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कोल इंडिया में निजीकरण के विरोध पर तीन दिन की हड़ताल पर गए कर्मचारी, 319 करोड़ रुपये का नुकसान
Image Credits: Prabhat Khabar/Panchayat Times
July 3, 2020
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केंद्र सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की इजाजत देने के विरोध में कोल इंडिया के मजदूर संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल बृहस्पतिवार से शुरू हुई. इससे करीब 40 लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
कोल इंडिया के कर्मचारी संगठनों की बृहस्पतिवार से शुरू हुई तीन दिन की हड़ताल से झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे कोयला उत्पादक राज्यों को कुल 319 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है. यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जो घरेलू कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक है.
कोल इंडिया शाखा बीसीसीएल में कार्यरत कर्मचारी काम पर नहीं गए हैं, जिसके चलते खदानों में अस्पताल जैसी आपातकालीन सेवाएं ठप पड़ गई हैं. इसके अलावा कोल इंडिया की शाखा एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक ने बाहरी लोगों को खदान में काम करने के लिए बुलाया है, जो एक असाधारण स्थिति है और ऐसा कोल इंडिया में कभी नहीं हुआ है.
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा अधिकारी ने कहा कि कोल इंडिया प्रति दिन औसतन 15 लाख टन कोयले का उत्पादन करती है. इससे लगभग 106 करोड़ रुपये का राजस्व राज्यों के खजाने में जाता है. कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने दिसंबर में संसद को सूचित किया था कि सरकार ने 2013-14 से 2018-19 तक कोल इंडिया से राजस्व में 2.03 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया है. प्राप्त कुल राजस्व में से, 2018-19 में अधिकतम 44,826.43 करोड़ रुपये मिले थे. इससे पहले 2017-18 में 44,046.57 करोड़ रुपये जबकि 2019-20 में 44,068.28 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. इसी तरह 2015-16 में सरकार को कोल इंडिया से 29,084.11 करोड़ रुपये, 2014-15 में 21,482.21 करोड़ रुपये और 2013-14 में 19,713.52 करोड़ रुपये का राजस्व मिला.
कोल इंडिया के मजदूर संगठनों और सरकार के बीच बीते एक जुलाई को वाणिज्यिक कोयला खनन के मुद्दे पर बातचीत विफल रही. कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को एक वर्चुअल बैठक हुई थी. उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान कोयला मंत्री ने यूनियनों को बताया कि वाणिज्यिक खनन केंद्र सरकार का नीतिगत निर्णय है और कोयला उत्पादन बढ़ाने का एकमात्र तरीका है. दूसरी ओर मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने वाणिज्यिक खनन का विरोध करते हुए अपना रुख दोहराया.
मैं @CoalIndiaHQ एवं सिंगरेनी कोलियरी परिवार के हर कामगार से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर ना जाएं और देश को कोयले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आदरणीय पीएम श्री @NarendraModi जी के प्रयासों को सशक्त करें। हड़ताल से आपका, आपकी कंपनी का और सबसे ऊपर देश का भारी नुकसान होगा। pic.twitter.com/fdj5ELYkpQ
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) July 1, 2020
कोल इंडिया की ट्रेड यूनियनें अन्य मुद्दों के साथ वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति देने के सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी. कोयला मंत्री जोशी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर किसी भी राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के लिये कोयला क्षेत्र को खोलने के सरकार के कदम का विरोध नहीं किया.
हालाँकि झारखंड सरकार कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने नीलामी में राज्य सरकार को विश्वास में लेने की जरूरत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है.
मजदूर संगठन की प्रमुख मांगें
- कोयले की कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लिया जाए.
- कोयला उद्योग के निजीकरण पर रोक लगाई जाए.
- सीएमपीडीआइएल को कोल इंडिया से अलग न किया जाए.
- ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी के समझौता को पूरी तरह से लागू करते हुए वेतन भुगतान किया जाए.
- पांचवें वेतन समझौता के अनुसार 9.3.0 क्लोज के तहत मेडिकल अनफिट कामगारों के आश्रित को नौकरी.
कोल इंडिया ने मजदूरों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की है.
आश्वस्त रहे … कोल इंडिया के लिए कोई चिन्ताजनक बात नहीं l pic.twitter.com/CyHVJOqij6
— Coal India Limited (@CoalIndiaHQ) July 2, 2020
कंपनी की ओर से कहा गया है, ‘किसी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी. सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग नहीं किया जाएगा. कोल इंडिया का विनिवेश या निजीकरण करने की कोई योजना नहीं है.’
इस हड़ताल से ओडिशा को सर्वाधिक लगभग 70 करोड़ रुपये की हानि होने का अनुमान है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ को 66 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश और झारखंड को 61-61 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 27 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 23 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश को 11 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. अधिकारी ने कहा कि कोल इंडिया प्रति दिन औसतन 15 लाख टन कोयले का उत्पादन करती है. इससे लगभग 106 करोड़ रुपये का राजस्व राज्यों के खजाने में जाता है.
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