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जामिया-मिलिया की लाइब्रेरी में ‘पुलिस कार्रवाई’ का खुलासा वीडियो में
Image Credits: /Vibhu Grover/Instagram
February 17, 2020
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दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में 15 दिसंबर को हुई पुलिस कार्रवाई से जुड़ा एक कथित वीडियो सामने आया है जिसमें सुरक्षाबल लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों पर डंडे बरसाते नजर आ रहे हैं। ये जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने जारी किया है। दावा किया जा रहा है कि यह सीसीटीवी फुटेज है। पुलिस ने भी इस वीडियो का संज्ञान लिया है और इसकी जांच करने की बात कही है।
जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने इस वीडियो को ट्वीट कर लिखा है, ‘ओल्ड रीडिंग हॉल की पहली मंजिल पर एम. ए./एम. फिल सेक्शन में 15 दिसंबर, 2019 को पुलिस बर्बरता का एक्सक्लूसिव सीसीटीवी फुटेज। दिल्ली पुलिस शर्म करो।’ ट्वीट में दिल्ली पुलिस के ट्विटर हैंडल को भी टैग किया गया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
कमेटी का दावा है कि 15 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आंदोलन हुआ तो उस दौरान पुलिस ने जामिया के अंदर पढ़ रहे छात्रों पर लाठियां बरसाईं। जो वीडियो जारी किया गया है उसमें छात्र लाइब्रेरी में पढ़ते दिखाई दे रहे हैं, तभी पुलिस वहां आकर पिटाई शुरू कर देती है। छात्रों के हाथों में किताबें भी नजर आ रही हैं।
Exclusive CCTV Footage of Police Brutality in Old Reading Hall, First floor-M.A/M.Phill Section on
15/12/2019
Shame on you @DelhiPolice @ndtvindia @ttindia @tehseenp @RanaAyyub @Mdzeeshanayyub @ReallySwara @ANI @CNN @ReutersIndia @AltNews @BBCHindi @the_hindu @TheQuint @BDUTT pic.twitter.com/q2Z9Xq7lxv— Jamia Coordination Committee (@Jamia_JCC) February 15, 2020
यूनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं जेसीसी
गौरतलब है कि जामिया मिलिया इस्लामिया का जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी से कोई ताल्लुक नहीं है। यह कमेटी सीएए और एनआरसी के खिलाफ जारी आंदोलनों को अगुवाई कर रही है। इस को-ऑर्डिनेशन कमेटी में जामिया के कई पूर्व छात्र भी शामिल हैं।
पुलिस पर जबर्दस्ती कैंपस के भीतर घूसने का आरोप
जामिया में 15 दिसंबर को जब हिंसा हुई तो आरोप लगे थे कि पुलिस जबरदस्ती कैंपस में घुसी और लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों की पिटाई की। लाइब्रेरी में तोड़फोड़ के वीडियो भी सामने आए थे। जामिया प्रशासन ने भी कहा था कि दिल्ली पुलिस बिना अनुमति कैंपस में दाखिल हुई। पुलिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था, लेकिन कहा था कि हिंसा में शामिल लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस कैंपस में घुसी थी।
जामिया विश्वविद्यालय के पीआरओ अहमद अज़ीम ने कहा, “शुरूआती तौर पर, सीसीटीवी फ़ुटेज डॉ. ज़ाकिर हुसैन लाइब्रेरी में एमफिल और पीएचडी सेक्शन का लगता है। हमें यह भी पता चला है कि फुटेज जामिया समन्वय समिति द्वारा जारी किया गया है। दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रहा है।”
15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में हुआ था हिंसक प्रदर्शन
दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास उपद्रवी भीड़ ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 8 वाहन फूंक दिए और पथराव किया। उपद्रवियों काे खदेड़ते हुए पुलिस यूनिवर्सिटी में घुस गई। लाइब्रेरी और बाथरूम में घुसकर तोड़फोड़ और लाठीचार्ज कर छात्रों को बाहर निकाला। पुलिस का कहना था कि कुछ उपद्रवी कैम्पस में दाखिल हो गए थे, जिनके पीछे पुलिस गई। बल प्रयोग में करीब 100 से अधिक छात्र जख्मी हुए थे। 52 छात्रों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, प्रदर्शन के बाद सभी छात्रों को छोड़ दिया गया।
कुलपति ने कहा था- पुलिस के खिलाफ एफआईआर कराएंगे
जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने घटना के बाद कहा था कि पुलिस बिना इजाजत कैम्पस में घुसी और मासूम छात्रों को पीटा। हमारी एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। जरूरत पड़ी तो हम इस मामले में हाईकोर्ट जाएंगे। हालांकि, कुलपति के इस जवाब पर छात्रों ने नारेबाजी की और कहा था कि हमें आपकी बात पर भरोसा नहीं है।
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