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निजामुद्दीन में कोरोना मामला उठने पर उसे ‘कोरोना जिहाद’ का नाम देना कितना सही है
April 1, 2020
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देशभर में कम से कम तीन अलग-अलग स्थानों पर कोविड-19 टेस्ट में कई धर्मगुरुओं के पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस्लामिक संगठन तबलीगी जमात चर्चा के केंद्र में आ गया है.
शुरूआत 16 मार्च से हुई, जब तेलंगाना में इंडोनेशिया के 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. ऐसा इनमें से एक में कोरोना वायरस के लक्षण मिलने के बाद किया गया. 18 मार्च तक इनमें से 8 कोविड-19 से संक्रमित पाए गये. फिर चार दिनों के बाद तमिलनाडु में थाईलैंड के दो लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव मिले.
आखिरकार 26 मार्च को कोविड-19 के कारण एक कश्मीरी की मौत हो गयी. राज्य में इस वायरस से यह पहली मौत थी. झारखंड में भी जो पहला पॉजिटिव केस आया है उसका कनेक्शन दिल्ली मरकज से है.
दिल्ली का निज़ामुद्दीन इलाका. यहां 13 से 15 मार्च के बीच एक तब्लीगी जमात मरकज़ में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. 1200 से 1500 लोग इसमें शामिल हुए. विदेशों से भी लोग आए थे. इस कार्यक्रम में शामिल हुए छह लोगों की 30 मार्च को तेलंगाना में मौत हो गई. कश्मीर में भी 65 साल के एक कोरोना पॉज़िटिव शख्स की मौत हुई, वह भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके बाद पुलिस ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों की तलाश तेज़ कर दी है.
कृपया मरकज़ निज़ामुद्दीन के इस समय को भी पढ़ें ..
31.03.2020 दिनांकित MARKAZ NIZAMUDDIN द्वारा प्रस्तुत नोट
मार्काज़ निज़ामुद्दीन करीब 100 साल तक तबीघी जमात का अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय है। दुनिया भर से आने वाले आगंतुक / अतिथि / भक्त / उपासक 3-5 दिनों से अधिक समय तक चलने वाले पूर्व-निर्धारित कार्यक्रमों के लिए जगह बनाते हैं। दूर-दराज के स्थानों से आगंतुकों को अपनी भागीदारी की योजना बनाने के लिए सभी कार्यक्रमों को एक साल पहले ही तय कर दिया जाता है।
जब माननीय प्रधान मंत्री ने 22 मार्च 2020 के लिए “जनता कर्फ्यू” की घोषणा की, तो 21 मार्च 2020 को देश भर में रेल सेवाओं को अचानक रद्द करने के कारण, मार्कज निजामुद्दीन में चल रहे कार्यक्रम को तुरंत बंद कर दिया गया, जो आगंतुकों का एक बड़ा समूह है मार्काज परिसर में रेलवे के रास्ते से प्रस्थान करना पड़ा।
22 मार्च 2020 को, “जनता कर्फ्यू” मनाया गया और तदनुसार आगंतुकों को सलाह दी गई कि माननीय प्रधान मंत्री द्वारा वांछित 9 बजे तक उद्यम न करें, इसलिए रेलवे के अलावा अन्य माध्यमों से अपने मूल स्थानों पर वापस जाने की योजना है। भी नहीं हुआ। जनता कर्फ्यू को 9 बजे तक उठाया जा सकता है, इससे पहले, दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री ने 23 मार्च 2020 को सुबह 6 बजे से शुरू होकर 31 मार्च 2020 तक दिल्ली में तालाबंदी की घोषणा की, जिससे इन आगंतुकों को अपनी यात्रा के लिए परिवहन वापस लेने की कोई संभावना कम हो गई। । इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद, मार्काज़ प्रशासन की मदद से, लगभग पंद्रह सौ आगंतुकों ने मार्ज़र निज़ामुद्दीन को छोड़ दिया, जो कि अल्प परिवहन उपलब्ध था।
23 मार्च की शाम को, माननीय प्रधान मंत्री द्वारा स्पष्ट संदेश के साथ एक और देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की गई थी, जहां लोगों को रहने के लिए स्पष्ट संदेश दिया गया था। ऐसी सम्मोहक परिस्थितियों में मार्काज़ निज़ामुद्दीन के पास कोई विकल्प नहीं था लेकिन फंसे हुए आगंतुकों को निर्धारित चिकित्सा सावधानियों के साथ ऐसे समय तक समायोजित करने के लिए कि स्थिति उनके आंदोलन के लिए अनुकूल हो जाए या अधिकारियों द्वारा व्यवस्था की जाए।
24 मार्च 2020 को अचानक SHO, P.S. द्वारा एक नोटिस जारी किया गया। हजरत निजामुद्दीन, मरकज परिसर को बंद करने की मांग करते हुए। 24 मार्च 2020 को उसी का जवाब दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि मार्काज़ को बंद करने के बारे में निर्देशों का अनुपालन पहले से ही चल रहा है और पिछले दिन लगभग 1500 लोगों ने प्रस्थान किया था, इस प्रकार मार्काज़ में विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीयताओं से जुड़े लगभग 1000 आगंतुकों को छोड़ दिया गया। यह भी बताया गया कि एल.डी. संबंधित एसडीएम से वाहन पास जारी करने का अनुरोध किया गया था ताकि शेष लोगों को दिल्ली के बाहर उनके मूल स्थानों पर वापस भेजा जा सके। यहां यह इंगित करना प्रासंगिक है कि ड्राइवरों के नाम के साथ पंजीकरण संख्या के साथ 17 वाहनों की सूची और साथ ही उनके लाइसेंस विवरण एलडी को प्रस्तुत किए गए थे। एसडीएम ताकि फंसे हुए आगंतुकों / मेहमानों को उनके गंतव्य की ओर रवाना किया जा सके। अपेक्षित अनुमति अभी भी प्रतीक्षित है।
25 मार्च 2020 को, तहसीलदार ने मेडिकल टीम के साथ मार्काज का दौरा किया, उनके निरीक्षण के साथ-साथ आगंतुकों की सूची तैयार करने के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान किया गया, जिनमें से कई की जांच उनके द्वारा की गई।
26 मार्च 2020 को, एलडी। एसडीएम ने मार्काज़ निजामुद्दीन का दौरा किया और हमें एलडी के साथ आगे की बैठक के लिए बुलाया। डीएम। हम Ld से मिले। डीएम ने उन्हें फंसे हुए आगंतुकों से अवगत कराया और एक बार फिर हमारे द्वारा व्यवस्थित वाहनों की अनुमति मांगी।
अगले दिन, यानी 27 मार्च 2020 तक, छह लोगों को चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया।
28 मार्च 2020 को, एलडी। एसडीएम और डब्ल्यूएचओ की टीम ने मार्काज का दौरा किया और 33 लोगों को राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया। आश्चर्यजनक रूप से उसी दिन एक और नोटिस जारी किया गया था, इस बार एसीपी लाजपत नगर के कार्यालय द्वारा, निषेधात्मक आदेशों और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी को दोहराते हुए.
यह उपरोक्त विचार-विमर्श और कदमों से पूरी तरह से बेखबर है जो पहले से ही मार्काज़ निजामुद्दीन द्वारा उठाए गए थे। अधिकारियों से सलाह लेंगे। हालाँकि, 29 मार्च, 2020 के पत्र के विस्तृत विस्तृत पत्र में इसका उत्तर दिया गया था।
30 मार्च 2020 को, सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैलने लगी कि COVID-19 से प्रभावित लोग मार्काज़ में मौजूद हैं। यह भी परिचालित किया जा रहा है कि कुछ मौते उसी के कारण हुई हैं। अप्रत्याशित रूप से, जैसा कि एएनआई द्वारा रिपोर्ट किया गया है, दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को मार्काज़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह विनम्रतापूर्वक कहा जाता है कि यदि उपरोक्त तथ्य-जांच माननीय मुख्यमंत्री के कार्यालय द्वारा की जा सकती थी, तो अधिकारियों ने शेष आगंतुकों को खदेड़ने के लिए मार्कज द्वारा उनकी यात्राओं, विचार-विमर्श और सहयोग के बारे में उन्हें अवगत कराया होगा। इस पूरे प्रकरण के दौरान, मार्कज़ निजामुद्दीन ने कभी भी कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया, और हमेशा विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाले आगंतुकों के प्रति दया और तर्क के साथ काम करने की कोशिश की। इसने उन्हें ISBTs या रोमिंग ओ के द्वारा चिकित्सा दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं करने दिया
मीडिया और सोशल मीडिया में अब यह कोशिश की जा रही है कि तबलीगी धर्म गुरुओं को ऐसे उदाहरण के तौर पर पेश किया जाए, जिससे कोरोना वायरस फैलाने के पीछे इस्लामिक षडयंत्र का संकेत मिले. हिन्दुत्व समर्थक चैनल सुदर्शन टीवी तो इसे ‘कोरोना जिहाद’ तक बता रहा है.
Imagine the level of Anti-Muslim propaganda if #COVID19 was started from some Muslim country?
Indian Media/IT Cell is spreading poison in the society. They are literally baying for the blood of Muslims.#मीडिया_वायरस#NizamuddinMarkaz pic.twitter.com/1aDctdp9J1
— Md Asif Khan آصِف (@imMAK02) March 31, 2020
क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकर जिन क्लॉज़ के आधार पर तब्लीगी जमात के मौलाना पर एफआईआर दर्ज़ कर रही है उसमें धार्मिक जमावड़े की कोई बात नहीं कही गयी थी केवल खेलकूद/सेमिनार/कांफ्रेंस आदि पर रोक थे . बहरहाल विदेश से आने वाले लोगों के बार में कुछ दिशानिर्देश थे जिनके आधार पर ये कहा जा सकता है कि तब्लीगी जमात में कुछ लोग उसके दोषी हैं.
Strong action should be taken against the administrators of the Nizamuddin Markaz who organised a 3-day religious gathering, with 1000s of people from 13th-15th March, when Delhi Govt orders had expressely forbidden gatherings or more than 200 persons on 13th March itself pic.twitter.com/n0f1rLE5Xx
— Atishi (@AtishiAAP) March 31, 2020
दिल्ली पुलिस और सरकार का रोल
31 मार्च को गृहमंत्रालय के बयान के मुताबिक, “इमिग्रेशन ब्यूरो (1 फरवरी से) राज्य के सक्षम अधिकारियों के साथ कोरोना प्रभावित देशो से आने वाले लोगों के स्व-घोषणा फॉर्म में दर्ज सूचना के आधार पर सारा ब्योरा साझा करता रहा है.” अगर इस बात को सही माने तो 13 से 15 के बीच हुए इस जमात में शामिल विदेशियों को शामिल क्यों होने दिया गया ? शामिल होने से पहले एयरपोर्ट पर उनकी स्क्रीनिंग हुई या नहीं ?
पुलिस ने मरकज के कार्यक्रम को रोकने की कोशिश मार्च के दूसरे हफ्ते तक क्यों नहीं की जबकि निजामुद्दीन थाने की दुरी मर्कज़ से मात्र 100 मीटर की है ? नियम के तहत जो लोग मर्कज़ में शामिल होते हैं वो अपनी जानकारी निजामुद्दीन थाने में साझा करते हैं तो उनकी स्क्रीनिंग उस वक़्त भी क्यों नहीं की गयी ?
केंद्र सरकार के मंत्रियों ने इस मामले को लेकर 31 मार्च को बैठक की है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि हम सभी को यह समझने की ज़रूरत है कि ये वक्त गलतियां खोजने का नहीं है. कारवाई करने का है.
We all need to understand this is not time to find faults but to take action: Health Ministry official on COVID-19 cases in Nizamuddin
— Press Trust of India (@PTI_News) March 31, 2020
मरकज से अभी तक करीब 1034 लोगों को शिफ्ट किया गया है. 334 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है. 700 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है. कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं. अभी तक 24 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं.
तर्कसंगत का तर्क
अभी के संवेनशील समय में ये कहना गलत नहीं होगा कि तबलीगी जमात मरकज कोविड-19 के खतरे को देखते हुए वह बहुत देर से जागी और उसने एअरपोर्ट पर वायरस वाहकों को रोकने की कोशिश नहीं की. मगर इसके साथ ही साथ हिन्दुत्ववादी मीडिया और सोशल मीडिया में कोरोना जिहाद अभियान के जरिए सांप्रदायिकता का जहर घोलने से स्थिति केवल खराब होगी जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. तर्कसंगत की अपने पाठको से केवळ एक गुज़ारिश ये है कि देश के इस मुश्किल समय में हम बीमारी को धर्म के आधार पर नहीं बांटे और न ही दोषारोपण में भाग लें.
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