगों से खाना और पानी मांगते हुए देखा गया. फिर उनके बेटे के लापता होने के दो दिन बाद उन्हें सूचित किया गया कि उसे पनवेल रेलवे स्टेशन के पास देखा गया था. उन्होनें बताया कि “मेरा तरुण दो दिन तक रेलवे पुलिस के सामने भटकता रहा और किसी ने उसकी मदद नहीं की! स्टेशन पहुँचकर मुझे और भी चौंकाने वाली बातें पता चलीं. एक रेलवे अफ़सर से मेरे बेटे ने जब बार-बार पानी मांगा तो वो उससे तंग आ गया और उसने मेरे बेटे को ज़बरदस्ती गोआ की एक ट्रेन में बिठा दिया.
यही है सबसे चौंकाने वाली और द्रवित करने वाली सच्चाई जिससे आँख मूंदना नामुमकिन है. आखिर एक ऑटिस्टिक बच्चे के प्रति एक पुलिस अफ़सर इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है? अगर उस समय उस पुलिस अफ़सर ने थोड़ी भी संजीदगी दिखाते हुए चाइल्ड लाइन को सूचित किया होता तो आज तीन महीने से तरुण के पिता गली गली अपने बेटे को ढूंढने के लिए नहीं भटक रहे होते.
विनोद गुप्ता ने अपने बेटे को खोजने के लिए दिन रात एक कर दिया है, वो उसे ढूंढते हुए गोवा तक चले गए ताकि अपने बेटे की कोई खबर मिल सके वहां के जांच पड़ताल से पता चला कि गोवा से वो वापस भूखा प्यासा मुंबई की ट्रैन में वापस आया मगर विनोद गुप्ता के मुताबिक पनवेल ठाणे के बीच कहीं खो गया.
अपने किस्मत और प्रशासन को कोसते हुए पल पल हिम्मत हारते हुए तरुण के पिता विनोद तर्कसंगत से कहते हैं कि “अगर मैंने ये कहा होता कि वो लड़का कोई आतंकवादी है तो पुलिस पब्लिक उसे कही से भी खोज निकालती आज मेरा बेटा मेरे पास होता.” विनोद गुप्ता ने ये भी बताया कि उनके बेटे की आँखों की रौशनी 75% नहीं है चश्मा टूट जाने की वजह से वो देख भी नहीं पाता. उनकी इस कोशिश को सुप्रिया सुले का साथ भी मिला है मगर अभी सब नाकाफी है.
Met Hon. Shri. G. Kishan Reddy (@kishanreddybjp) Ji and requested him to look into Tarun Gupta's case. Tarun is a 16 year old special child reported missing from 1st October. Requested the urgent intervention of Home Ministry in this case. pic.twitter.com/PC7IQ7eERv
— Supriya Sule (@supriya_sule) December 3, 2019
विनोद गुप्ता का कहना है कि “मेरे बेटे की जान को खतरे में डालने के आरोप में रेलवे पुलिस ने अपने अफ़सर के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. हमें ऐसे मामलों में अफ़सरों की ट्रेनिंग करनी चाहिए ताकि वो ऑटिस्टिक बच्चों तथा स्पेशल नीड वाले बच्चों के मामलों में थोड़ी संवेदनशीलता दिखाएं.”
उन्होनें change.org पर अपने बेटे को खोजने के लिए सरकार के लिए पेटिशन भी तैयार की है. उनका बस यही कहना है आप सबसे हाथ जोड़कर गुज़ारिश है कि मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि पीएमओ, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय और महाराष्ट्र पुलिस मेरे बेटे तरुण को खोजने के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाली खोज शुरू करे।
हम आम नागरिकों के दबाव से ही प्रशासन कोई कदम उठाएगा. प्लीज़ इस पेटीशन को जितना हो सके, जिससे हो सके शेयर करें. शायद आपके शेयर करने से मेरे बेटे का कुछ पता चल जाए.
अपने चाहने वालों, पढ़ने वालों से गुज़ारिश है कि इस पेटिशन पर साइन कर विनोद गुप्ता जी की कोशिश को मज़बूत करें और तरुण को खोजने में उनकी मदद करें.
अपने विचारों को साझा करें