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झारखंड में 5 साल की बच्ची की मौत, माँ ने कहा भूख से हुई बेटी की मौत
Image Credits: newindianexpress
May 19, 2020
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झारखंड के लातेहार जिले में बीते 16 मई को कथित तौर पर एक पांच वर्षीय दलित बच्ची की भूख से मौत हो गई. ईंट के भट्ठे पर काम करने वाले उसके पिता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें कोई आमदमी नहीं हो पाई.
स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार, लातेहार के हेसातु गांव में बच्ची के घर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा जारी वीडियो में परिवार के सदस्य, पड़ोसी और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी पांच वर्षीय निमानी की मौत का कारण भूख को बता रहे हैं.
एक वीडियो में निमानी की मां कमलावती देवी कहती हैं, ‘वह भूख से मर गई. चार-पांच दिनों से उसने कुछ नहीं खाया था. हम क्या खा सकते हैं जब कुछ खाने के लिए ही नहीं है.’
2/3 Nimani's mother, Lalawati, was struggling to feed her children in the last 2 months, when her husband Jaglal Bhuiyan was trapped in a brick kiln in Latehar. pic.twitter.com/EsgALVGg8d
— Road Scholarz (@roadscholarz) May 17, 2020
जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.
लातेहार के जिला कमिश्नर जीशान कमर ने कहा, ‘मैं सुना है कि बच्ची ने नाश्ता किया था और तैरने के लिए पास के तालाब में गई थी. वह बेहोश हो गई और शाम को मर गई. अगर उसने नाश्ता किया था तो यह कैसे भुखमरी हो सकती है?’
बच्ची की मौत की सूचना पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर ज्यां द्रेज भी हेसातू गांव पहुंचे. ज्यां द्रेज ने कहा कि जिस घर में बच्ची की मौत हुई है, उस परिवार का राशन कार्ड नहीं है. घर में अनाज का एक दाना भी नहीं था. घर में और 5 बच्चे हैं, जो कुपोषण के शिकार हैं। बच्ची की मौत का कारण भूख ही है. बीडीओ के कहने पर पीड़ित परिवार ने रविवार की सुबह बच्ची के शव को दफना दिया है. जबकि, प्रावधान के मुताबिक भूख से मौत के मामले में मेडिकल टीम से पोस्टमार्टम कराया जाता है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक द्रेज ने कहा कि गांव के मुखिया ने इस बात की पुष्टि की है कि बिना राशन कार्ड वालों के लिए आया 10 हजार रुपये का फंड समाप्त होने के कारण परिवार को चावल नहीं दिया गया था. गांव के मुखिया ने ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) से फंड की दूसरी किस्त के लिए पत्र लिखा था लेकिन फंड नहीं मिला.
द्रेज ने कहा कि जनधन खाते में 500 रुपये की एक किस्त के अलावा परिवार को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. परिवार पूरी तरह से पड़ोसियों की सहायता पर निर्भर था.
बच्ची की मौत की सूचना के बाद बीडीओ नंदकुमार राम शनिवार रात करीब 12 बजे उसके घर पहुंचे. प्रशासन ने पांच हजार रुपये और 40 किलो अनाज उपलब्ध कराया.
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में आने वाले दुरुप पंचायत के लुरगुमी कला गांव के रहने वाले 65 वर्षीय रामचरण मुंडा की पिछले साल छह जून को कथित तौर पर भूख से मौत हो गई थी. उन्हें तीन महीने से राशन नहीं मिल रहा था क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बायोमेट्रिक आधारित राशन पाने के लिए जिस इलेक्ट्रॉनिक मशीन का इस्तेमाल होता है, वह खराब थी.
वहीं, 28 सितंबर, 2017 को झारखंड के सिमडेगा जिले के कारीमाटी गांव में 10 साल की संतोषी कथित रूप से भूख से तड़प-तड़प कर मर गई थी. आरोप था कि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया, जिसके चलते आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था.
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