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केंद्र के दावे के उलट प्रवासी मजदूरों ने पैसे देकर लिए टिकट, कहा यात्रा से पहले लिया गया था किराया
May 5, 2020
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प्रवासी मजदूरों के लिए चलाये गए श्रमिक ट्रेनों में मजदूरों से लिए जाने वाले टिकट के पैसे पर सियासत और सोशल मीडिया दोनों ही गर्म है. लॉकडाउन शुरू होने के बाद से प्रवासी मजदूरों की परेशानी के वीडियो सोशल मीडिया पर आते रहे. कुछ प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गृह राज्य की तरफ महानगरों से निकल पड़े उनमें से कुछ सफल रहे तो कुछ रस्ते में ही दम तोड़ गए.
विपक्ष लॉक डाउन में सरकार की बदइंतज़ामी का आरोप लगा रहा है और मजदूरों के लिए संवेदनशीलता दिखते हुए सोनिया गाँधी ने पार्टी की ओर से ऐलान किया कि कांग्रेस मजदूरों के रेल किराये का खर्चा वहन करेगी, इतना खबर फैलना था कि सरकार एक बार फिर डैमेज कण्ट्रोल में आयी और आनन फानन में ये फैसला आया कि केंद्र सरकार 85% और राज्य सरकार टिकट के खर्चे का 15 % मूल्य वहन करेगी, याने कि मजदूरों से उनके गृह राज्य जाने के लिए रेल के टिकट का पैसा नहीं लिया जायेगा.
Railways is charging only standard fare for this class from State Governments which is just 15% of the total cost incurred by Railways. Railways is not selling any tickets to migrants and is only boarding passengers based on lists provided by States: Railway Ministry Sources https://t.co/TiPKcBBTHZ
— ANI (@ANI) May 4, 2020
इसके बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट आया- जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र टिकट का 85% राज्य सरकारें 15% किराया देंगी. इसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा गया.
Talked Piyush Goel office. Govt will pay 85% and State Govt 15% . Migrant labour will go free. Ministry will clarify with an official statement
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 4, 2020
झारखंड पहुंचे मजदूरों से लिए गया किराया
दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन से केरल से झारखंड पहुंचे प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें धनबाद और जसीडीह का किराया लेने के बाद टिकट दिया गया. धनबाद के लिए 860 रुपये तो जसीडीह के लिए 875 रुपये वसूले गए.
स्पेशल ट्रेन में 22 जिलों के 1129 मजदूर सवार थे. कई मजदूरों ने बताया कि उनके पास पैसे खत्म हो गए थे. ऐसे में किसी को घर से पैसे मंगाकर टिकट लेना पड़ी तो किसी ने उधार लेकर टिकट खरीदा. हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार कमारडीह के छोटू सोरेन ने कहा कि काम छूट गया था. घर आना जरूरी था. मेरे पास पैसे नहीं थे. इसलिए, दोस्त से पैसे लेकर टिकट करवाया. टुंडी के विश्वनाथ ने कहा कि नौकरी चली गई और ठेकेदार ने एक महीने की मजदूरी भी नहीं दी. ऊपर से ट्रेन में भाड़ा देकर आना पड़ा.
गुजरात से उत्तर प्रदेश आये मजदूरों से लिया गया पैसा
गुजरात के नादियाड से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मजदूरों का एक जत्था आया. खेड़ा जिले के सात तहसीलों में फंसे 1134 मजदूरों को साबरमती गोरखपुर विशेष ट्रेन से रवाना किया गया. आरोप है कि मजदूरों से रेल टिकट के नाम पर 600-700 वसूले गए.
आज तक की खबर के मुताबिक गुजरात से लखनऊ पहुंचे प्रवासी ओम प्रकाश का कहना है कि मैं वडोदरा से आ रहा हूं. मैं दिसंबर में गया था, जब लॉक डाउन की घोषणा हुई तो पुलिस वालों ने पकड़ लिया और क्वारनटीन के लिए भेज दिया. हम लोगों को 35 दिन रखा गया था. अब हम लोगों से 555 रुपए का रेल टिकट लिया गया और लखनऊ पहुंचाया गया.
मुंबई से उत्तर प्रदेश लौटे मजदूरों से लिया गया पैसा
एक दूसरी रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि मुंबई से सोमवार को यूपी के सिद्धार्थनगर और आसपास के जिलों में मजदूर लौटे हैं. इन मजदूरों से रेलवे टिकट के बदले 740-740 रुपये भी लिए गए. किसी तरह पैसे का इंतजाम करने के बाद मजदूर घर लौट आए हैं. प्रवासी राम खेलवन गुप्ता ने आज तक को बताया कि बताया कि मैं मुंबई के नाला सुपारा से आ रहा हूं. केंद्र सरकार ने एक टिकट का हम लोगों से 740-740 रुपया लिया. पैसा था नहीं, किसी तरह व्यवस्था करके वापस लौटे हैं. फिलहाल, मजदूर अपने गांवों के बाहर क्वारनटीन कर दिए गए हैं.
इतना ही नहीं इस घटना के बारे में पुष्टि ANI ने भी एक वीडियो अपने यू ट्यूब चैनल पर पोस्ट किया है
गोरखपुर लौटे मजदूरों से भी लिया गया पैसा
महाराष्ट्र से चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सोमवार सुबह गोरखपुर पहुंची. यहां पहुंचे अधिकांश प्रवासी मजदूरों ने भी रेल किराए का भुगतान करने की बात कही. उनसे प्रत्येक टिकट के बदले 745 रुपये वसूले गए. कई यात्रियों ने 28 घंटे लंबे सफर में काफी दुश्वारियां झेलने की शिकायत की उन्होंने हिंदुस्तान को बताया कि पूरा सफर दो पैकेट चिप्स, एक पैकेट बिस्कुट और एक बोतल पानी के सहारे काटना पड़ा।
तर्कसंगत का तर्क
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि मजदूरों से पैसा नहीं लिया जा रहा है. 85 फीसदी खर्च केंद्र वहन कर रही है तो 15 फीसदी राज्यों के जिम्मे है. गुजरात और यूपी में बीजेपी सरकारें हैं, बावजूद इसके मजदूरों से पैसा लिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मजदूरों से पैसा किसने लिया?
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