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गंडक नदी पर डैम की मरम्मत में रुकावट डाल रहा है नेपाल, बढ़ सकता है बिहार में बाढ़ का खतरा
Image Credits: newindianexpress/hindustan
June 24, 2020
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भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल सरकार बिहार को परेशान कर रही है। नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि नेपाल गंडक बांध के लिए मरम्मत कार्य की अनुमति नहीं दे रहा है। जबकि ललबकेया नदी ‘नो मैंस लैंड’ का हिस्सा है। इसके अलावा नेपाल ने कई अन्य स्थानों पर मरम्मत का काम रोक दिया है। पहली बार हम लोग ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं। हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
If our engineers will not have access to flood-fighting material there then repair work of the dam will be affected, it will raise a serious problem in case water level of Gandak river increases due to heavy rainfall in Nepal: Sanjay Jha, State Minister for Water Resources.#Bihar pic.twitter.com/IKA4pb0SuE
— ANI (@ANI) June 22, 2020
इसको लेकर जब भारत ने दबाव बनाया तो नेपाल ने भारतीय इंजीनियरों को बैराज के निरीक्षण की अस्थाई अनुमति प्रदान की। हालाकि स्थाई समाधान न निकलने से यूपी-बिहार में मंडरा रहे बाढ़ के खतरे का स्थाई निदान नहीं निकाला जा सकता।
द हिन्दू के मुताबिक गंडक बैराज पर ही बिहार के सिंचाई विभाग का स्टोर रूम भी है, जहां बाढ़ से निपटने के जरूरी उपकरण रखे गए हैं। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी नेपाल की इस हरकत पर चिंता जताई है। गंडक बैराज के मरम्मत, अनुरक्षण व संचालन की पूरी जिम्मेदारी बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग की है।
बिहार सरकार के मंत्री ने कहा कि गंडक बैराज के 36 द्वार हैं, जिनमें से 18 नेपाल में हैं। भारत के हिस्से में पहले से 17वें फाटक तक के बांध की हर साल की तरह इस साल भी मरम्मत की जा चुकी है। वहीं नेपाल के हिस्से में पड़ने वाले 18वें से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है। नेपाल बांध मरम्मत के लिए सामग्री ले जाने नहीं दे रहा है। नेपाल उस क्षेत्र में अवरोध डाल दिए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।
इस दौरान नेपाल के बंजरहा गांव के ग्रामीणों ने भारत की SSB के साथ भी बदसलूकी की है। विवाद भारत नेपाल की सीमा को दर्शाने वाले पिलर नंबर 345/5 और 345/7 के बीच पांच सौ मीटर की जमीन पर है। इस मामले में जिला प्रशासन ने नेपाल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास सहित केन्द्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को पत्र भेजकर स्थिति बताई है।
भारत और नेपाल के बीच पिछले कई दिनों से तनाव जारी है। नेपाल ने नए नक्शे में कालापानी और लिपुलेख को शामिल कर लिया है। इस नक्शे में नेपाल ने कुल 395 वर्ग किलोमीटर के इलाके को अपने हिस्से में दिखाया है। इसमें उत्तराखंड का लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और काटी गांव भी शामिल हैं।
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